उत्तर प्रदेश में बर्ड फ्लू का खतरा फिर मंडराने लगा है. गोरखपुर के शहीद अशफाक उल्ला खां प्राणी उद्यान में एच5 एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस की पुष्टि के बाद राज्यभर में अलर्ट जारी कर दिया गया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक कर संक्रमण रोकने के सख्त निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि प्राणी उद्यानों, पक्षी विहारों, वेटलैंड और गो-आश्रय स्थलों में संरक्षित पशु-पक्षियों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए.
यूपी में स्थिति गंभीर
गोरखपुर चिड़ियाघर में अब तक एक बाघ, एक भेड़िया, एक तेंदुआ और एक बाघिन की मौत हो चुकी है. यानी कुल मिलाकर चार पशुओ की मौत हो चुकी है. बाघिन ‘शक्ति’ में H5 वायरस की पुष्टि हुई है. बब्बर शेर ‘पटौदी’ की हालत गंभीर है. चिड़ियाघर को आम जनता के लिए बंद कर दिया गया है और सभी जानवरों की स्क्रीनिंग की जा रही है.
उत्तर प्रदेश के अलावा केरल, महाराष्ट्र, दिल्ली, हिमाचल और पंजाब जैसे राज्यों में भी पहले इस वायरस के मामले सामने आ चुके हैं. केंद्र और राज्य सरकार की कई एजेंसियां जैसे भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (बरेली), NIHSAD भोपाल और केंद्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं.
क्या है H5 एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस?
H5 एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस, जिसे बर्ड फ्लू भी कहा जाता है. यह एक वायरल संक्रमण है जो मुख्य रूप से पक्षियों को प्रभावित करता है. यह वायरस इन्फ्लूएंजा ए टाइप का एक भाग है जो कुछ जानवरों और मनुष्यों में भी संक्रमण का कारण बन सकता है. लेकिन कुछ मामलों में यह जानवरों और इंसानों तक भी पहुंच सकता है. इतना ही नहीं इंसानों में यह वायरस बुखार, खांसी, गले में खराश और सांस लेने में तकलीफ जैसे लक्षण पैदा कर सकता है.हालांकि यह बहुत कम बार देखा गया है. यह वायरस संक्रमित पक्षियों के मल, लार और स्राव से फैलता है.
कैसे बचें H5 एवियन इन्फ्लूएंजा से?
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने H5 एवियन इंफ्लूएंजा को गंभीरता से लेते हुए प्राणी उद्यान परिसरों की नियमित सैनेटाइजेशन और ब्लो टॉर्चिंग के निर्देश दिए हैं. सभी पशु-पक्षियों की स्वास्थ्य जांच और भोजन की कड़ी निगरानी का आदेश दिया गया है. कर्मचारियों को पीपीई किट और पूरी जानकारी से लैस किया जाएगा. पोल्ट्री फार्म और उत्पादों की आवाजाही पर भी सख्त नजर रखी जाएगी ताकि वायरस मानव समाज तक न पहुंचे. साथ ही केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण, स्वास्थ्य मंत्रालय और संबंधित संस्थानों से लगातार संपर्क कर जरूरी सुझावों को लागू करने का निर्देश दिया गया है.