सरकार का बड़ा फैसला: चना, मसूर और सरसों पर तय हुआ MSP, किसानों को मिलेगा सीधा फायदा

बिहार में अभी भी लाखों किसान ऐसे हैं जो चना, मसूर और सरसों जैसी फसलें उगाते हैं लेकिन उन्हें फसलों का लाभकारी मूल्य नहीं मिल पाता. इस फैसले से न सिर्फ उनकी आमदनी में सुधार होगा, बल्कि बिहार में दलहन-तिलहन की खेती को बढ़ावा भी मिलेगा.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 18 Jun, 2025 | 11:32 AM

बिहार के किसानों और विकास के मोर्चे पर एक राहतभरी खबर सामने आई है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई बिहार कैबिनेट बैठक में कई बड़े और जन-हितैषी फैसले लिए गए. इनमें किसानों के लिए सबसे अहम फैसला चना, मसूर और सरसों जैसी फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) तय करना रहा. इसके अलावा, राज्य में छह नए छोटे हवाई अड्डों के निर्माण, पटना में एक पांच सितारा होटल और अन्य विकास परियोजनाओं को भी मंजूरी दी गई.

चना, मसूर और सरसों पर तय हुआ MSP

कैबिनेट की बैठक में रबी विपणन वर्ष 2025-26 के लिए चना का एमएसपी 5,650 रुपये/क्विंटल, मसूर का 6,700 रुपये/क्विंटल और सरसों का 5,950 रुपये/क्विंटल तय किया गया है. इससे बिहार के उन किसानों को सीधा फायदा मिलेगा जो दलहन और तिलहन की खेती करते हैं. सरकार ने साफ किया है कि ये कीमतें इसलिए तय की गई हैं ताकि किसान को अपनी फसल का उचित दाम मिल सके और वे घाटे में ना जाएं.

अब सीधे पैक्स और व्यापार मंडलों से होगी खरीद

सरकार ने दलहन-तिलहन की खरीद प्रक्रिया को भी और पारदर्शी और सुविधाजनक बनाया है. अब यह खरीद सहकारिता विभाग के अंतर्गत आने वाले पैक्स (PACS) और व्यापार मंडलों के माध्यम से की जाएगी. यानी किसान को अपनी उपज बेचने के लिए अब अधिक इंतजार या बिचौलियों पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा.

नैफेड और NCCF को मिली बड़ी जिम्मेदारी

राज्य स्तर पर खरीद सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने बिहार राज्य खाद्य एवं असैनिक आपूर्ति निगम को प्रमुख एजेंसी बनाया है. साथ ही नैफेड (NAFED) और एनसीसीएफ (NCCF) जैसी केंद्रीय एजेंसियों को भी खरीद में भागीदार बनाया गया है. इससे यह उम्मीद की जा रही है कि खरीद समय पर, सही तरीके से और किसानों के हित में हो पाएगी.

किसानों को मिलेगा फायदा

बिहार में अभी भी लाखों किसान ऐसे हैं जो चना, मसूर और सरसों जैसी फसलें उगाते हैं लेकिन उन्हें फसलों का लाभकारी मूल्य नहीं मिल पाता. इस फैसले से न सिर्फ उनकी आमदनी में सुधार होगा, बल्कि बिहार में दलहन-तिलहन की खेती को बढ़ावा भी मिलेगा, जिससे राज्य आत्मनिर्भर बनने की दिशा में आगे बढ़ेगा.

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