Milk Production : सर्दियां शुरू होते ही खेतों में ठंडी हवा, ओस की बूंदें और सुबह की धूप भले सुहानी लगे, लेकिन दुधारू पशुओं के लिए यह मौसम कई चुनौतियां लेकर आता है. इस समय पशुओं का दूध उत्पादन अचानक 15-20 फीसदी तक घट जाता है और पशुपालकों की कमाई पर सीधा असर पड़ता है. ऐसे में एक छोटा-सा देसी उपाय-गुड़ में मिलाकर दो खास चीजें खिलाना-पशु की ताकत भी बढ़ाता है और दूध उत्पादन भी कम नहीं होने देता. अगर सर्दियों में सही आहार और थोड़ी देखभाल कर ली जाए, तो दूध की मात्रा पूरे मौसम भर स्थिर रखी जा सकती है.
सर्दियों में क्यों घट जाता है दूध उत्पादन?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सर्दियों में तापमान गिरते ही दुधारू पशुओं का शरीर अपनी गर्मी बनाए रखने के लिए अधिक ऊर्जा खर्च करता है. जब शरीर का ज्यादा हिस्सा गर्मी बनाने में लग जाता है, तो दूध बनने की क्षमता कम हो जाती है. अक्सर पशुपालक सर्दियों में जानवरों को एक जैसा सूखा चारा खिलाते रहते हैं. इससे प्रोटीन, कैल्शियम और मिनरल की कमी हो जाती है, जो सीधे दूध उत्पादन को नीचे गिरा देती है. यही वजह है कि नवंबर से जनवरी के बीच दुधारू पशुओं का दूध 15-20 फीसदी तक कम हो जाता है. अगर खान-पान सही नहीं रहा तो कुछ मामलों में यह कमी और भी ज्यादा बढ़ जाती है.
गुड़ में मिलाकर खिलाएं ये 2 चीजें, बढ़ेगी गर्मी और ताकत
सर्दियों में दुधारू पशुओं को गुड़, सरसों की खली और अलसी का केक मिलाकर खिलाना बेहद फायदेमंद होता है. यह मिश्रण उनकी ऊर्जा, ताकत और गर्मी बनाए रखने में मदद करता है. गुड़ तुरंत ऊर्जा देता है और शरीर में गर्माहट बढ़ाता है. सरसों की खली आसानी से पचने वाला प्रोटीन देती है, जिससे दूध बनने की क्षमता मजबूत होती है. अलसी का केक शरीर में प्राकृतिक गर्मी बनाए रखता है और दूध की गुणवत्ता सुधारता है. रोजाना यह मिश्रण खिलाने से पशु कमज़ोर नहीं पड़ते, थकान दूर रहती है और सर्दियों में दूध उत्पादन कम होने की समस्या में काफी कमी आती है.
आहार में जरूर शामिल करें ये पौष्टिक चीजें
सिर्फ गुड़ वाला मिश्रण ही नहीं, बल्कि पूरा आहार संतुलित होना जरूरी है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पशुओं को रोजाना कैल्शियम और मिनरल मिक्सचर जरूर देना चाहिए, ताकि शरीर को जरूरी पोषक तत्व मिलते रहें. हरे चारे के रूप में मिलने वाली बरसीम को 4-5 घंटे सुखाकर खिलाना बेहतर होता है, जिससे पेट ठंडा नहीं पड़ता और गैस की समस्या नहीं होती. आहार में सूखा चारा, हरा चारा और दाना–इन तीनों का सही मिश्रण देना जरूरी है. अगर भोजन में प्रोटीन, कैल्शियम और ऊर्जा की कमी नहीं होगी, तो सर्दियों में भी दूध की मात्रा कम नहीं होगी और पशु पूरी तरह स्वस्थ रहेंगे.
ठंड से बचाव न किया तो बढ़ सकता है खतरा
सर्दियों में दूध कम होने का कारण सिर्फ आहार नहीं, बल्कि ठंड लगना भी है. दुधारू पशुओं, खासकर भैंसों और छोटे बछड़ों को ठंड जल्दी लगती है, इसलिए उनकी खास देखभाल जरूरी है. बाड़े को हमेशा गर्म रखें और ठंडी हवा का सीधा बहाव उन पर न पड़े. बछड़ों को बोरी या मोटे कपड़ों से बने देसी स्वेटर पहनाएं और सुबह हल्की धूप जरूर दिखाएं. जमीन पर धान की पराली बिछाने से नीचे से ठंड नहीं लगती. नियमित डीवॉर्मिंग कराते रहें, ताकि उनकी ताकत और प्रतिरोधक क्षमता बनी रहे. साफ, सूखा और गर्म बाड़ा आधी बीमारियों को खुद ही दूर कर देता है.
सही देखभाल से सर्दियों में भी रहेगा दूध उत्पादन स्थिर
अगर आहार में गर्माहट देने वाले तत्व, प्रोटीन और मिनरल की कमी नहीं होगी, और साथ ही बाड़े को गर्म रखा जाएगा, तो सर्दियों का मौसम दूध उत्पादन पर ज्यादा असर नहीं डाल पाएगा. देसी नुस्खे, संतुलित आहार और थोड़ी अतिरिक्त देखभाल से पशुओं की सेहत भी फिट रहती है और दूध की मात्रा भी पहले जैसी बनी रहती है. सर्दियों का मौसम भले ठंडा हो, लेकिन समझदारी और सही प्रबंधन से दूध उत्पादन कम होने की समस्या को आसानी से रोका जा सकता है.