बारिश से बढ़ी ठंड में गाय-भैंस को स्वस्थ रखने के आसान उपाय जानें, नुकसान से बच जाएंगे आप

बीते सप्ताह कई राज्यों में बारिश हुई है. जबकि, पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी हुई है. इससे मौसम में नमी बढ़ी है और हवाएं ठंडी हो गई है. अचानक तेजी से बदले मौसम के दौरान दुधआरू पशुओं की सेहत का खास खयाल रखने की जरूरत है. आइये जानते हैं पशुपालक किन उपायों को अपनाकर दूध उत्पादन के साथ पशु का स्वास्थ्य बेहतर रखें.

Kisan India
नोएडा | Published: 10 Oct, 2025 | 09:21 PM

बीते सप्ताह अचानक हुई बारिश से मौसम में ठंडक आ गई है. इस तरह का बदलता मौसम पशुपालकों के लिए कई चुनौतियां भी लेकर आता है. खासकर गाय और भैंस जैसे दुधारू पशु इस मौसम में कई संक्रमण और बीमारियों के खतरे में रहते हैं. सही समय पर सावधानी न बरती जाए तो दूध उत्पादन पर भी असर पड़ता है. आइए जानते हैं इस मौसम में पशुओं की देखभाल के आसान उपाय.

बरसात में क्यों बढ़ता है बीमारी का खतरा

मॉनसून में नमी और गंदगी बढ़ने से बैक्टीरिया और वायरस तेजी से फैलते हैं. इससे पशुओं में सर्दी , दस्त, ब्लैक क्वार्टर, फेफड़ों की बीमारियां, खुरपका-मुंहपका जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं. अगर समय रहते सावधानी नहीं बरती गई, तो दूध उत्पादन कम हो सकता है और पशु कमजोर पड़ सकते हैं. इसलिए मॉनसून में अतिरिक्त सतर्कता बहुत जरूरी है.

शेड की सफाई और इंतजाम सबसे जरूरी

पशुओं का रहने वाला शेड हमेशा साफ, सूखा और हवादार होना चाहिए. बरसात के पानी  का जमाव रोकना जरूरी है, क्योंकि कीचड़ या गंदे पानी में खड़े होने से पैरों में संक्रमण हो सकता है. शेड की नियमित सफाई करें और पानी जमने से रोकने के लिए नालियों का सही इंतजाम रखें. गंदगी और कीचड़ को साफ रखना बहुत जरूरी है, ताकि पशु स्वस्थ रहें. साफ-सुथरा और सूखा शेड न केवल बीमारियों से बचाता है, बल्कि दूध उत्पादन को भी बढ़ाने में मदद करता है. नियमित देखभाल से पशु लंबे समय तक मजबूत रहते हैं.

चारा-पानी की देखभाल

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बरसात में दूषित पानी से कई रोग फैल सकते हैं, इसलिए चारा और पानी की विशेष देखभाल जरूरी है. चारा हमेशा ऊंचे प्लेटफॉर्म पर रखें ताकि बारिश से गीला न हो. पीने का पानी साफ और हल्का गर्म रखें. खेत में जमा गंदा या कीचड़ वाला पानी पशु न पीएं. इसके अलावा, बरसात से पहले ही नियमित टीकाकरण कराना बहुत जरूरी है. खासकर एफएमडी, बीक्यू और एचएस जैसी बीमारियों के खिलाफ टीका लगवाएं. इससे पशु मजबूत और स्वस्थ रहते हैं, रोगों से बचते हैं और दूध उत्पादन भी प्रभावित नहीं होता.

बछड़ों की देखभाल सबसे महत्वपूर्ण

मॉनसून में बछड़े सबसे संवेदनशील होते हैं, क्योंकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता  कमजोर होती है. इसलिए उनकी सुरक्षा और देखभाल पर विशेष ध्यान देना जरूरी है. बछड़ों को खुले में न छोड़ें और हमेशा गर्म, सूखे स्थान पर रखें. हल्के गर्म कपड़े पहनाएं ताकि उन्हें ठंड न लगे. तीन महीने से बड़े बछड़ों को नियमित रूप से कृमिनाशक दवा दें. छह महीने से अधिक उम्र वाले बछड़ों को बीक्यू और एचएस जैसी बीमारियों के टीके लगवाएं. सही देखभाल से बछड़े स्वस्थ बढ़ते हैं और भविष्य में मजबूत और अधिक दूध देने वाले पशु बनते हैं.

मॉनसून में सामान्य सुझाव और सावधानियां

मॉनसून में अतिरिक्त सतर्कता अपनाने से दुधारू पशु स्वस्थ रहते हैं और दूध उत्पादन प्रभावित नहीं होता. इसके लिए कुछ आसान उपाय हैं. शेड और चारागाह को हमेशा साफ और सूखा रखें. पानी और चारे की सफाई पर ध्यान दें. बरसात से पहले नियमित टीकाकरण और आवश्यक दवा दें. अगर पशु में बीमारी के लक्षण दिखें, तो तुरंत पशुचिकित्सक से संपर्क करें. बछड़ों की खास देखभाल करें और उन्हें ठंड से बचाएं. इन सरल उपायों को अपनाकर किसान अपने पशुओं को स्वस्थ रख सकते हैं और मॉनसून में भी लगातार दूध उत्पादन सुनिश्चित कर सकते हैं.

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Published: 10 Oct, 2025 | 09:21 PM

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