Kisan Diwas: जिनकी राजनीति की जड़ें खेतों में थीं, किसान दिवस पर जानिए कौन थे चौधरी चरण सिंह?

चौधरी चरण सिंह का नाम भारतीय राजनीति में किसान नेता के रूप में हमेशा विशेष सम्मान के साथ लिया जाता है. वे उन गिने-चुने नेताओं में थे, जिन्होंने ग्रामीण भारत की समस्याओं को जमीन से समझा और उन्हें सत्ता के गलियारों तक पहुंचाया.

नई दिल्ली | Published: 23 Dec, 2025 | 12:48 PM

Kisan Diwas: भारत में हर साल 23 दिसंबर को किसान दिवस मनाया जाता है. यह दिन सिर्फ किसानों के सम्मान का प्रतीक नहीं है, बल्कि उस नेता को याद करने का अवसर भी है जिसने भारतीय राजनीति में किसान को केंद्र में रखा. किसान दिवस पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती पर मनाया जाता है. उन्हें यूं ही “किसानों का प्रधानमंत्री” नहीं कहा जाता, बल्कि यह सम्मान उन्होंने अपने पूरे जीवन के संघर्ष और नीतियों से कमाया.

मिट्टी से जुड़े नेता की कहानी

चौधरी चरण सिंह का जन्म एक साधारण किसान परिवार में हुआ था. बचपन से ही उन्होंने खेत, हल और किसान की मेहनत को बहुत करीब से देखा. यही वजह थी कि राजनीति में आने के बाद भी वे कभी जमीन से नहीं कटे. वे मानते थे कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है और जब तक किसान खुशहाल नहीं होगा, तब तक देश की तरक्की अधूरी रहेगी. उनकी सोच किताबों या फाइलों से नहीं, बल्कि खेतों की मिट्टी से निकली थी.

किसान को सम्मान दिलाने की लड़ाई

चरण सिंह ने अपने राजनीतिक जीवन में हमेशा किसानों के अधिकारों की आवाज बुलंद की. जमींदारी प्रथा को खत्म करने में उनकी अहम भूमिका रही, जिससे किसानों को अपनी जमीन पर हक मिला. वे चाहते थे कि किसान केवल मजदूर न रहे, बल्कि अपनी मेहनत का पूरा लाभ पाए. उनकी नीतियों का मकसद साफ था कि किसानों को कर्ज के बोझ से बाहर निकालना, सिंचाई की बेहतर व्यवस्था करना और फसलों के उचित दाम सुनिश्चित करना.

अल्पकालिक कार्यकाल, लेकिन गहरी छाप

चौधरी चरण सिंह 28 जुलाई 1979 को देश के प्रधानमंत्री बने. उनका कार्यकाल भले ही छोटा रहा, लेकिन उनकी सोच और सिद्धांत आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं. सत्ता में रहते हुए उन्होंने कभी अपने मूल्यों से समझौता नहीं किया. वे मानते थे कि राजनीति का असली उद्देश्य सेवा है, न कि कुर्सी. यही कारण है कि उन्होंने सिद्धांतों के लिए सत्ता छोड़ना बेहतर समझा, लेकिन गलत के आगे झुकना स्वीकार नहीं किया.

गांव और किसान केंद्रित विकास की सोच

चरण सिंह की आर्थिक सोच शहरों और बड़े उद्योगों के बजाय गांवों और खेती पर आधारित थी. उनका मानना था कि अगर गांव मजबूत होंगे, तो देश अपने आप मजबूत हो जाएगा. वे खेती को केवल जीविका का साधन नहीं, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ मानते थे. उन्होंने बार-बार कहा कि भारत का विकास खेतों से शुरू होकर पूरे देश तक पहुंचता है.

किसान दिवस पर प्रधानमंत्री का संदेश

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर अपने संदेश में कहा कि चौधरी चरण सिंह ने अपना पूरा जीवन बेहतर खेती, किसानों की खुशहाली और समाज के वंचित वर्गों के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया. उन्होंने कहा कि राष्ट्र निर्माण में चरण सिंह का योगदान अमूल्य है और कृतज्ञ भारत उनके त्याग और संघर्ष को कभी नहीं भूल सकता. पीएम मोदी के इस संदेश ने एक बार फिर यह याद दिलाया कि आज भी देश की नीतियों में किसान और खेती को केंद्र में रखने की जरूरत है.

आज भी प्रासंगिक है चरण सिंह की विरासत

आज जब किसान कई चुनौतियों से जूझ रहा है, तब चौधरी चरण सिंह की सोच और भी ज्यादा अहम हो जाती है. उनकी विरासत हमें याद दिलाती है कि देश की तरक्की का रास्ता गांवों से होकर गुजरता है. किसान दिवस पर उन्हें याद करना सिर्फ श्रद्धांजलि नहीं, बल्कि उनके सपनों को आगे बढ़ाने का संकल्प भी है.

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