आज ही करें ‘हरा सोना’ की बुवाई, दो महीने तक नहीं होगी घास कमी.. खाते ही बढ़ जाता है पशुओं का दूध
यह घास बहुत पौष्टिक होती है. एक बार बोने पर इसकी 5 से 7 बार तक कटाई की जा सकती है. यह फसल ठंडे मौसम में सबसे अच्छी बढ़ती है और बुवाई के करीब 55 से 60 दिन बाद पहली कटाई हो जाती है. इसके बाद हर 25 से 30 दिन में अगली कटाई की जा सकती है.
Berseem Grass: नवंबर महीने के आगमन के साथ ही सर्दी की दस्तक हो गई है. इसके साथ ही हरी घास की समस्या भी बढ़ने वाली है. क्योंकि मॉनसून के दौरान बोई गई घास अब खत्म हो गई है. अगर दुधारू मवेशियों को चारे में हरी घास नहीं दी, तो दूध उत्पादन भी प्रभावित हो सकता है. ऐसे में किसानों की कमाई पर असर पड़ सकता है. पर किसानों को चिंता करने की जरूरत नहीं है. आज हम घास की एक ऐसी किस्म के बारे में चर्चा करने जा रहे हैं, जिसकी बुवाई कर पर करीब दो महीने में कटाई के लिए तैयार हो जाती है. इसे खिलाने से पशुओं की दूध देने की कैपेसिटी बहुत अधिक बढ़ जाती है.
दरअसल, हम जिस घास के बारे में बात करने जा रहे हैं, उसका नाम बरसीम है. इस घास को खिलाते ही मवेशी ज्यादा दूध देने लगते हैं. खास बात यह है कि बरसीम को एक बार बोने पर यह महीनों तक हरा चारा देता है. किसान कई बार इस खास की कटाई कर सकते हैं. यानी दो से तीन महीने तो पशुपालकों के लिए घास की चिंता नहीं रहेगी. यही वजह है कि बरसीम को ‘हरा सोना’ भी कहा जाता है.
इतनी बार कर सकते हैं बरसीम की कटाई
कृषि एक्सपर्ट के मुताबिक, बरसीम घास बहुत पौष्टिक होती है. एक बार बोने पर इसकी 5 से 7 बार तक कटाई की जा सकती है. यह फसल ठंडे मौसम में सबसे अच्छी बढ़ती है और बुवाई के करीब 55 से 60 दिन बाद पहली कटाई हो जाती है. इसके बाद हर 25 से 30 दिन में अगली कटाई की जा सकती है. यानी दो महीने तक हरी घास की कोई कमी नहीं होगी. बरसीम में लगभग 20 फीसदी प्रोटीन होता है, जो पशुओं की सेहत और दूध उत्पादन दोनों के लिए जरूरी है. यह गाय, भैंस, बकरी और भेड़ सभी के लिए पौष्टिक चारा है. इसे खिलाने से पशुओं का पाचन तंत्र बेहतर होता है और दूध में वसा की मात्रा भी बढ़ती है.
10-12 दिन पर करते रहें हल्की सिंचाई
बरसीम की खेती के लिए दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है, जिसमें पानी की निकासी सही हो. इसकी बुवाई अक्टूबर से दिसंबर के बीच की जा सकती है. एक एकड़ खेत के लिए 20 से 25 किलो बीज पर्याप्त होता है. अच्छे परिणाम के लिए बुवाई से पहले खेत में गोबर की खाद डालें और मिट्टी को भुरभुरी कर लें. बरसीम को ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती. पहली सिंचाई बुवाई के 4-5 दिन बाद करें और फिर हर 10-12 दिन में हल्की सिंचाई करें. कीटों से बचाव के लिए नीम के छिड़काव या गोमूत्र आधारित द्रव जैसे जैविक उपाय अपनाएं. बरसीम की खासियत यह है कि यह मिट्टी की उर्वरता बढ़ाता है, क्योंकि यह हवा में मौजूद नाइट्रोजन को मिट्टी में स्थिर करता है, जिससे अगली फसलों को भी फायदा होता है.