गमले में मूंगफली उगाने का आसान फार्मूला, मिलेगी कम जगह में भरपूर पैदावार
मूंगफली को बहुत ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती. मिट्टी को बस इतना नम रखना जरूरी है कि वह सूखे नहीं. ज्यादा पानी देने से जड़ें सड़ सकती हैं और पौधा खराब हो सकता है. धूप मूंगफली के लिए सबसे अहम है, इसलिए गमले को ऐसी जगह रखें जहां दिन में कम से कम 6 से 8 घंटे सीधी धूप मिले.
Gardening Tips: आज के समय में जब मिलावटी खाद्य पदार्थों को लेकर लोगों की चिंता बढ़ती जा रही है, तब घर पर ही सब्जियां और फसल उगाने का चलन तेजी से बढ़ रहा है. छत पर किचन गार्डन अब सिर्फ शौक नहीं, बल्कि सेहतमंद जीवन की जरूरत बनता जा रहा है. इन्हीं फसलों में एक नाम मूंगफली का भी है, जिसे आप बहुत आसानी से अपने घर की छत या बालकनी में गमले के जरिए उगा सकते हैं. थोड़ी सी देखभाल और सही जानकारी के साथ घर में उगी मूंगफली न सिर्फ स्वाद में बेहतर होती है, बल्कि पूरी तरह ऑर्गेनिक भी होती है.
मूंगफली क्यों है छत पर उगाने के लिए बेहतरीन विकल्प
मूंगफली एक ऐसी फसल है जिसे ज्यादा जगह या ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती. यह गर्म मौसम में अच्छी तरह बढ़ती है और छत पर पर्याप्त धूप मिलने से इसका विकास और भी बेहतर होता है. बाजार की मूंगफली के मुकाबले घर में उगी मूंगफली ज्यादा ताजी, स्वादिष्ट और पोषक तत्वों से भरपूर होती है. इसमें प्रोटीन, फाइबर और हेल्दी फैट भरपूर मात्रा में होते हैं, जो बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक सभी के लिए फायदेमंद हैं.
सही मौसम और समय का चुनाव
मूंगफली की बुवाई के लिए मार्च से जून का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है. इस दौरान तापमान लगभग 25 से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है, जो बीज के अंकुरण के लिए आदर्श होता है. अगर मौसम बहुत ठंडा या ज्यादा नम हो तो बीज सही तरीके से नहीं उग पाते. इसलिए सही समय का चुनाव करना बहुत जरूरी है.
मिट्टी की तैयारी से तय होती है फसल की सेहत
मूंगफली की अच्छी पैदावार के लिए हल्की और भुरभुरी मिट्टी सबसे जरूरी होती है. छत पर गमले में खेती करने के लिए साधारण मिट्टी में रेत मिलाना फायदेमंद रहता है. मिट्टी और रेत का संतुलन पौधे की जड़ों को फैलने में मदद करता है और फली बनने की प्रक्रिया को आसान बनाता है. जैविक खाद जैसे केंचुआ खाद या सड़ी हुई गोबर खाद मिलाने से पौधे को शुरुआती पोषण मिलता है और रासायनिक खाद की जरूरत नहीं पड़ती.
बीज बोने की आसान प्रक्रिया
घर पर मूंगफली उगाने के लिए आप कच्ची और साबुत मूंगफली का इस्तेमाल कर सकते हैं. बुवाई से एक दिन पहले बीज को हल्के पानी में भिगो देने से अंकुरण जल्दी होता है. इसके बाद गमले में सही गहराई पर बीज बोकर ऊपर से मिट्टी डाल दी जाती है. थोड़ी दूरी रखने से पौधों को बढ़ने की पर्याप्त जगह मिलती है और जड़ें आपस में उलझती नहीं हैं.
पानी, धूप और रोजमर्रा की देखभाल
मूंगफली को बहुत ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती. मिट्टी को बस इतना नम रखना जरूरी है कि वह सूखे नहीं. ज्यादा पानी देने से जड़ें सड़ सकती हैं और पौधा खराब हो सकता है. धूप मूंगफली के लिए सबसे अहम है, इसलिए गमले को ऐसी जगह रखें जहां दिन में कम से कम 6 से 8 घंटे सीधी धूप मिले. नियमित रूप से पौधे की जांच करते रहें और सूखी पत्तियों को हटा दें.
फूल से फली तक का रोचक सफर
बुवाई के लगभग एक महीने बाद पौधे में छोटे-छोटे पीले फूल आने लगते हैं. यही मूंगफली की सबसे दिलचस्प प्रक्रिया होती है. फूल झड़ने के बाद उसकी डंडी मिट्टी में प्रवेश करती है और वहीं फली बनती है.
सही समय पर कटाई से मिलेगी बेहतर मूंगफली
जब पौधे की पत्तियां पीली पड़ने लगें, तब समझ लें कि मूंगफली तैयार हो चुकी है. पौधे को धीरे-धीरे उखाड़कर मिट्टी हटाएं और फलियों को अलग कर लें. कुछ दिनों तक धूप में सुखाने के बाद मूंगफली पूरी तरह इस्तेमाल के लिए तैयार हो जाती है.