करोड़पति बनना है तो जरूर लगाएं यह पेड़, 100 साल तक मिलेगा तगड़ा मुनाफा

सफेद सुपारी असल में सुपारी का एक खास किस्म है, जिसका उपयोग कई औषधीय और घरेलू उत्पादों में होता है. बाजार में यह लगभग 500 रुपये प्रति किलो बिकती है, जो इसे बेहद फायदेमंद फसल बनाती है.

नई दिल्ली | Published: 9 Aug, 2025 | 10:25 AM

भारत समेत दुनिया भर में सफेद सुपारी की मांग तेजी से बढ़ रही है. यह महंगी और खास फसल किसानों के लिए सुनहरा अवसर लेकर आई है. एक बार पेड़ लगाने के बाद 70 से 100 साल तक यह खेती मुनाफा देती रहती है. अगर सही तरीके से खेती की जाए तो किसान करोड़पति बन सकते हैं. आइए जानते हैं सफेद सुपारी की खेती की पूरी प्रक्रिया और फायदे.

सफेद सुपारी क्या है?

सफेद सुपारी असल में सुपारी का एक खास किस्म है, जिसका उपयोग कई औषधीय और घरेलू उत्पादों में होता है. बाजार में यह लगभग 500 रुपये प्रति किलो बिकती है, जो इसे बेहद लाभकारी फसल बनाती है.

खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और मिट्टी

सफेद सुपारी की खेती के लिए उष्णकटिबंधीय जलवायु सबसे अच्छी होती है. तापमान 15 से 35 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए. मिट्टी की जल धारण क्षमता अच्छी होनी चाहिए, जिससे पौधे को लगातार नमी मिलती रहे.

सफेद सुपारी की खेती की प्रक्रिया

नर्सरी तैयार करना

सफेद सुपारी की खेती की शुरुआत नर्सरी से होती है. इसके लिए अच्छी गुणवत्ता वाले बीज या पौधों का चयन जरूरी होता है. बीजों को पहले साफ करके गीले कपड़े में डालकर अंकुरित किया जाता है. इसके बाद पौधों को नर्सरी बेड में लगाया जाता है. नर्सरी के लिए उपयुक्त मिट्टी में थोड़ी मात्रा में गोबर की खाद मिलाकर मिट्टी को उपजाऊ बनाया जाता है. पौधों को नियमित पानी दिया जाता है और 12 से 18 महीने तक उनकी देखभाल की जाती है. इस दौरान पौधों को बीमारियों और कीटों से बचाना भी जरूरी होता है ताकि स्वस्थ पौधे तैयार हो सकें.

रोपाई का समय और दूरी

सफेद सुपारी के पौधों को मुख्य खेत में लगाने का सबसे उपयुक्त समय मानसून या बरसात का मौसम होता है, जिससे पौधों को बेहतर रूप से जड़ पकड़ने में मदद मिलती है. रोपाई के लिए पौधों के बीच 2.5 से 3 मीटर की दूरी रखनी चाहिए ताकि पेड़ के बढ़ने के लिए पर्याप्त जगह हो और वे अच्छे से विकसित हो सकें. खेत की जमीन को अच्छी तरह से जोतकर तैयार किया जाता है और प्रत्येक गड्ढे में गोबर की खाद या कम्पोस्ट मिलाई जाती है.

देखभाल और सिंचाई

रोपाई के बाद पौधों की नियमित देखभाल बहुत जरूरी होती है. शुरुआती सालों में पौधों को पर्याप्त पानी देना चाहिए, खासकर गर्मियों में सिंचाई का विशेष ध्यान रखें. उर्वरक के रूप में, गोबर की खाद या जैविक खाद का उपयोग पौधों को पोषण देने के लिए किया जाता है. कीट और रोग नियंत्रण के लिए जैविक या रासायनिक दवाइयों का प्रयोग सावधानी से करें. साथ ही, पौधों के आस-पास की मिट्टी को साफ और खरपतवार मुक्त रखना भी जरूरी है ताकि पौधे स्वस्थ और मजबूत रहें.

उत्पादन शुरू होना

सफेद सुपारी के पेड़ आमतौर पर लगने के 6 से 8 सालों बाद फल देना शुरू करते हैं. शुरुआत में उत्पादन कम होता है, लेकिन जैसे-जैसे पेड़ बड़े होते हैं, उत्पादन बढ़ता रहता है. ये पेड़ 70 से 80 साल तक फलदायी बने रहते हैं, जिससे किसान लंबे समय तक निरंतर लाभ प्राप्त कर सकते हैं. फल की कटाई समय-समय पर सावधानी से की जाती है ताकि फल और गुणवत्ता दोनों बेहतर बनी रहें.

मुनाफा और उत्पादन

एक एकड़ जमीन पर सफेद सुपारी की खेती करने से 12 से 15 क्विंटल तक उत्पादन हो सकता है. यह बाजार में लगभग 500 रुपये प्रति किलो बिकती है. यानी एक एकड़ से 6 से 8 लाख रुपए तक की आय संभव है. एक बार लगने के बाद लंबे समय तक लगातार मुनाफा देता है, जिससे किसान आर्थिक रूप से मजबूत बन सकते हैं.

 

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