भारत की आबादी अब 146.39 करोड़ के करीब पहुंच गई है, जो इसे दुनिया का सबसे बड़ा जनसंख्या वाला देश बनाता है. हालांकि, प्रजनन दर यानी हर महिला द्वारा औसतन बच्चे पैदा करने की संख्या पहली बार रिप्लेसमेंट लेवल 2.1 से नीचे आकर 1.9 हो गई है. संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट ‘स्टेट ऑफ द वर्ल्ड पॉपुलेशन 2025’ में यह बताया गया है कि आने वाले 40 सालों में भारत की जनसंख्या 170 करोड़ तक पहुंचने के बाद धीरे-धीरे घटने लगेगी. इस रिपोर्ट ने भारत की युवा ताकत, बढ़ती उम्रदराज आबादी और परिवार नियोजन के महत्व पर भी खास ध्यान दिया है. आइए जानते हैं इस रिपोर्ट में क्या-क्या खास बातें सामने आई हैं.
क्या है चिंता की असली वजह?
रिपोर्ट में यह साफ किया गया है कि केवल जनसंख्या का बढ़ना या घटना ही बड़ी बात नहीं है. असली चिंता यह है कि आज के समय में कई लोग अपनी इच्छानुसार परिवार और बच्चों को लेकर सही निर्णय नहीं ले पा रहे. यानि वे अपनी फर्टिलिटी यानी संतान वृद्धि के बारे में आजाद और पूरी जानकारी के साथ फैसला नहीं कर पा रहे हैं. इसे ही रिपोर्ट “वास्तविक जनसंख्या संकट” कहती है.
प्रजनन दर हुई कम
भारत की कुल प्रजनन दर यानी औसतन एक महिला कितने बच्चे जन्म देती है, वह अब 1.9 हो गई है. यह “रिप्लेसमेंट लेवल” 2.1 से नीचे है, जो वह संख्या है जो एक पीढ़ी को कायम रखने के लिए जरूरी होती है. मतलब ये कि अब हर महिला औसतन दो से भी कम बच्चे पैदा कर रही है.
युवाओं की अभी भी है भरमार
रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में युवा आबादी अभी भी बड़ी मात्रा में है. लगभग 24 फीसदी लोग 0 से 14 साल के बीच हैं, 17 फीसदी लोग 10 से 19 साल के बीच और करीब 26 फीसदी लोग 10 से 24 साल के बीच हैं. इसके अलावा, 68 फीसदी भारतीय लोग कामकाजी उम्र (15 से 64 साल) के हैं, जो देश की आर्थिक शक्ति के लिए अच्छी खबर है.
आने वाले सालों में बुजुर्गों की संख्या बढ़ेगी
रिपोर्ट के मुताबिक, अभी भारत की 7 फीसदी आबादी 65 साल या उससे ज्यादा उम्र की है, लेकिन जैसे-जैसे लोगों की जीवन प्रत्याशा (Life Expectancy) बढ़ेगी, बुजुर्गों की संख्या में भी इजाफा होगा. फिलहाल, पुरुषों की औसत उम्र 71 साल और महिलाओं की 74 साल मानी जा रही है.
जनगणना में देरी के बावजूद भरोसेमंद आंकड़े
भारत में 2021 की जनगणना कोविड-19 महामारी की वजह से टाल दी गई थी. अब सरकार ने इसे मार्च 2027 तक पूरा करने की योजना बनाई है. मगर संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट में जो आंकड़े दिए गए हैं, वे भारत सरकार के 2019 में बने तकनीकी अनुमान से काफी मेल खाते हैं.