चूहों का आतंक इस कदर किसानों ने शायद ही पहले देखा होगा. चूहों के झुंड ने 1700 हेक्टेयर में खड़ी फसल को बर्बाद कर दिया है. चूहों के आतंक का खामियाजा 180 गांवों के 5 हजार किसानों को फसल बर्बादी के रूप में झेलना पड़ा है. मामला मिजोरम के मामित समेत कई जिलों का है. कृषि विभाग के अधिकारी ने कहा है कि चूहे बांस की फसल में आए फूलों को खा गए हैं, जिससे फसल बर्बाद हो गई है. चूहों को यह फूल बहुत पसंद होते हैं. इससे पहले 2022 और 2009 में भी चूहों का आतंक देखा गया था.
मिजोरम में चूहों के प्रकोप से 5000 से ज्यादा किसान को भयंकर नुकसान
मिजोरम के मामित जिले के एग्रीकल्चर डिपार्टमेंट के एक अधिकारी ने पीटीआई के बताया कि इस साल मिजोरम में 5,000 से ज्यादा किसानों की फसल का लगभग 42 फीसदी हिस्सा चूहों के प्रकोप की वजह से बर्बाद हो गया है. यहां के डिप्टी डायरेक्टर (प्लांट प्रोटेक्शन) लालरिंडिकी ने कहा कि ‘बंबूसा तुल्दा’ नाम की बांस की एक प्रजाति के झुंड में फूल आने से चूहों के प्रकोप ने राज्य के सभी 11 जिलों के 180 गांवों में 1700 हेक्टेयर से ज्यादा खेती को बर्बाद कर दिया है.
अधिकारी ने कहा- चूहों का रोकथाम किया जा रहा
डिप्टी डायरेक्टर (प्लांट प्रोटेक्शन) लालरिंडिकी ने कहा कि इस प्रकोप से 5,317 किसान प्रभावित हुए हैं, जिनकी 42.06 परसेंट फसल बर्बाद हो गई है. उन्होंने कहा कि बड़े पैमाने पर जहर देने की मुहिम और बचाव के दूसरे उपायों की वजह से यह प्रकोप कमोबेश काबू में है. कटाई का समय खत्म होने के साथ ही चूहों की आबादी भी लगातार कम हो रही है
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लुंगलेई के 1071 किसानों की 60 फीसदी फसलें बर्बाद
लालरिंदिकी ने कहा कि उत्तर-पश्चिमी मामित जिला बांग्लादेश और त्रिपुरा की सीमा से लगा हुआ है. चूहों का सबसे ज्यादा प्रकोप इसी हिस्से में हुआ है. यहां 2,009 परिवार इस संक्रमण से प्रभावित हुए और फसलों का लगभग 60 फीसदी नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि मामित के बाद राज्य के दक्षिणी हिस्से में लुंगलेई जिला है, जहां 1,071 किसानों की 60.70 फीसदी फसलें बर्बाद हो गईं.
हनाहथियाल जिले के 110 किसानों की 82 फीसदी फसल खराब हुई
उन्होंने कहा कि फसल बर्बादी के मामले में हनाहथियाल जिले को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है, जहां 110 किसानों की 82.9 फीसदी फसलें बर्बाद हो गईं. ‘बंबूसा तुल्दा’ को स्थानीय तौर पर ‘थिंगटम’ कहा जाता है. यह बांस का गुच्छेदार वैराइटी होती है.
अधिकारियों ने कहा कि धान चूहों से बर्बाद होने वाली मुख्य फसल है, जबकि मक्का, गन्ना, अदरक, बैंगन, कद्दू और तिल जैसी दूसरी फसलें भी नहीं बचीं. मिजोरम में आखिरी बार चूहों का हमला 2022 में हुआ था, जिससे कम से कम नौ जिले प्रभावित हुए थे.
मिजोरम एक बहुत ज्यादा खेती वाली इकॉनमी है, जहां लगभग 70 फीसदी आबादी खेती पर निर्भर है. सरकार की बड़ी कोशिशों के साथ झूम खेती के तरीकों की जगह धीरे-धीरे बागवानी या लंबे समय तक चलने वाली खेती जैसे सुपारी, अंगूर, अनानास वगैरह किसानों ने शुरू की है.