किसान रहें ठगों से सावधान, इन 5 तरीकों से आधार को रखें पूरी तरह सुरक्षित

अगर किसान को जरा सा भी शक हो कि उसके आधार का गलत इस्तेमाल हुआ है, तो देर न करें. तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 पर शिकायत करें या UIDAI की हेल्पलाइन 1947 पर संपर्क करें. समय पर शिकायत करने से नुकसान को रोका जा सकता है.

नई दिल्ली | Published: 29 Dec, 2025 | 08:36 AM

Aadhaar card safety: आज के समय में किसान जितना खेत में मेहनत करता है, उतनी ही सावधानी उसे अपने कागजों और पहचान से जुड़े दस्तावेजों को लेकर भी रखनी पड़ती है. बैंक खाता खुलवाना हो, सरकारी योजना का लाभ लेना हो, फसल बीमा कराना हो या फिर पीएम किसान जैसी योजनाओं की किस्त लेनी हो, हर जगह आधार कार्ड जरूरी हो गया है. ऐसे में अगर आधार की जानकारी गलत हाथों में चली जाए, तो किसान को आर्थिक नुकसान के साथ-साथ कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है. यही वजह है कि आधार को सुरक्षित रखना अब खेती जितना ही जरूरी काम बन गया है.

किसानों के लिए आधार सुरक्षा क्यों है बेहद जरूरी

गांवों में आज भी कई किसान ऐसे हैं जो मोबाइल या डिजिटल सेवाओं की पूरी जानकारी नहीं रखते. ठग इसी कमजोरी का फायदा उठाते हैं. फोन कॉल करके, फर्जी लिंक भेजकर या खुद को सरकारी कर्मचारी बताकर वे आधार से जुड़ी जानकारी हासिल करने की कोशिश करते हैं. अगर किसी किसान का आधार डेटा लीक हो जाए, तो उसके बैंक खाते से पैसे निकल सकते हैं, फर्जी सिम निकल सकती है या फिर सरकारी योजनाओं का लाभ भी रुक सकता है. इसलिए समय रहते सावधानी बरतना बेहद जरूरी है.

UIDAI की नई पहल, किसानों को राहत

भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण ने आधार कार्ड धारकों की सुरक्षा को लेकर नए दिशा-निर्देश जारी किए हैं. साथ ही एक नया अपडेटेड आधार ऐप भी लॉन्च किया गया है, जिससे अब लोगों को बार-बार आधार की फोटोकॉपी साथ रखने की जरूरत नहीं पड़ेगी. इस ऐप के जरिए किसान अपने आधार से जुड़ी कई सेवाएं खुद ही मोबाइल पर सुरक्षित तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं.

ओटीपी की अहमियत समझें

आधार से जुड़ी किसी भी सेवा में ओटीपी सबसे आखिरी और मजबूत सुरक्षा कवच होता है. कई बार ठग फोन पर बातों में उलझाकर ओटीपी पूछ लेते हैं. किसानों को यह बात हमेशा याद रखनी चाहिए कि ओटीपी किसी भी हाल में किसी को न बताएं, चाहे वह खुद को बैंक कर्मचारी, बीमा एजेंट या सरकारी अधिकारी ही क्यों न बताए. एक बार ओटीपी चला गया, तो ठग आपके आधार से जुड़ी सेवाओं का गलत इस्तेमाल कर सकता है.

मास्क्ड आधार से बढ़ेगी सुरक्षा

आज के समय में होटल, मोबाइल सिम या किसी निजी काम के लिए आधार दिखाना पड़ता है. ऐसे में पूरा आधार नंबर देने की जरूरत नहीं होती. मास्क्ड आधार में पहले आठ अंक छिपे होते हैं और सिर्फ आखिरी चार अंक दिखाई देते हैं. इससे पहचान भी साबित हो जाती है और आधार नंबर सुरक्षित भी रहता है. किसानों को कोशिश करनी चाहिए कि जहां भी आधार देना हो, वहां मास्क्ड आधार का ही इस्तेमाल करें.

बायोमेट्रिक लॉक से ठगों पर लगेगी रोक

आधार से जुड़े फिंगरप्रिंट और आंखों की पहचान सबसे संवेदनशील जानकारी होती है. UIDAI की वेबसाइट या आधार ऐप के जरिए किसान अपने बायोमेट्रिक डेटा को लॉक कर सकते हैं. इससे कोई भी व्यक्ति बिना अनुमति फिंगरप्रिंट या आईरिस का इस्तेमाल नहीं कर पाएगा. यह सुविधा खासतौर पर उन किसानों के लिए बहुत फायदेमंद है, जो जनसेवा केंद्रों या साइबर कैफे पर जाकर काम करवाते हैं.

सोशल मीडिया से रखें दूरी

कई किसान अनजाने में अपने आधार कार्ड की फोटो व्हाट्सऐप ग्रुप या फेसबुक पर डाल देते हैं. यही एक छोटी सी गलती बड़ा नुकसान करा सकती है. आधार की कॉपी या फोटो कभी भी सोशल मीडिया या किसी खुले प्लेटफॉर्म पर शेयर नहीं करनी चाहिए. ठग इन तस्वीरों का इस्तेमाल फर्जी कामों में कर सकते हैं.

शक हो तो तुरंत करें शिकायत

अगर किसान को जरा सा भी शक हो कि उसके आधार का गलत इस्तेमाल हुआ है, तो देर न करें. तुरंत साइबर क्राइम हेल्पलाइन 1930 पर शिकायत करें या UIDAI की हेल्पलाइन 1947 पर संपर्क करें. समय पर शिकायत करने से नुकसान को रोका जा सकता है.

सतर्क किसान, सुरक्षित किसान

आज खेती के साथ-साथ कागजी और डिजिटल सुरक्षा भी किसान की जिम्मेदारी बन गई है. थोड़ी सी सावधानी और सही जानकारी से आधार जैसे अहम दस्तावेज को सुरक्षित रखा जा सकता है. याद रखें, जैसे खेत की रखवाली जरूरी है, वैसे ही आधार की सुरक्षा भी जरूरी है, क्योंकि यही आपकी पहचान और हक की चाबी है.

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