राष्ट्रीय गोकुल मिशन से दूध उत्पादन में 63 फीसदी की बढ़ोतरी, गर्भाधान मामलों में भी सुधार

राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत भारत में दूध उत्पादन में 63.55 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. प्रति पशु दूध उत्पादकता 26.34 फीसदी बढ़ी, जिससे भारत गोजातीय उत्पादकता में दुनिया का पहला देश बन गया है.

नोएडा | Updated On: 1 Aug, 2025 | 06:00 PM

देश में पशुपालन और डेयरी क्षेत्र को मजबूत बनाने के लिए भारत सरकार ने राष्ट्रीय गोकुल मिशन की शुरुआत की है. यह योजना राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के प्रयासों को सहयोग देती है. इसका मुख्य उद्देश्य स्वदेशी नस्लों का संरक्षण, मवेशियों की नस्लों का उन्नयन और दूध उत्पादन में सुधार करना है. यह मिशन 2014-15 से चल रहा है और अब तक इसने कई बड़े बदलाव लाए हैं.

दूध उत्पादन में रिकॉर्ड बढ़ोतरी

केंद्रीय मत्स्य एवं पशुपालन मंत्रालय के अनुसार 2014-15 में प्रति पशु प्रति वर्ष औसतन 1640 किलो दूध उत्पादन होता था, जो अब 2023-24 में बढ़कर 2072 किलो हो गया है. यह 26.34 फीसदी की वृद्धि है और यह दुनिया में सबसे तेज वृद्धि मानी जा रही है.

कृत्रिम गर्भाधान से नस्लों में सुधार

50 प्रतिशत से कम कृत्रिम गर्भाधान कवरेज वाले जिलों में केंद्र सरकार ने पशुओं के लिए गर्भाधान सुधार कार्यक्रम शुरू किया है. इस योजना के तहत किसानों के घर तक जाकर मुफ्त में गर्भाधान सेवाएं दी जा रही हैं.

देशी नस्लों के सांडों का चयन

गिर, साहीवाल, थारपारकर, कांकरेज जैसी देशी नस्लों के सांडों को वैज्ञानिक तरीकों से चुना जा रहा है। इन सांडों का वीर्य उच्च गुणवत्ता का होता है, जिससे नस्लों का स्तर सुधर रहा है.

आधुनिक तकनीक से नस्ल सुधार

गोकुल मिशन के तहत अब आईवीएफ (IVF), लिंग-छंटाई वीर्य और जीनोमिक चयन जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग किया जा रहा है. इससे पशुओं की अगली पीढ़ी ज्यादा उत्पादक और स्वस्थ बन रही है.

ग्रामीण युवाओं को प्रशिक्षण और रोजगार

इस योजना से न सिर्फ पशुपालकों को फायदा हो रहा है, बल्कि ग्रामीण युवाओं को भी रोजगार मिल रहा है. उन्हें गर्भसहायक के रूप में प्रशिक्षित किया जा रहा है.

Published: 1 Aug, 2025 | 06:00 PM

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