Wheat sowing: उत्तर प्रदेश, बिहार और राजस्थान सहित कई राज्यों में अभी खरीफ फसलों की कटाई चल रही है. इसके साथ ही किसान रबी फसल की बुवाई की तैयार में भी जुट गए हैं. इसलिए किसानों को रबी बुवाई से पहले वैज्ञानिकों की सलाह को जरूर जान लेना चाहिए. क्योंकि कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि किसानों को फसल चक्र अपनाने की जरूरत है. इससे न सिर्फ मिट्टी की उर्वरता बनी रहती है, बल्कि पैदावार भी बढ़ोतरी होगी. खास कर किसानों के लिए सिंचाई की सुविधा को ध्यान में रखते हुए फसल का चयन करना बेहतर होगा. अगर किसान चना, मूंग, गेहूं, जौ, सरसों और मसूर जैसी फसलें रबी में बुवाई करते हैं तो ज्यादा फायदेमंद रहेगा.
एक्सपर्ट का कहना है कि फसल का चयन सिंचाई की सुविधा को ध्यान में रखकर करना चाहिए. खासकर राजस्थान के किसानों के लिए यह खबर बहुत जरूरी है. क्योंकि राजस्थान को चार कृषि जोनों में बांटा गया है, जिसमें पश्चिमी शुष्क, उत्तर-पूर्वी अर्ध शुष्क, दक्षिण-पूर्वी आर्द्र और दक्षिणी आर्द्र क्षेत्र शामिल हैं. हर जोन की मिट्टी, बारिश और तापमान अलग होता है, इसलिए वहां का फसल चक्र भी अलग होता है. जहां सिंचाई की अच्छी व्यवस्था है, वहां कपास के बाद चना या मूंग, और मूंगफली के बाद गेहूं या जौ बोना फायदेमंद रहेगा. ये फसलें हल्की ठंड और नियंत्रित नमी में अच्छी होती हैं.
जौ या सरसों बोना बेहतर रहेगा
वहीं, पानी की कमी वाले इलाकों में बाजरा के बाद चना या ग्वार-मूंग के बाद जौ या सरसों बोना बेहतर विकल्प है, जिससे पानी की बचत के साथ मिट्टी की सेहत भी बनी रहती है. एग्रीकल्चर एक्सपर्ट का कहना है कि फसल चक्र अपनाने से न सिर्फ फसल का उत्पादन बढ़ता है, बल्कि कीट और बीमारियों का असर भी कम होता है. इसके अलावा, इससे मिट्टी में नाइट्रोजन का संतुलन बना रहता है. उदाहरण के तौर पर, चना और मूंग जैसी दलहनी फसलों के बाद जब गेहूं या जौ बोया जाता है, तो मिट्टी में प्राकृतिक नाइट्रोजन की मात्रा बढ़ जाती है. इससे अगली फसल को ज्यादा खाद की जरूरत नहीं पड़ती.
मिट्टी की जांच है बहुत जरूरी
वहीं, कृषि जानकारों की सलाह है कि किसान अपनी मिट्टी की जांच रिपोर्ट के आधार पर फसल का चुनाव करें. जिन इलाकों में पानी की कमी है, वहां ड्रिप या स्प्रिंकलर जैसी जल-संरक्षण तकनीकों का इस्तेमाल करना चाहिए. इसके साथ ही खेत की मेढ़ों पर पेड़-पौधे लगाकर मिट्टी के कटाव को रोका जा सकता है. एक्सपर्ट के मुताबिक, राजस्थान में रबी सीजन की बुवाई नवंबर की शुरुआत से शुरू हो जाएगी. ऐसे में कृषि विभाग ने किसानों से अपील की है कि वे फसल चक्र अपनाएं और वैज्ञानिक तरीके से खेती करें. इससे फसल का उत्पादन बढ़ेगा, लागत कम होगी और मिट्टी की गुणवत्ता भी बनी रहेगी.