Bihar Election 2025: पटना साहिब में पलटे समीकरण! क्या शशांत शेखर भेद पाएंगे भाजपा का गढ़!
Patna Sahib Vidhan Sabha Seat: पटना साहिब सीट पर इस बार मुकाबला बेहद रोमांचक हो गया है. नंद किशोर यादव के मैदान से हटने के बाद लड़ाई सीधे बीजेपी के रत्नेश कुमार और कांग्रेस के शशांत शेखर के बीच फंस गई है. पटना साहिब सीट पर शुरुआती राउंड्स में पीछे रहने के बाद बीजेपी ने जोरदार वापसी करते हुए बढ़त बना ली है.
Bihar Election 2025: पटना साहिब विधानसभा सीट पर 7 राउंड की गिनती के बाद बीजेपी के रत्नेश कुमार ने कांग्रेस उम्मीदवार शशांत शेखर को पछाड़ते हुए 4,443 वोटों की बढ़त हासिल कर ली है. कांग्रेस पहले पांच राउंड तक आगे थी, लेकिन गिनती बढ़ते ही तस्वीर बदल गई. वहीं जन सुराज पार्टी की विनिता मिश्रा तीसरे स्थान पर हैं और उनकी जमानत बचना भी मुश्किल दिख रहा है. अब देखने वाली बात होगी कि क्या कांग्रेस का यह नया युवा चेहरा, शशांत शेखर, बीजेपी की मजबूत बढ़त को पछाड़ पाता है या नहीं.
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में पटना साहिब सीट अचानक सुर्खियों में आ गई है. इस बार यहां से कांग्रेस ने एक ऐसा उम्मीदवार उतारा है, जिसने करोड़ों की नौकरी छोड़ जनता की सेवा का रास्ता चुना है — नाम है शशांत शेखर. विदेश की बड़ी कंपनी सीमेंस से 1.5 लाख यूरो (लगभग ₹1.25 करोड़) के सालाना पैकेज का ऑफर ठुकराकर उन्होंने राजनीति में कदम रखा. जहां बाकी युवा विदेश में करियर बना रहे हैं, वहीं शशांत ने कहा — “मेरी शिक्षा का सही उपयोग भारत की जनता की सेवा में ही है.”
शिक्षा और शुरुआती सफर
शशांत शेखर का अकादमिक सफर उतना ही प्रभावशाली है जितना उनका निर्णय. उन्होंने IIT दिल्ली (2014) से इंजीनियरिंग और IIM कोलकाता (2017) से मैनेजमेंट की डिग्री हासिल की. करियर की शुरुआत एक स्टार्टअप से की, फिर सैमसंग जैसी बड़ी कंपनी में काम किया. लेकिन उनका दिल हमेशा बिहार की मिट्टी से जुड़ा रहा. वह कहते हैं, “जहां पैदा हुआ, वहीँ की सेवा करूंगा. बाहर जाकर पैसा कमाना आसान है, लेकिन अपने लोगों का भरोसा जीतना मुश्किल और मैं वही जीतना चाहता हूं.”
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Shashant Shekhar Congress Candidate (Photo Credit: Instagram)
परिवार और राजनीति से जुड़ाव
शशांत राजनीति में नए नहीं हैं. उनका परिवार पहले से राजनीति में सक्रिय रहा है. उनके दादा चार बार चुनाव लड़ चुके हैं. यानी राजनीति उनके खून में है, लेकिन उन्होंने यह रास्ता विरासत में नहीं, विचार में अपनाया. परिवारिक राजनीतिक अनुभव ने उन्हें यह सिखाया कि जनता से जुड़ाव सिर्फ भाषणों से नहीं, मौजूदगी से होता है और यही उन्होंने अपने अभियान में दिखाया.
“आपका बेटा, आपके द्वार” अभियान
कांग्रेस में 2022 में शामिल होने के बाद शशांत ने अपने क्षेत्र में लगातार काम शुरू किया. उन्होंने “आपका बेटा, आपके द्वार” नाम से एक अनोखा अभियान चलाया, जिसके तहत वे अब तक 80,000 घरों तक पहुंच चुके हैं.
इस दौरान उन्होंने लोगों की समस्याएं सुनीं, सुझाव लिए और पटना साहिब के लिए 5 साल का विकास रोडमैप तैयार किया. उनका कहना है, “मेरी राजनीति भाषणों पर नहीं, बातचीत पर चलेगी. जनता की आवाज से ही नीति बनेगी.”
Patna Sahib Congress Candidate Shashant Shekhar (Photo Credit: Instagram)
डेयरी फार्म से आत्मनिर्भरता की मिसाल
शशांत सिर्फ नेता नहीं, बल्कि एक रोजगार निर्माता भी हैं. खुशरुपुर (बख्तियारपुर के पास) में उन्होंने लगभग 80 गायों वाला डेयरी फार्म खोला है. इस डेयरी से न सिर्फ उन्हें आर्थिक स्थिरता मिलती है, बल्कि स्थानीय लोगों को रोजगार भी. शशांत कहते हैं, “यह डेयरी मेरे लिए बिजनेस नहीं, सेवा का जरिया है. इससे कई परिवारों को स्थायी आमदनी मिल रही है.”
नया विजन: जाति नहीं, मुद्दों की राजनीति
पटना साहिब की राजनीति दशकों से जातिगत समीकरणों के इर्द-गिर्द घूमती रही है. लेकिन शशांत का मानना है कि 2025 का चुनाव बदलाव की शुरुआत होगा. उनका कहना है, “अब जनता जाति नहीं, काम देखेगी. बिहार को राजनीति नहीं, विकास चाहिए. कांग्रेस अब योग्यता और प्रदर्शन पर फोकस कर रही है.”
उनका विजन है —
- युवाओं के लिए रोजगार सृजन
- शिक्षा और स्किल डेवलपमेंट में निवेश
- साफ-सुथरा शहरी विकास मॉडल
- स्थानीय उद्योगों को प्रोत्साहन
क्यों हैं शशांत अलग?
जहां अधिकतर नेता राजनीति को करियर मानते हैं, शशांत उसे मिशन कहते हैं. उन्होंने विदेशी सुख-सुविधाओं को त्यागकर बिहार की सड़कों पर जनता के बीच उतरना चुना. उनकी सादगी, तकनीकी सोच और सीधी बातचीत की शैली उन्हें बाकी नेताओं से अलग बनाती है.
Shashant Shekhar (Photo Credit: Instagram)
पटना साहिब में पुरानी सोच बनाम नई सोच की जंग
पटना साहिब सीट पर इस बार मुकाबला बेहद दिलचस्प होने वाला है. यहां भाजपा और कांग्रेस आमने-सामने हैं. भाजपा इस सीट को अपनी परंपरागत मजबूत गढ़ मानती है, जबकि कांग्रेस शशांत शेखर जैसे युवा और शिक्षित चेहरे के सहारे नया समीकरण बनाने की कोशिश में है. भाजपा जहां अपने पुराने वोट बैंक और संगठनात्मक ताकत पर भरोसा कर रही है, वहीं कांग्रेस मुद्दों और शशांत की साफ-सुथरी छवि पर दांव लगा रही है. यह लड़ाई सिर्फ दो दलों की नहीं, बल्कि पुरानी सोच बनाम नई सोच की भी मानी जा रही है और नतीजा तय करेगा कि पटना साहिब की जनता अनुभव को चुनेगी या बदलाव को.
ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि बिहार की राजनीति में शशांत शेखर जैसा पढ़ा-लिखा और युवा चेहरा कितना असर डाल पाता है. करोड़ों की नौकरी छोड़ जनता के बीच आने वाले इस नेता से लोगों की उम्मीदें बड़ी हैं. अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या शशांत अपने विजन और मेहनत के दम पर पटना साहिब जैसी अहम सीट पर जनता का दिल जीत पाएंगे या फिर पारंपरिक राजनीति एक बार फिर भारी पड़ेगी. बिहार के आने वाले चुनाव में इसका जवाब साफ हो जाएगा.