भेड़-बकरी ब्रीडिंग पॉलिसी में क्या है नया जो किसानों की गरीबी दूर कर देगा, ब्रीडर बकरों पर क्या है प्लान?

बकरियों और भेड़ों के नस्ल सुधार से लेकर मीट और दूध उत्पादन को बढ़ाने के लिए भेड़-बकरी ब्रीडिंग पॉलिसी जारी की गई है. इसे किसानों के लिए लाभकारी और कमाई कराने के लिए सटीक बताया गया है. जबकि, दूध और मीट की मांग को पूरा करने के साथ ही ब्रीडिंग सिस्टम बेहतर करने के लिए कारगर बताया जा रहा है.

नोएडा | Published: 30 Nov, 2025 | 01:08 PM

बकरी-भेड़ ब्रीडिंग पॉलिसी में कुछ बदलाव तमिलनाडु सरकार ने किए हैं, जिसको लेकर सरकार का दावा है कि किसानों की कमाई का रास्ता बेहतर होगा और उन्नत नस्ल की बकरियों और भेड़ों की ब्रीडिंग करने में आसानी होगी. इसके साथ ही स्थानीय और लोकर नस्लों को बचाने और मीट प्रोडक्शन बढ़ाने पर भी जोर दिया गया है. वहीं, पॉलिसी में कोऑपरेटिव सोसाइटीज बनाने की वकालत की गई है, जिसको लेकर किसानों ने सकारात्मक रुख दिखाया है तो वहीं इंडस्ट्री ने इसे मिलीजुली प्रतिक्रिया दी है. वहीं, ब्रीडर बकरों को हर जिले और ब्लॉक स्तर पर रखने का प्लान बनाया गया है, ताकि उन्नत नस्लों की ग्रोथ बढ़ाई जा सके.

भेड़-बकरी के लिए ब्रीडिंग सिस्टम बनाने की योजना

तमिलनाडु बकरी और भेड़ ब्रीडिंग पॉलिसी को हाल ही में राज्य सरकार ने जारी किया है. इसमें बकरियों के लिए एक ओपन न्यूक्लियस ब्रीडिंग सिस्टम और भेड़ों के लिए बेहतर नर मेढ़ों के साथ ब्रीड के अंदर सेलेक्टिव ब्रीडिंग की वकालत की गई है. इस पॉलिसी का मकसद बेहतर प्रोडक्शन के लिए भेड़ और बकरियों को बेहतर बनाना है और स्थानीय नस्लों को बचाना है. इसके लिए ICAR-NBAGR में देसी और स्थानीय नस्लों के रजिस्ट्रेशन की संभावना को तलाशना शामिल किया गया है.

मीट प्रोडक्शन के लिए देसी भेड़-बकरियों की आबादी बढ़ेगी

पॉलिसी में कहा गया है कि जेनेटिक क्षमता को बढ़ाने के लिए पायलट प्रोजेक्ट के ज़रिए आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन (AI) को शुरू किया जाएगा और बढ़ावा दिया जाएगा. न्यूक्लियस फार्म बनाए जाएंगे ताकि बेहतरीन ब्रीडिंग स्टॉक के सोर्स के तौर पर काम किया जा सके, जिससे आम जानवरों को बेहतर बनाने के लिए बेहतर जर्मप्लाज्म को बढ़ाने, बचाने और फैलाने में मदद मिलेगी. इसका मकसद बेहतर मीट प्रोडक्शन के लिए आम देसी भेड़ और बकरियों की आबादी को बेहतर बनाना है.

तमिलनाडु में 1.43 करोड़ भेड़ और बकरियों की संख्या

20वीं लाइवस्टॉक सेंसस के मुताबिक तमिलनाडु में भेड़ों की आबादी 45 लाख और बकरियों की आबादी 98 लाख दर्ज की गई है. मेचेरी, किलाकारिसल, वेम्बूर, कोयंबटूर, मद्रास रेड, रामनाड व्हाइट, कच्चीकट्टी ब्लैक, नीलगिरी, तिरुचि ब्लैक और चेवाडू तमिलनाडु में भेड़ की जानी-मानी नस्लें हैं, और कन्नी अडू, कोडी अडू और सलेम ब्लैक राज्य में बकरी की जानी-मानी नस्लें हैं. तमिलनाडु के ज्यादातर लोग मीट खाना पसंद करते हैं और इसीलिए मीट की डिमांड बढ़ गई है.

हर जिले के बाड़े में 20 नर और 200 मादा रहेंगी

पॉलिसी में कहा गया है कि हर जिले में बकरी ब्रीडिंग के लिए एक न्यूक्लियस हर्ड बनाया जाएगा, जिसमें शुरू में देसी नस्लों और स्थानीय किस्मों के 20 नर और 200 मादा को शामिल किया जाएगा. न्यूक्लियस हर्ड में ब्रीडिंग से नर और मादा बच्चे पैदा होंगे, जिन्हें फिर से ग्रोथ रेट, बॉडी स्ट्रक्चर और डैम परफॉर्मेंस जैसे गुणों के आधार पर जांचा जाएगा. इसमें कहा गया है कि चुने हुए बच्चों को आगे ब्रीडिंग के लिए रखा जाएगा, ताकि न्यूक्लियस के अंदर इनब्रीडिंग को सख्ती से रोका जा सके.

ब्रीडिंग बकरे का सीमेन हर जिला, ब्लॉक स्तर पर पहुंचाया जाएगा

पॉलिसी में कहा गया है कि सबसे अच्छा परफॉर्म करने वाले नर बच्चों को ब्रीडिंग बकरे के तौर पर चुना जाएगा और उन्हें नेचुरल सर्विस या आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन (AI) के ज़रिए बड़े पैमाने पर इस्तेमाल के लिए फील्ड या ब्लॉक लेवल पर बांटा जाएगा.

पॉलिसी में एक एक्शन प्लान भी बनाया गया है जिसमें न्यूक्लियस झुंड बनाने, डेटा रिकॉर्डिंग सिस्टम, सीमेन प्रोडक्शन यूनिट, प्योर ब्रीडिंग के लिए एक प्लान, एक एनिमल इन्फॉर्मेशन सिस्टम, लाइवस्टॉक इंश्योरेंस और क्रेडिट प्रोग्राम वगैरह के लिए स्ट्रैटेजी हैं. पॉलिसी में भेड़ और बकरी पालने वालों के लिए कोऑपरेटिव सोसाइटी, बकरे और मेढ़ों के प्रोडक्शन के लिए सर्टिफिकेशन, टेक्निकल कमेटी बनाने वगैरह का भी प्रावधान है.

भेड़-बकरी पॉलिसी पर किसानों और इंडस्ट्री की राय

तमिलनाडु की इस पॉलिसी को स्थानीय किसानों ने सराहा है, क्योंकि नस्ल सुधार में मदद मिलेगी और मीट के साथ ही दूध उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा. जबकि, जिलावार सहकारी समितियों के बनने से किसानों को दूध और मीट की बिक्री में आसानी होगी. इससे उनकी कमाई बढ़ेगी. जबकि, ब्रीडर बकरे से भी उनकी कमाई बढ़ाने में मदद मिलेगी. हालांकि, इंडस्ट्री ने पॉलिसी को लागू करने की साफ नीयत पर संदेह जताया है, लेकिन लागू होने से किसानों को फायदे की बात कही है.

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