कपास किसानों के लिए वरदान बनी ये मिट्टी, मिलती है ज्यादा उपज और बेस्ट क्वालिटी

काली मिट्टी को रेगुर या कपास मिट्टी भी कहा जाता है. जब जलवायु और तापमान के कारण ज्वालामुखी फटने के बाद जब लावा ठंडा होती है. तब यही लावा चट्टानों में बदल जाता है. यही चट्टानें धीरे-धीरे मिट्टी का रूप ले लेती हैं.

अनामिका अस्थाना
नोएडा | Updated On: 2 May, 2025 | 02:29 PM

क्या आपने कभी सोचा है कि किसी भी फसल की बुवाई में किन बातों का खास ध्यान रखने की जरूरत होती है. किसान अपनी फसल को अच्छा करने के लिए हर संभव कोशिश करते हैं. पोषक तत्वों से लेकर सिंचाई तक फसल को सबकुछ पर्याप्त मात्रा में देते हैं. लेकिन एक और चीज है जो फसल के अच्छे उत्पादन में बेहद ही अहम भूमिका निभाती है. वह है किसान के खेत की मिट्टी. अगर मिट्टी सही नहीं है तो फसल को सारे पोषक तत्व भरपूर और पर्याप्त माा में नहीं मिलेंगे. इसलिए यह बहुत जरूरी है कि किसान कोई भी फसल लगाने से पहले यह सुनिश्चित कर ले कि उसके खेत की मिट्टी उस फसल के लिए सही है या नहीं.

ऐसे बनती है काली मिट्टी

काली मिट्टी को रेगुर या कपास मिट्टी भी कहा जाता है. जब जलवायु और तापमान के कारण ज्वालामुखी फटने के बाद जब लावा ठंडा होती है. तब यही लावा चट्टानों में बदल जाता है. यही चट्टानें धीरे-धीरे मिट्टी का रूप ले लेती हैं. इसके अलावा जब पौधे और जानवर मर जाते हैं तो उनके शरीर सड़कर मिट्टी में मिल जाते हैं . इसके बाद ह्यूमस बनता है जिसके कारण काली मिट्टी का रंग और गहरा हो जाता है और मिट्टी को और उपजाऊ बनाता है. बता दें कि काली मिट्टी कपास के खेती के लिए बेस्ट मानी जाती है इसलिए इसे कपास मिट्टी भी कहा जाता है. इसे कपास किसानों की दोस्त भी कहा जाता है.

काली मिट्टी में उगा सकते हैं ये फसलें

वैसे तो मुख्य तौर पर काली मिट्टी को कपास की खेती के लिए सबसे अच्छा माना जाता है, क्योंकि काली मिट्टी नमी को बनाए रखने में मदद करती है. कपास के अलावा काली मिट्टी में गन्ना, गेहूं, ज्वार, सूरजमुखी, मूंगफसली, अलसी , बाजरा , खट्टे फल जैसे संतरा, नींबू और कई प्रकार की सब्जियां भी उगाई जाती हैं. इसके साथ ही काली मिट्टी तंबाकू और लिलहनी फसलों के लिए भी अच्छी मानी जाती है.

क्यों खास है यह मिट्टी

काली मिट्टी पानी को बहुत अच्छे से सोख लेती है जिसके कारण इसमें उगने वाली फसलों में लंबे समय तक नमी बनी रहती है. काली मिट्टी जब सूखती है तो इसमें दरारें पड़ जाती हैं जो कि खुद मिट्टी को जुताई वाली मिट्टी बना देती है. बता दें कि काली मिट्टी पोषक तत्वों से भरपूर होती है. जैसे मैग्नीशियम, चूना और आयरन जैसे पोषक तत्व इसमें मौजूद होते हैं.

महाराष्ट्र समेत 5 राज्यों में मिलती है

काली मिट्टी मुख्य रूप से भारत के दक्कन पठार इलाकों में पाई जाती है. यह महाराष्ट्र , गुजरात, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में पाई जाती है. भारत के करीब 13 फीसदी हिस्से में काली मिट्टी पाई जाती है.

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Published: 2 May, 2025 | 02:26 PM

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