Air Pollution: दिल्ली नहीं बनेगी गैस चैंबर, एनकैप-2.0 को असरदार बनाने के लिए 58 संगठन एकजुट

‘श्वेत पत्र’ में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से सिफारिश की गई है कि एनकैप 2.0 का दायरा 130 शहरों से आगे बढ़ाया जाए. शहरी, अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों को भी इसके दायरे में लाया जाए.

नोएडा | Updated On: 20 Aug, 2025 | 02:34 PM

वायु प्रदूषण के चलते राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली को गैस चेंबर बनने से बचाने के साथ ही देश के कई बड़े शहरों को साफ हवा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से देश के 58 संगठन एकजुट हुए हैं. ये संगठन राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (एनकैप) को अगले फेज एनकैप-2.0 में और अधिक असरदार बनाने के लिए काम करेंगे. इन सभी संगठनों ने मिलकर एक ‘श्वेत-पत्र’ तैयार किया है, जिसमें एनकैप-2.0 के लिए जरूरी प्राथमिकताओं को रेखांकित करते हुए कई महत्त्वपूर्ण सिफारिशें की गई हैं. अगर सिफारिशें लागू हो जाती हैं, तो दिल्ली सहित देश के सभी शहरों को गैस चैंबर बनने से रोका जा सकता है. इससे आम जनता को अक्टूबर-नवंबर में प्रदूषण से होने वाली परेशानी से राहत मिलेगी.

दरअसल, एनकैप में शामिल अधिकांश शहरों में राष्ट्रीय वायु गुणवत्ता मानकों का अब भी लगातार उल्लंघन हो रहा है. जबकि, देश के ग्रामीण क्षेत्रों में तो वायु गुणवत्ता निगरानी का कोई बंदोबस्त ही नहीं है. इसके चलते देश में अब तक वायु प्रदूषण लोगों के हेल्थ के लिए खतरा बना हुआ है. यही वजह है कि 58 संगठनों ने एकजुट होकर एक ‘श्वेत पत्र’ तैयार किया है, ताकि एनकैप-2.0 को इतना असरदार बनाया जा सके कि देश की 146 करोड़ की आबादी साफ हवा में सांस ले पाए.

इन संगठनों ने मिलकर ‘श्वेत पत्र’ को अंतिम रूप दिया

 79वें स्वतंत्रता दिवस पर एकता के प्रतीक रूप में इन संगठनों ने मिलकर ‘श्वेत पत्र’ को अंतिम रूप दिया है. देश में यह अपनी तरह की ऐसी पहली संयुक्त पहल है. इस ‘श्वेत पत्र’ में वायु गुणवत्ता क्षेत्र के जाने-माने विशेषज्ञों द्वारा समय-समय पर की गई व्यावहारिक सिफारिशों को शामिल किया गया है. इसे बनाने की कवायद मार्च-2025 में शुरू की गई थी. इसके बाद कई दौर की बैठकों में सामूहिक विचार-विमर्श, परामर्श के जरिए अंतिम सिफारिशें मंजूर की गईं. 

‘श्वेत पत्र’ पर दस्तखत करने वालों में पर्यावरण समूह, जनस्वास्थ्य के क्षेत्र में आवाज बुलंद करने वाले संगठन, वैज्ञानिक, शोधकर्ता और नागरिक समाज के संगठन, शामिल हैं. यह ‘श्वेत पत्र’ एनकैप के निदेशक पझनियांदी वेलायुधन पिल्लई (आईआरएस) को भेजा गया है. 

ये हैं प्रमुख सिफारिशें

भौगोलिक पहुंच का विस्तार : ‘श्वेत पत्र’ में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से सिफारिश की गई है कि एनकैप 2.0 का दायरा 130 शहरों से आगे बढ़ाया जाए. शहरी, अर्ध-शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों को भी इसके दायरे में लाया जाए. इसके लिए एयरशेड-आधारित दृष्टिकोण (एप्रोच) का उपयोग किया जाए. साथ ही, राज्यव्यापी वायु गुणवत्ता निगरानी को बढ़ाया जाए.

 गवर्नेंस मॉडल को मजबूत करना : एक मिला-जुला गवर्नेंस मॉडल अपनाया जाए. इसमें राज्यों के पर्यावरण विभागों को नोडल एजेंसी बनाया जाए. क्षेत्रवार जवाबदेही तय करने तथा क्रॉस रीजनल कोऑर्डिशन (अंतर-क्षेत्रीय समन्वय) सुनिश्चित करने के लिए इस गवर्नेंस मॉडल को प्रदूषण नियंत्रण मंडलों और शहरी स्थानीय निकायों का पूरा सहयोग, समर्थन हो. उनकी सक्रिय भागीदारी भी रहे.

क्या है एक्सपर्ट की राय

वहीं, वायु गुणवत्ता विशेषज्ञ डॉ. साग्निक डे का कहना है कि वायु प्रदूषण अब बड़े शहरों से लेकर छोटे-छोटे गांवों तक में रह रहे हर भारतीय परिवार पर असर डाल रहा है. इसीलिए समय आ गया है कि एनकैप 2.0 को एक संवेदनशील नेतृत्त्व गाइड करे. उसमें वैज्ञानिक स्पष्टता हो और उससे संबंधित निगरानी नेटवर्क का ग्रामीण क्षेत्रों तक विस्तार किया जाए. उन्होंने कहा कि हमें यह मानना होगा कि वायु प्रदूषण किन्हीं प्रशासनिक सीमाओं तक सीमित नहीं है. इसलिए यही एकमात्र तरीका है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि साफ हवा में सांस लेने की लड़ाई में कोई भी समुदाय पीछे न छूटे.

Published: 20 Aug, 2025 | 02:22 PM

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