पोषक तत्वों से भरपूर है मूंगफली की ये किस्म, सूखे में भी देती है अच्छी पैदावार

मूंगफली की किस्म K-1812 को कादिरी लेपाक्षी के नाम से जाना जाता है. यह एक उन्नत किस्म है, जो सूखे और कई तरह के कीटों के प्रति सहनशील है. यही कारण है कि इसकी खेती किसानों के बीच काफी लोकप्रिय है.

नोएडा | Updated On: 2 Aug, 2025 | 01:49 PM

भारत में मूंगफली न केवल एक प्रमुख तिलहन फसल है, बल्कि किसानों की कमाई का महत्वपूर्ण स्रोत भी है. देश के अलग-अलग हिस्सों में इसकी कई किस्मों की खेती की जाती है. मूंगफली की मांग सालभर बाजार में रहती है जिसके कारण किसान इसकी खेती बड़े पैमाने पर करते हैं. मूंगफली की फसल से अच्छी पैदावार और कमाई करने के लिए जरूरी है कि किसान इसकी उन्नत क्वालिटी की किस्मों का चुनाव करें. वैसे तो मूंगफली की कई तरह की उन्नत किस्में हैं जिनमें से एक किस्म है मूंगफली (के- 1812) (Groundnut K-1812). ये मूंगफली की ऐसी किस्म है जो सूखे इलाकों में भी अच्छी पैदावार देती है. दक्षिण भारत में किसानों के बीच इस किस्म की खेती काफी लोकप्रिय है.

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आज के समय में किसान पारंपरिक फसलों की खेती छोड़ व्यावसायिक फसलों की खेती कर रहे हैं ताकि उनकी आमदनी में अच्छी बढ़त हो सके. लेकिन देश में खेती करने वाले छोटे किसानों के सामने व्यावसायिक खेती करने से पहले कई तरह की समस्याएं आती हैं, खासतौर पर आर्थिक समस्या.इन्हीं किसानों की समस्याओं को देखते हुए राष्ट्रीय बीज निगम (National Seed Corporation) इन फसलों के बीज खुले बाजार से कम कीमतों पर उपलब्ध कराता है. मूंगफली (के- 1812) (Groundnut K-1812) के 20 किलोग्राम बीज का पैकेट खुले बाजार में 2750 रुपये का है जबकि बीज निगम यही पैकेट मात्र 2280 रुपये में उपलब्ध करा रहा है. किसान चाहें तो घर बैठे इसके बीज ऑनलाइन मंगवा सकते हैं.

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मूंगफली की इस किस्म की खासियत

मूंगफली K-1812 जिसे कादिरी लेपाक्षी के नाम से जाना जाता है, एक उन्नत किस्म है जो सूखे और कई तरह के कीटों के प्रति सहनशील है. यही कारण है कि इसकी खेती किसानों के बीच काफी लोकप्रिय है. इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि इसमें प्रोटीन, मैग्नीशियम, विटामिन और अन्य कई तरह के पोषण तत्व मौजूद हैं. मूंगफली K-1812 को आंध्र प्रदेश में कृषि अनुसंधान केंद्र द्वारा विकसित किया गया है. इसकी खेती दक्षिण भारत के राज्यों में ज्यादा लोकप्रिय है जैसे आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, तमिलनाडु आदि. बात करें इस किस्म की पैदावार की तो इसकी प्रति हेक्टेयर फसल से किसानों को औसतन 35 क्विंटल तक पैदावार मिल सकती है.

Published: 2 Aug, 2025 | 12:12 PM

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