जुकीनी बन रही किसानों की पहली पसंद, जानिए क्यों है खेती के लिए फायदेमंद

जुकीनी की खेती में बहुत ज्यादा खर्च या तकनीकी जानकारी की जरूरत नहीं होती. सामान्य सिंचाई, समय पर निराई-गुड़ाई और जैविक या जरूरत अनुसार कीटनाशकों का छिड़काव इसके लिए काफी होता है.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 9 Apr, 2025 | 05:00 PM

भारतीय खेती अब सिर्फ पारंपरिक अनाज या सब्जियों तक सीमित नहीं रही है. समय के साथ किसान नई और विदेशी सब्जियों की ओर भी कदम बढ़ा रहे हैं, जो कम समय में अच्छी आमदनी का मौका देती हैं. जुकीनी ऐसी ही एक सब्जी है, जिसने धीरे-धीरे भारतीय बाजार में अपनी एक खास जगह बना ली है. पहले यह सब्जी सिर्फ बड़े होटलों या विदेशी रेसिपियों में ही दिखाई देती थी, लेकिन अब छोटे शहरों और लोकल मार्केट में भी इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है.

जुकीनी आखिर है क्या?

जुकीनी एक नरम और लंबी हरी सब्जी है, जो देखने में तोरई जैसी लगती है लेकिन स्वाद में थोड़ी अलग होती है. इसे ‘इटालियन स्क्वैश’ भी कहा जाता है. जुकीनी पोषक तत्वों से भरपूर होती है, इसमें विटामिन A, C, पोटैशियम और डाइटरी फाइबर जैसे जरूरी पोषण तत्व पाए जाते हैं. इसे उबालकर, भूनकर या सलाद में कच्चा भी खाया जा सकता है. यही कारण है कि हेल्थ फोकस्ड लोग इसे डेली डाइट का हिस्सा बना रहे हैं.

बाजार में जुकीनी की पकड़

आजकल जुकीनी सिर्फ सुपरमार्केट या ऑनलाइन ग्रॉसरी ऐप तक सीमित नहीं है. मेट्रो शहरों के साथ-साथ टियर-2 और टियर-3 शहरों में भी इसकी बिक्री बढ़ रही है. बड़े होटल, कैफे और हेल्थ किचन में इसका इस्तेमाल खूब हो रहा है. मांग में बढ़ोतरी से किसानों को इसका सीधा फायदा मिल रहा है, क्योंकि यह फसल सालभर उगाई जा सकती है और हर सीजन में बिकती है.

भारत में खेती कहां और कैसे होती है?

भारत में जुकीनी की खेती उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे राज्यों में की जा रही है. यह फसल अधिक तापमान में भी टिक जाती है, लेकिन ठंडी जलवायु में इसका उत्पादन और गुणवत्ता बेहतर रहती है. जुकीनी की खेती के लिए मिट्टी में जल निकासी अच्छी होनी चाहिए और मिट्टी ज्यादा कठोर नहीं होनी चाहिए.

कम समय में तैयार होने वाली फसल

इसकी एक खासियत यह है कि यह लगभग 50-60 दिनों में फसल देने लगती है. यदि एक किसान 1 एकड़ ज़मीन में जुकीनी की खेती करता है, तो वह 100 से 150 क्विंटल तक फसल पा सकता है. इसकी बाजार कीमत 30 रुपये से लेकर 100 रुपये प्रति किलो तक होती है, जो स्थान और मांग पर निर्भर करती है. यानी कम समय, कम लागत में भी शानदार मुनाफा संभव है.

देखभाल आसान, जोखिम कम

जुकीनी की खेती में बहुत ज्यादा खर्च या तकनीकी जानकारी की जरूरत नहीं होती. सामान्य सिंचाई, समय पर निराई-गुड़ाई और जैविक या जरूरत अनुसार कीटनाशकों का छिड़काव इसके लिए काफी होता है. खास बात ये है कि जैविक जुकीनी की मांग बहुत ज्यादा है, जिससे ऑर्गेनिक खेती करने वाले किसानों को प्रीमियम दाम भी मिलते हैं.

किसानों के लिए एक नई उम्मीद

जुकीनी उन किसानों के लिए बेहतरीन फसल है जो कुछ नया करने का जोश रखते हैं और कम संसाधनों में ज्यादा कमाई चाहते हैं. इसकी खेती से न केवल आमदनी बढ़ती है, बल्कि किसानों को बाजार से जुड़ने का नया अनुभव भी मिलता है.

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Published: 9 Apr, 2025 | 05:00 PM

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