ज्वार और मक्का पशुओं के लिए है सबसे पोषक चारा, जानिए इसके जबरदस्त फायदे
पशुओं का स्वास्थ्य, दूध की गुणवत्ता और उत्पादन सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि उन्हें कैसा चारा दिया जा रहा है. ज्वार और मक्का ऐसे चारे हैं जो न सिर्फ सस्ते और आसानी से उपलब्ध होते हैं, बल्कि बेहद पौष्टिक भी हैं.
Dairy Farming: भारत में पशुपालन सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि किसान परिवारों की रोजी-रोटी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. पशुओं का स्वास्थ्य, दूध की गुणवत्ता और उत्पादन सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि उन्हें कैसा चारा दिया जा रहा है. ज्वार और मक्का ऐसे चारे हैं जो न सिर्फ सस्ते और आसानी से उपलब्ध होते हैं, बल्कि बेहद पौष्टिक भी हैं. सही तरीके से उपयोग करने पर ये पशुओं की सेहत को संवारते हैं और दूध उत्पादन में शानदार बढ़ोतरी लाते हैं.
ज्वार क्यों है इतना खास?
ज्वार एक ऐसी फसल है जो भारत के ज्यादातर इलाकों में आसानी से उगाई जाती है. इसके हरे पत्ते और तने पशुओं के लिए उत्तम चारा माने जाते हैं. ज्वार का चारा प्रोटीन, फाइबर, विटामिन A, B कॉम्प्लेक्स, C, कैल्शियम और फास्फोरस से भरपूर होता है.
ये पोषक तत्व पशुओं की मांसपेशियों के विकास, हड्डियों की मजबूती और पाचन क्षमता को बेहतर बनाने में मदद करते हैं. ज्वार के नियमित सेवन से गाय-भैंस अधिक तंदरुस्त रहती हैं और दूध की मात्रा व गुणवत्ता दोनों में सुधार होता है.
ज्वार का प्रमुख लाभ
ज्वार का चारा पचने में हल्का होता है, इसलिए यह पशुओं का पेट साफ रखने में मदद करता है. जिन पशुओं में गैस, अपच या पेट फूलने की समस्या होती है, उनके लिए भी यह एक सुरक्षित चारा माना जाता है.
मक्का- ऊर्जा से भरपूर चारा, जो बढ़ाता है उत्पादन
मक्का पशुओं के लिए ऊर्जा का सबसे बड़ा प्राकृतिक स्रोत माना जाता है. इसमें कार्बोहाइड्रेट की मात्रा अधिक होती है, जो पशुओं को दिनभर सक्रिय, ऊर्जावान और स्वस्थ रखती है. इसके अलावा, मक्का में विटामिन B, विटामिन E, मैग्नीशियम और फॉस्फोरस भी भरपूर होता है.
ये पोषक तत्व पशुओं की मांसपेशियों के विकास, दूध उत्पादन और शरीर की ताकत को बढ़ाते हैं. यही कारण है कि दुधारू पशुओं के लिए मक्का को आदर्श चारे की श्रेणी में रखा जाता है.
मक्का क्यों जरूरी है?
मक्का खिलाने से दूध में फैट और SNF बढ़ता है, जिससे किसान को दूध का बेहतर दाम मिलता है. साथ ही, बछड़ों की वृद्धि भी तेज होती है और वे जल्द ही स्वस्थ और मजबूत बनते हैं.
ज्वार और मक्का को कैसे खिलाएं?
हरे चारे के रूप में
दोनों चरों को हरे रूप में खिलाना सबसे लाभकारी साबित होता है. इनमें पानी और पोषक तत्वों की अधिक मात्रा होती है, जो पशुओं के शरीर को हाइड्रेट और स्वस्थ रखते हैं. हरे चारे से गर्मी के मौसम में हीट स्ट्रेस भी कम होता है और पशु आराम से खा पाते हैं.
सूखा चारा या साइलो चारा
यदि हरा चारा उपलब्ध नहीं है, तो ज्वार और मक्का का सूखा चारा भी प्रयोग किया जा सकता है. कई किसान अब साइलो चारे का उपयोग कर रहे हैं, जिसमें यह चारा सालभर सुरक्षित रहता है और पौष्टिकता भी बनी रहती है.
मिश्रित चारा
ज्वार और मक्का को भूसा, खली, चोकर आदि के साथ मिलाकर खिलाने से संतुलित आहार मिलता है. यह उन पशुओं के लिए बेहद फायदेमंद है जिन्हें ज्यादा उत्पादन की जरूरत होती है.
कितनी मात्रा देनी चाहिए?
पशुओं को चारा उनकी उम्र, वजन और दूध उत्पादन के आधार पर दिया जाना चाहिए. अत्यधिक ज्वार या मक्का खिलाने से पाचन संबंधी परेशानी हो सकती है, इसलिए संतुलित मात्रा में देना बेहतर है. विशेषज्ञ आमतौर पर दुधारू पशुओं को 15–20 किलो हरा चारा और 3–4 किलो सूखा चारा प्रतिदिन देने की सलाह देते हैं.
ज्वार और मक्का से होने वाले बड़े लाभ
- दूध उत्पादन में वृद्धि
- इन चरों का नियमित सेवन दूध की मात्रा, फैट और गुणवत्ता में बड़ा सुधार लाता है.
- पशुओं का स्वास्थ्य बेहतर
- पाचन तंत्र मजबूत होता है, हड्डियां मजबूत रहती हैं और बीमारियों की संभावना कम हो जाती है.
- कम लागत, अधिक फायदा
- ज्वार और मक्का दोनों की खेती लागत कम आती है, इसलिए किसान कम खर्च में पशुओं को पौष्टिक चारा उपलब्ध करा पाते हैं.