मूली की फसल क्यों रह जाती है पतली और छोटी? जानिए क्या है समाधान

मूली को पूरे सीजन में नमी की जरूरत होती है. अगर ज्यादा सूखा रहा या जरूरत से ज्यादा पानी दे दिया गया, तो मूली का आकार प्रभावित होता है.

नई दिल्ली | Updated On: 12 Jul, 2025 | 12:22 PM

अगर आपने कभी अपनी खेत में मूली की बुवाई की है और फिर कटाई के समय छोटी, पतली या टेढ़ी-मेढ़ी मूली देखी है, तो आप अकेले नहीं हैं. मूली भले ही उगाने में आसान सब्जी मानी जाती हो, लेकिन सही आकार पाना हमेशा आसान नहीं होता. अकसर किसान शिकायत करते हैं कि मूली का आकार छोटा रह जाता है या जड़ें पूरी तरह नहीं बन पातीं. इसका कारण मिट्टी की तैयारी से लेकर पानी देने के तरीके, खाद और पौधों की दूरी तक कई चीजें हो सकती हैं. आइए, जानते हैं कि मूली का आकार सही रखने के लिए क्या करें और क्या नहीं.

मिट्टी की तैयारी से होती है शुरुआत

मूली जड़ वाली फसल है, इसलिए उसकी अच्छी बढ़वार के लिए मिट्टी का नरम, ढीला और उपजाऊ होना बहुत जरूरी है. अगर मिट्टी सख्त या कंकरीली हो, तो मूली का विकास रुक जाता है और वह मोटी या लंबी नहीं हो पाती.

समाधान: खेत को 1-2 बार गहरी जुताई करके मिट्टी को भुरभुरी बनाएं. गोबर की सड़ी खाद, कम्पोस्ट या वर्मी कम्पोस्ट डालकर मिट्टी को पोषक बनाएं और मिट्टी में जलनिकास (drainage) अच्छा हो, ताकि पानी रुके नहीं.

पानी का सही तालमेल जरूरी है

मूली को पूरे सीजन में नमी की जरूरत होती है. अगर ज्यादा सूखा रहा या जरूरत से ज्यादा पानी दे दिया गया, तो मूली का आकार प्रभावित होता है. सूखा पड़ने पर मूली पतली रह जाती है और पानी की अधिकता से वह सड़ने लगती है.

समाधान: खेत में हमेशा हल्की नमी बनाए रखें. गर्मी के मौसम में 2-3 दिन में हल्की सिंचाई करें. टपक सिंचाई (drip irrigation) या हल्की कुदाली से सिंचाई सबसे बेहतर है.

ज्यादा पास-पास बोने से भी मूली नहीं बनती

कई बार किसान बीजों को ज्यादा पास-पास बो देते हैं, जिससे पौधों को जगह नहीं मिलती और मूली जड़ों का विकास नहीं कर पाती.

समाधान: मूली के पौधों के बीच कम से कम 6-8 इंच की दूरी रखें. बुवाई के 15-20 दिन बाद जब पौधे थोड़े बड़े हो जाएं, तो कमजोर पौधों को निकालकर दूरी बनाए रखें (थिनिंग करें).

पोषक तत्वों की कमी भी बन सकती है वजह

मूली को अच्छी बढ़वार के लिए नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश जैसे तत्वों की जरूरत होती है. अगर खेत में इनमें से किसी की कमी हो जाए, तो मूली पतली, छोटी और कमजोर हो जाती है.

समाधान: बुवाई से पहले मिट्टी की जांच (soil test) कराएं. अगर नाइट्रोजन की कमी हो, तो यूरिया या अमोनियम सल्फेट का हल्का छिड़काव करें. पोटाश मूली की गुणवत्ता और मिठास के लिए बहुत जरूरी होता है, इसे देना न भूलें.

सही समय पर बोवाई भी है जरूरी

अगर बहुत जल्दी या बहुत देर से मूली बो दी गई, तो मौसम का असर मूली की बढ़वार पर पड़ेगा. गर्मियों में बोई गई मूली अकसर पतली और फट जाती है.

समाधान: उत्तरी भारत में मूली की बुवाई सितंबर से नवंबर के बीच सबसे बेहतर होती है. पहाड़ी इलाकों में गर्मियों में बुवाई की जा सकती है, लेकिन गर्म मैदानों में यह नहीं करनी चाहिए.

Published: 12 Jul, 2025 | 11:34 AM

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