बच्चों की सुरक्षा के लिए सरकार सख्त, बिना प्रिस्क्रिप्शन नहीं मिलेगा अब कफ सिरप
हाल में कफ सिरप से जुड़े कई गंभीर मामले सामने आए. कई देशों में भारतीय कफ सिरप के नमूनों में डाई-एथिलीन ग्लाइकोल (DEG) और ईथिलीन ग्लाइकोल (EG) जैसे खतरनाक रसायन पाए गए, जो बच्चों की मौतों का कारण बने.
देश में बढ़ते दवा संबंधी जोखिमों और बच्चों की लगातार हो रहीं मौतों ने सरकार को सख्त कदम उठाने पर मजबूर कर दिया है. कफ सिरप, जिसे अक्सर हल्के-फुल्के खांसी-जुकाम के इलाज के लिए लोग खुद ही खरीद लेते थे, अब बिना डॉक्टर की पर्ची के उपलब्ध नहीं होगा. सरकार का कहना है कि बच्चों की जिंदगी और स्वास्थ्य किसी भी सुविधा से बढ़कर है, इसलिए दवाओं की मनमानी बिक्री पर लगाम जरूरी थी. यह फैसला लाखों परिवारों के लिए राहत और सतर्कता दोनों संदेश लेकर आया है.
कफ सिरप की बिक्री पर सख्त नियम क्यों लागू किए गए
हाल में कफ सिरप से जुड़े कई गंभीर मामले सामने आए. कई देशों में भारतीय कफ सिरप के नमूनों में डाई-एथिलीन ग्लाइकोल (DEG) और ईथिलीन ग्लाइकोल (EG) जैसे खतरनाक रसायन पाए गए, जो बच्चों की मौतों का कारण बने. गाम्बिया, उज्बेकिस्तान और कैमरून जैसे देशों में कई मासूमों ने दम तोड़ दिया. भारत में भी मध्य प्रदेश में कफ सिरप से जुड़े मामलों ने स्थिति की गंभीरता बढ़ा दी.
इन घटनाओं ने साफ कर दिया कि बिना निगरानी के दवाओं की बिक्री बच्चों के स्वास्थ्य के लिए बहुत बड़ा खतरा बन सकती है. इसी वजह से सरकार ने कफ सिरप की अनियंत्रित बिक्री रोकने के लिए ये बड़ा कदम उठाया.
औषध परामर्श समिति की सिफारिश के बाद लागू हुए नए नियम
सरकार की शीर्ष नियामक औषध परामर्श समिति ने कफ सिरप को उस शेड्यूल से बाहर करने की मंजूरी दी, जहां तक इसे सामान्य निगरानी के साथ बेचा जा सकता था. इसका मतलब है कि अब कफ सिरप खरीदने के लिए डॉक्टर की सलाह अनिवार्य होगी. मेडिकल स्टोरों को हर प्रिस्क्रिप्शन का रिकॉर्ड रखना होगा और दवाओं की गुणवत्ता जांच संबंधी सभी नियमों का कड़ाई से पालन करना होगा.
इस नियम के बाद दवा दुकानों पर नियंत्रण बढ़ेगा, और सरकार को यह समझने में मदद मिलेगी कि कौन-सी दवा कहां, कितनी और किसे बेची गई. यह बच्चों और आम लोगों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.
क्योंकि खतरा केवल मिलावट से नहीं
सिर्फ मिलावट ही नहीं, बल्कि कफ सिरप का गलत उपयोग भी एक बड़ा खतरा बन गया है. कई लोग इसे नशे के रूप में इस्तेमाल कर रहे थे, जबकि कुछ माता-पिता बिना डॉक्टर की सलाह के बच्चों को कफ सिरप दे देते थे. इसके चलते दुष्प्रभाव, एलर्जी और गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही थीं.
स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने साफ कहा कि बच्चों की सुरक्षा सर्वोपरि है. अगर हल्का खांसी-जुकाम भी हो, तो पहले डॉक्टर की सलाह लेना जरूरी है. यह कदम गलत दवा सेवन को कम करेगा और दवाओं के दुरुपयोग पर रोक लगाएगा.
बच्चों की सुरक्षा के लिए सरकार का मजबूत कदम
सरकार का यह फैसला न केवल कफ सिरप की गुणवत्ता और सुरक्षित उपयोग सुनिश्चित करेगा, बल्कि लोगों को खुद से दवाएं खरीदने की आदत से भी दूर करेगा. इससे बच्चों को गलत दवा से होने वाले दुष्प्रभावों और गंभीर हादसों से बचाने में मदद मिलेगी.
यह बदलाव दवाओं की निगरानी व्यवस्था को और मजबूत करेगा और सुनिश्चित करेगा कि हर दवा सही हाथों में और सही तरीके से पहुंचे. आने वाले समय में यह कदम बच्चों की सेहत और जीवन को सुरक्षित रखने की दिशा में एक बड़ा सुधार माना जाएगा.