अजित पवार की केंद्र से मांग, चीन से घटिया किशमिश का आयात तुरंत रोके सरकार
पवार ने यह भी चेताया कि यह स्थिति केवल किसानों की आय पर असर नहीं डाल रही, बल्कि केंद्र सरकार को टैक्स चोरी के चलते राजस्व का भी भारी नुकसान हो रहा है.
महाराष्ट्र के अंगूर किसान इन दिनों एक नई और गंभीर चुनौती से जूझ रहे हैं. देश के बाजारों में चीन से आई सस्ती और घटिया किशमिश की बाढ़ आ गई है, जिससे भारतीय किशमिश की कीमतें औंधे मुंह गिर गई हैं. किसान निराश हैं और उनके हाथों से मेहनत की कमाई फिसलती जा रही है. इसे देखते हुए महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर तुरंत हस्तक्षेप की मांग की है.
किशमिश की कीमत में भारी गिरावट, किसानों की कमर टूटी
पुणे की महाराष्ट्र स्टेट ग्रेप ग्रोवर्स एसोसिएशन के अनुसार, हाल के महीनों में बड़ी मात्रा में चीन से घटिया गुणवत्ता की किशमिश भारतीय बाजारों में पहुंच रही है. ये किशमिश अक्सर टैक्स और सीमा शुल्क से बचाकर देश में लाई जा रही हैं, जिससे न सिर्फ बाजार में असंतुलन पैदा हो रहा है, बल्कि किसानों को मिलने वाली कीमतें भी 100 से 125 रुपये प्रति किलो तक गिर गई हैं.
अजित पवार ने केंद्र को लिखे दो पत्र, रखी ये मांगें
द इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार, उपमुख्यमंत्री पवार ने केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर कहा है कि इन अवैध आयातों को रोकने के लिए तुरंत और सख्त कदम उठाए जाएं. उन्होंने यह भी कहा कि पोर्ट, हवाई अड्डों और प्रमुख मंडियों पर गुणवत्ता जांच को मजबूत किया जाए ताकि घटिया सामान देश में घुस ही न सके.
देश को हो रहा दोहरा नुकसान
पवार ने यह भी चेताया कि यह स्थिति केवल किसानों की आय पर असर नहीं डाल रही, बल्कि केंद्र सरकार को टैक्स चोरी के चलते राजस्व का भी भारी नुकसान हो रहा है. यदि सरकार समय रहते कदम नहीं उठाती है, तो किसानों की आर्थिक हालत और भी बदतर हो सकती है.
सीजन में बिगड़ा बाजार, किसानों की मेहनत पर पानी
अंगूर से किशमिश बनने की प्रक्रिया में महीनों की मेहनत और संसाधन लगते हैं. लेकिन जब सीजन के दौरान विदेशी उत्पाद बिना गुणवत्ता या टैक्स जांच के मंडियों में छा जाएं, तो मेहनती किसानों को भारी घाटा उठाना पड़ता है. यही इस साल महाराष्ट्र के किसानों के साथ हुआ है.
बाजार की साख और उपभोक्ता विश्वास पर भी खतरा
घटिया किशमिश की बाढ़ से केवल किसानों को नहीं, बल्कि उपभोक्ताओं को भी नुकसान हो रहा है. बाजार में मिल रही सस्ती लेकिन निम्न गुणवत्ता की किशमिश उपभोक्ता के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है. इसके अलावा, भारतीय उत्पादों की प्रतिष्ठा को भी धक्का पहुंचता है.