फसलों में कीटों से बचे तो नकली उत्पादों की चपेट में आए किसान, अब बारिश ने मेहनत पर पानी फेरा

हरियाणा में इस सीजन फसलों की बर्बादी से किसानों का बुरा हाल है. किसान नेता लखविंदर सिंह औलख ने बताया कि बीते दो-तीन दिनों में बेमौसमी बरसात से किसानों की पकी हुई फसल चौपट हो गई है. उन्होंने किसानों के मुआवजा राशि को लेकर सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं.

रिजवान नूर खान
नोएडा | Published: 10 Oct, 2025 | 12:44 PM

बीते कुछ समय से बदलती जलवायु परिस्थितियों, मौसम और कीट-रोगों के प्रकोप ने खेती को गहरी चोट पहुंचाई है. इस साल अत्यधिक बारिश और बाढ़ के संकट ने हरियाणा के किसानों को बर्बादी की ओर धकेल दिया है. खरीफ बुवाई के वक्त किसान खाद पाने के लिए परेशान रहे है उसके बाद घटिया-नकली कीटनाशक और कृषि उत्पादों ने फसलों को नुकसान पहुंचाया तो अब बीते दो दिनों के दौरान हुई बेमौसम बारिश ने धान, ग्वार, नरमा समेत अन्य फसलों को बर्बाद कर दिया है.

हरियाणा में इस सीजन फसलों की बर्बादी से किसानों का बुरा हाल है. भारतीय किसान एकता हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष लखविंदर सिंह औलख ने बताया कि बेमौसमी बरसात से किसानों की पकी हुई फसल बर्बाद हुई है. उन्होंने कहा कि अगस्त-सितंबर में भारी बरसात, जल भराव और बाढ़ की चपेट में आकर बची फसलें अब बीते सप्ताह हुई बेमोसम बारिश में से बची-खुची फसलें भी तबाह हो गई हैं.

फसल में रोग और नुकसान से कम बोया गया था नरमा

लखविंदर सिंह औलख ने बताया कि पिछले कई सालों से घटिया क्वालिटी के बीज, पेस्टीसाइड, फर्टिलाइजर व बायोफर्टिलाइजर के कारण नरमा, कपास, धान, ग्वार, बाजरा, मूंगफली इत्यादि की फसलों पर बीमारी का काफी अटैक देखने को मिला, जिसे देखते हुए इस वर्ष कई किसानों ने नरमें और कपास की बिजाई कम करके अन्य फसलों की और रुख किया था. पिछले 4-5 सालों के मुकाबले इस वर्ष नरमे और कपास की बुवाई कम हुई थी.

ग्वार, मूंगफली और नरमा की फसल चौपट

उन्होंने कहा कि सिरसा जिले के चोपटा क्षेत्र के गांव जमाल के किसानों के आह्वान पर फसलों का निरीक्षण करने पहुंचे तो देखा कि नरमे, कपास सहित ग्वार, बाजरा, मूंगफली और धान सभी प्रकार की फसलें बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हुई हैं. बरसात, तूफान व ओलावृष्टि से नरमा व कपास की फसल धरती पर बिछ गई है, वह दोबारा से उगने लगी है, उसे इकट्ठा करना नामुमकिन है.

फसल मुआवजा के लिए 5 एकड़ लिमिट पर नाराजगी

किसान नेता ने बताया कि सरकार ने क्षतिपूर्ति पोर्टल पर खराब हुई फसलों का पंजीकरण करवाने को कहा है. क्षतिपूर्ति का मतलब नुकसान की भरपाई है, लेकिन किसानों के 50 से 60 हजार रुपए प्रति एकड़ नुकसान की एवज में मात्र 15 हजार प्रति एकड़ का मुआवजा दिया जायेगा. उसमें भी मात्र 5 एकड़ तक की लिमिट लगा दी गई है, जो किसानों के साथ एक भद्दा मजाक है. उन्होंने सरकार से अपील की है कि बिना किसी लिमिट के किसानों के नुकसान के संपूर्ण भरपाई की जाए. ताकि किसानों को अगली फसल की बिजाई के लिए कर्ज में डूबे हुए किसानों को और कर्ज न उठना पड़े.

क्रॉप कटिंग के नाम पर किसानों को उलझाया ना जाए

किसान नेता गुरलाल सिंह भंगू ने कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में बीमित किसानों को जिनकी फसलें खराब हुई हैं उन्हें क्रॉप कटिंग के चक्कर में ना उलझाकर उनकी खराब हुई फसलों के नुकसान की पूरी भरपाई करवाई जाए. उन्होंने किसानों को सरकार की ओर से तय की गई मुआवजा राशि बढ़ाने की मांग की है. किसानों ने कहा कि कम से कम 50 रुपये प्रति एकड़ मुआवजा किसानों को दिया जाए.

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