तेंदुए को कैंसर, बाघिन को मोतियाबिंद… जानिए क्यों पनप रही हैं जानवरों में इंसानी बीमारियां?

हैरानी की बात है कि डायबिटीज, कैंसर, मोतियाबिंद या थायरॉइड जैसी बीमारियां केवल इंसानों को होती हैं. लेकिन अब गोरखपुर प्राणी उद्यान के शेर, बाघ और तेंदुए जैसे ताकतवर जानवर भी इन बीमारियों की गिरफ्त में हैं. यह घटनाएं न सिर्फ पशु चिकित्सकों के लिए चिंता का कारण हैं.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 15 Oct, 2025 | 09:44 AM

Gorakhpur Zoo: गोरखपुर चिड़ियाघर में हाल ही में कुछ चिंताजनक स्वास्थ्य मामले सामने आए हैं. एक बाघिन की दोनों आंखों में लगभग 90 प्रतिशत मोतियाबिंद पाया गया है, जिससे उसकी रोशनी बहुत कम हो गई है. वहीं, एक तेंदुए को कैंसर हो गया और उसकी मौत हो गई. एक अन्य तेंदुआ डायबिटीज, थायरॉइड और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी बीमारियों से पीड़ित है. उसकी खून की जांच में ट्राइग्लिसराइड का स्तर बहुत अधिक पाया गया, जिससे शरीर में सूजन भी देखी गई. इससे पहले भी बब्बर शेर की मिर्गी के दौरे के कारण मौत हो चुकी है, जो शेरों में असामान्य माना जाता है.

हैरानी की बात है कि डायबिटीज, कैंसर, मोतियाबिंद या थायरॉइड जैसी बीमारियां केवल इंसानों को होती हैं. लेकिन अब गोरखपुर प्राणी उद्यान के शेर, बाघ और तेंदुए जैसे ताकतवर जानवर भी इन बीमारियों की गिरफ्त में हैं. यह घटनाएंसिर्फ पशु चिकित्सकों के लिए चिंता का कारण हैं, बल्कि यह सवाल भी उठाती हैं कि जानवरों में इंसानों जैसी बीमारियां क्यों पनप रही हैं.

जानवरों में इंसानी बीमारियों का कारण

विशेषज्ञों का मानना है कि चिड़ियाघरों में रहने वाले जानवरों की जीवनशैली जंगल में रहने वाले जानवरों से बिल्कुल अलग होती है. जंगल में जानवर मीलों तक दौड़ते हैं, शिकार करते हैं और हमेशा सक्रिय रहते हैं. वहीं चिड़ियाघरों में उनके पास सीमित जगह होती है. उन्हें भोजन समय और मात्रा के हिसाब से दिया जाता है. इससे उनके मेटाबॉलिज्म में बदलाव आता है. परिणामस्वरूप मोटापा, हार्मोनल असंतुलन और मेटाबॉलिक रोग जैसी बीमारियां जानवरों में पनपने लगती हैं.

इसके अलावा, बंद पिंजरे और रोजमर्रा की एक जैसी जीवनशैली उनके मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर डालती है. जानवर ऊब और तनाव महसूस करने लगते हैं, जो उनके शरीर पर भी असर डालता है.

इलाज और देखभाल

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, गोरखपुर चिड़ियाघर के मुख्य वन्यजीव चिकित्सक डॉ. योगेश प्रताप सिंह बताते हैं कि चिड़ियाघर में जानवरों की नियमित जांच की जाती है. उनके खून, आंखों और अन्य अंगों की समय-समय पर जांच की जाती है. इस प्रक्रिया के चलते बीमारियों का समय रहते पता चल जाता है और उनका इलाज संभव होता है. यहसिर्फ जानवरों की लंबी उम्र के लिए जरूरी है, बल्कि उनके जीवन की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए भी महत्वपूर्ण है.

कैसे बनाए प्राकृतिक वातावरण

जानवरों में इंसानी बीमारियों का बढ़ना यह बताता है कि कैद में रहना और प्राकृतिक जीवनशैली से दूर होना उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है. इसलिए चिड़ियाघरों में जानवरों के लिए अधिक प्राकृतिक और सक्रिय वातावरण सुनिश्चित करना जरूरी है. इसमें पर्याप्त खुली जगह, प्राकृतिक शिकार या खेल के अवसर, और संतुलित भोजन शामिल किया जा सकता है.

इस तरह, जानवर भी जंगल की तरह सक्रिय, स्वस्थ और खुशहाल जीवन जी सकते हैं. यहसिर्फ उनके लिए बेहतर है, बल्कि हमें यह याद दिलाता है कि उनके कल्याण के लिए सोच-समझकर कदम उठाना आवश्यक है.

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