सिंचाई से लेकर पोषण तक: ये गलतियां अनार को फटने पर करती हैं मजबूर, जानें कैसे रोकें
अनार का फल जितना मजबूत दिखता है, उसकी बाहरी त्वचा उतनी ही संवेदनशील होती है. पौधे में पानी, तापमान और पोषण का जरा-सा भी उतार–चढ़ाव छिलके को कमजोर बना देता है और फल फटने लगता है.
अनार भारत में एक बेहद लोकप्रिय फल है, जिसे उसके मीठे दानों, औषधीय गुणों और बाजार में अच्छी कीमत के लिए जाना जाता है. लेकिन अनार की खेती करने वाले किसानों के सामने एक बड़ी चुनौती बार–बार सिर उठाती है फलों का फटना. यह समस्या न केवल उत्पादन को प्रभावित करती है, बल्कि बाजार में फलों की कीमत भी गिरा देती है. कई बार मेहनत से उगाए गए अनार सिर्फ इसलिए खराब हो जाते हैं क्योंकि वे समय से पहले फट जाते हैं. आखिर ऐसा क्यों होता है? और किसान इससे कैसे बच सकते हैं? आइए जानते हैं.
अनार के फल फटने की मुख्य वजहें
अनार का फल जितना मजबूत दिखता है, उसकी बाहरी त्वचा उतनी ही संवेदनशील होती है. पौधे में पानी, तापमान और पोषण का जरा-सा भी उतार–चढ़ाव छिलके को कमजोर बना देता है और फल फटने लगता है.
अनियमित सिंचाई सबसे बड़ा कारण
अनार के फटने की सबसे आम वजह है पानी की अनियमितता. यदि पौधे को लंबे समय तक कम पानी मिले और अचानक अधिक सिंचाई कर दी जाए, तो फल के दाने तेजी से फूलते हैं. इस अचानक फैलाव को बाहरी छिलका सहन नहीं कर पाता और फल फट जाता है. यह समस्या खासकर गर्म और सूखे क्षेत्रों में अधिक देखी जाती है.
मौसम में अचानक बदलाव
अनार का पौधा तापमान और नमी दोनों के प्रति संवेदनशील होता है. तेज गर्मी, अचानक बारिश, या ठंडी हवाओं के बढ़ जाने से भी फलों के अंदर–बाहर का संतुलन बिगड़ जाता है. ऐसे में फल पकने की प्रक्रिया धीमी या तेज हो जाती है, जिससे फल कमजोर होकर फट सकता है.
पोषक तत्वों की कमी
यदि मिट्टी में कैल्शियम, बोरॉन या पोटाश जैसे जरूरी पोषक तत्व कम हों, तो फल की त्वचा पतली और कमजोर बनती है. कमजोर छिलका थोड़े से दबाव में भी टूट सकता है. यह पोषण की कमी अक्सर उन खेतों में ज्यादा होती है जहां मिट्टी लंबे समय तक एक ही तरह की खेती झेल रही हो.
ज्यादा पक जाना
कई बार किसान सोचते हैं कि फल को थोड़ा और पेड़ पर रहने दें तो वह और मीठा हो जाएगा. लेकिन लंबे समय तक फलों को लटकाए रखने से उनकी छाल कठोर होने लगती है और दानों में नमी बढ़ जाती है. इस दबाव से भी फल फट जाते हैं.
किस्म का स्वभाव
कुछ अनार की किस्मों में जैविक रूप से फटने की प्रवृत्ति अधिक होती है. यदि कोई किसान बार-बार इसी समस्या का सामना कर रहा है, तो संभव है कि चुनी हुई किस्म ही इस समस्या का मूल कारण हो.
कैसे रोकें अनार के फलों को फटने से?
अनार के फटने से बचाव के उपाय काफी सरल हैं. थोड़ी सावधानी और अच्छे प्रबंधन से किसान अपनी फसल को सुरक्षित रख सकते हैं और बाजार में बेहतर भाव भी पा सकते हैं.
सिंचाई को नियमित रखें
अनार के पौधे को समान मात्रा में और समय पर पानी देना बेहद जरूरी है. इसके लिए ड्रिप सिंचाई सबसे अच्छा विकल्प है. इससे मिट्टी लगातार नमी में रहती है और पौधे को पानी का झटका नहीं लगता.
मल्चिंग से मिट्टी की नमी बनी रहती है
पौधों के आसपास पुआल, पत्ते या पॉलिथीन की मल्चिंग करने से मिट्टी में नमी बनी रहती है. इससे न तो पौधे को अचानक सूखे का सामना करना पड़ता है और न ही तापमान में तेज उतार–चढ़ाव का असर पड़ता है.
संतुलित खाद और पोषण दें
कैल्शियम, बोरॉन और पोटाश जैसे पोषक तत्व फलों की त्वचा को मजबूत बनाते हैं. इनकी सही मात्रा पौधे को समय–समय पर देने से फल टूटने की संभावना कम हो जाती है.
समय पर कटाई करें
फलों को बहुत देर तक पेड़ पर न रहने दें. जब अनार हल्का-सा लाल होने लगे और आकार पूरी तरह बन जाए, तभी उसे तोड़ लेना बेहतर होता है.
कम फटने वाली उन्नत किस्में चुनें
आज कई शोध संस्थानों ने ऐसी अनार की किस्में विकसित की हैं जिनमें फटने की समस्या बहुत कम होती है. किसान इन्हें अपनाकर नुकसान को काफी हद तक कम कर सकते हैं.
अनार की खेती लाभदायक होती है, लेकिन तभी जब फलों की गुणवत्ता बरकरार रहे. यदि किसान सिंचाई, पोषण और मौसम के बदलावों पर ध्यान दें, तो फल फटने की समस्या काफी हद तक खत्म हो सकती है. सही प्रबंधन से अनार न केवल मीठा और रसदार बनता है, बल्कि बाजार में भी अच्छी कीमत दिलाता है.