भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) से जुड़े संस्थानों ने अब सौंफ (Fennel) की भी कई उन्नत और बेहतर किस्में विकसित की हैं, जो ना सिर्फ ज्यादा उपज देती हैं बल्कि रोगों के प्रति भी सहनशील होती हैं. सौंफ की बढ़ती मांगो के कारण किसान इन किस्मों की खेती से भी अधिक लाभ कमा सकते है.
सौंफ की ये उन्नत किस्में
1. आरएफ 125
यह किस्म को वर्ष 2006 में विकसित किया गया था. इसके पौधे छोटे होते हैं, जिससे खेत की देखभाल में आसानी होती है. इस किस्म दाने लंबे, सुंदर और आकर्षक होते हैं. इसकी खास बात यह है कि यह जल्दी पक जाती है, इसकी औसतन उपज 17 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है.
2. आरएफ 143
इस किस्म को 2007 में विकसित किया गया था. इसके पौधे सीधे और लगभग 116-118 सेमी ऊंचे होते हैं. इसमें 7-8 शाखाएं होती हैं और प्रति पौधा 23 से 62 फूलों के गुच्छे बनते हैं. यह किस्म 140-150 दिनों में तैयार होती है. इसकी औसत उपज 18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें तेल की मात्रा 1.87 प्रतिशत होती है, जो कि सौंफ के मूल्य को बाजार में और भी बढ़ा देती है.
3. आरएफ 101
यह किस्म विशेष रूप से दोमट और काली कपास वाली जमीन के लिए उपयुक्त है. इसके पौधे सीधे और मध्यम ऊंचाई के होते हैं. यह किस्म 150-160 दिनों में पकती है और इसकी उपज क्षमता 15-18 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. इसमें तेल की मात्रा 1.2 प्रतिशत पाई जाती है. इसके अलावा यह किस्म रोगों के प्रति अधिक प्रतिरोधक है और इस पर तेला (एफिड) जैसे कीटों का प्रभाव भी कम होता है. इस किस्म को वर्ष 2005 में विकसित किया गया था.
सौंफ के फायदे
सौंफ का इस्तेमाल स्वाद बढ़ाने के साथ-साथ पाचन को दुरुस्त करने, मुंह की बदबू दूर करने और गर्मी से राहत दिलाने में भी मदद करती है. यही नहीं, आयुर्वेद और यूनानी दवाओं में भी सौंफ का खूब इस्तेमाल होता है.