बिहार के किसानों के लिए एक अच्छी खबर है. राज्य सरकार किसानों को खेती में मॉडर्न तकनीकों के इस्तेमाल को बढ़ावा दे रही है. मल्चिंग तकनीक के लिए किसानों को 50 फीसदी सब्सिडी की घोषणा की गई है. प्लास्टिक, जूट सामग्री से मल्चिंक करने से उत्पादन बेहतर होगा. इससे मिट्टी की उर्वरता बढ़ने के साथ ही खरपतवार खत्म करने में भी मदद मिलती है.
40 हजार की लागत पर आधा खर्च सरकार देगी
खेती को ज्यादा लाभकारी, टिकाऊ और वैज्ञानिक बनाने के लिए राज्य सरकार लगातार नए-नए प्रयास कर रही है. इसी कड़ी में अब मल्चिंग तकनीक को बढ़ावा देने की योजना बनाई गई है. उप मुख्यमंत्री सह कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने हाल ही में इसकी जानकारी देते हुए बताया कि प्लास्टिक, जूट और एग्रो टेक्सटाइल मल्चिंग के उपयोग को पूरे राज्य में लागू किया जाएगा. इस योजना के अंतर्गत प्लास्टिक मल्चिंग तकनीक अपनाने के लिए किसानों को 40,000 रुपए प्रति हेक्टेयर की एकमुश्त इकाई लागत पर 50 प्रतिशत सहायता प्रदान किए जाने का प्रावधान भी है.
मिट्टी की उर्वरता बढ़ेगी
मल्च तकनीक के माध्यम से खेतों में नमी बनाए रखने, खरपतवार नियंत्रण और मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने में सहायता मिलती है. यह तकनीक विशेष रूप से सब्जियों, फलदार वृक्षों और फूलों की खेती में अत्यंत प्रभावी साबित हुई है.
उप मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने बताया कि यह पहल किसानों को जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से निपटने और फसल उत्पादन की निरंतरता बनाए रखने में मदद करेगी. इसके साथ उन्होंने कहा कि बिहार सरकार कृषि क्षेत्र में आधुनिक तकनीकों को अपनाकर राज्य को हरित क्रांति की नई दिशा देने के लिए कृतसंकल्प है.
किसानों को ट्रेनिंग मिलेगी
यह योजना राज्य के सभी जिलों में लागू की जाएगी, जिससे हर क्षेत्र के किसान इसका लाभ उठा सकें. तकनीकी प्रशिक्षण, ऑन-फार्म डेमोंस्ट्रेशन और सहायता कार्यक्रमों के माध्यम से किसानों को इस तकनीक को अपना ने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा. इस तकनीक के उपयोग से उत्पादन में वृद्धि तो होगी ही, साथ ही जल की खपत में कमी और फसल की गुणवत्ता में भी सुधार होगा. इससे किसानों की आय में सीधा लाभ होगा, साथ ही पर्यावरणीय संरक्षण को भी बल मिलेगा.
इसके साथ ही उप मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा की गई यह पहल कृषि क्षेत्र को सशक्त, टिकाऊ और लाभकारी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. यह योजना न केवल किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगी, बल्कि बिहार को कृषि नवाचारों में अग्रणी राज्य के रूप में स्थापित करने में भी सहायक होगी.