सूखे में भी 12 क्विंटल तक पैदावार देती है काली मूंग, नई किस्म 65 दिनों में हो जाती है तैयार

काली मूंग की इस किस्म की सबसे बड़ी खासियत है कि सूखे की स्थिति में भी किसान इसकी फसल से करीब 11 से 12 क्विंटल तक पैदावार ले सकते हैं.

नोएडा | Updated On: 11 Aug, 2025 | 09:38 PM

काली मूंग (Black Gram) दलहनी फसलों की प्रमुख फसलों में से एक है. बाजार में सालभर इसकी मांग बनी रहती है जिसके कारण किसान भी इसकी खेती बड़े पैमाने पर करते हैं. काली मूंग की खेती से न केवल किसानों को अच्छा उत्पादन मिलता है बल्कि ये उनकी कमाई का भी अच्छा जरिया है. काली मूंग में प्रोटीन की अच्छी मात्रा होती है जो कि इसे सेहत के लिए काफी फायदेमंद बनाती है. कालूी मूंग की ऐसी ही एक उन्नत क्वालिटी की किस्म है कालू मूंग टी-9 (Black Gram T-9) जिसे उड़द टी-9 भी कहते हैं. इस किस्म की खासियत है कि सूखे की स्थिति में भी इसकी खेती से 12 क्विंटल तक पैदावार मिल सकती है. किसान चाहें तो इसके बीज सस्ते में ऑनलाइन मंगवा सकते हैं

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खरीफ सीजन की शुरुआत होते ही किसान दलहनी फसलों की खेती में लग जाते हैं. राज्य सरकारें भी अपने-अपने प्रदेश के किसानों को लगातार दलहनी फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित करते रहते हैं. किसानों को खेती में किसी भी तरह की दिकक्त न आए इसके लिए सरकार की तरफ से हर तरह की मदद मुहैया कराई जाती है. इसी कड़ी में राष्ट्रीय बीज निगम (National Seed Corporation) इन फसलों के बीज बाजार से कम कीमतों पर उपलब्ध कराता है. काली मूंग T-9 के 5 किलोग्राम बीज का पैकेट बाजार में 1040 रुपये में मिलता है जबकि बीज निगम यही पैकेट मात्र 866 रुपये में उपलब्ध कराता है.

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पैदावार और खासियत

काली मूंग की इस किस्म की सबसे बड़ी खासियत है कि सूखे की स्थिति में भी किसान इसकी फसल से करीब 11 से 12 क्विंटल तक पैदावार ले सकते हैं. खेती के लिहाज से किसानों के बीज काली मूंग टी-9 काफी लोकप्रिय है क्योंकि ये खरीब और रबी दोनों सीजनों में उगाई जा सकती है. ये जल्दी पकने वाली दलहनी फसल है जो कि बुवाई के करीब 60 से 65 दिनों में पककर तैयार हो जाती हैं. इसके अलावा काली मूंग टी-9 पीले मोजेक वायरस और झुलसा रोग के प्रति सहनशील भी है.

Published: 12 Aug, 2025 | 06:00 AM

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