Haryana News: हरियाणा में 6,310 गांवों के कम से कम 4.97 लाख किसानों ने 29 लाख एकड़ से ज्यादा फसल खराब (Crop Damage) होने की जानकारी e-क्षतिपूर्ति पोर्टल (e-kshatipurti portal) पर दर्ज कराई है. ये आंकड़े सोमवार शाम 7 बजे तक के हैं. ज्यादातर इलाकों में भारी मॉनसूनी बारिश के चलते फसलों को नुकसान हुआ था और इसी कारण किसानों को पोर्टल पर नुकसान दर्ज कराने का मौका दिया गया. हालांकि, नुकसान दर्ज कराने की आखिरी तारीख 15 सितंबर थी. किसानों की जिन फसलों को नुकसान हुआ है, उनमें धान, मक्का, गन्ना और कपास जैसी फसलें शामिल हैं. जिन किसानों की फसलें प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत बीमित हैं, उन्हें मुआवजा इसी योजना के तहत मिलेगा. जिनकी फसलें बीमित नहीं हैं, वे पोर्टल के जरिए मुआवजे के लिए दावा कर सकते हैं.
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने यह पोर्टल सबसे पहले 21 अगस्त को सात जिलों के लिए खोला था, जिसे बाद में 10 सितंबर से बढ़ाकर 15 सितंबर तक पूरे राज्य के लिए लागू किया गया. हालांकि, कई किसानों ने नुकसान दर्ज करने की प्रक्रिया को लेकर असंतोष जताया है. यमुनानगर में भारतीय किसान यूनियन (चरुनी) के अध्यक्ष संजू गुड़ियाना ने दावा किया कि बहुत से किसान तकनीकी दिक्कतों के कारण पोर्टल पर फसल नुकसान दर्ज नहीं कर पाए. पोर्टल बार-बार क्रैश हो रहा था और कई इलाकों में जलभराव के कारण किसान पंजीकरण नहीं कर सके. उन्होंने मांग की कि पोर्टल की अंतिम तारीख और बढ़ाई जानी चाहिए थी, ताकि ज्यादा किसान इसका लाभ ले सकें.
518 गांवों में फसल नुकसान की रिपोर्ट
इस बार की बारिश से हुई फसल बर्बादी के अलावा, पहले से ही धान की फसल को दक्षिणी राइस ब्लैक-स्ट्रिक्ड ड्वार्फ वायरस (SRBSDV) से नुकसान हो चुका है. सबसे ज्यादा नुकसान यमुनानगर में हुआ, जहां 518 गांवों ने फसल नुकसान की रिपोर्ट दी है. वहीं, हिसार जिले में सबसे ज्यादा क्षेत्र 4.48 लाख एकड़ फसल नुकसान के लिए दर्ज हुआ.
पैदावार में गिरावट
इस बीच, अंबाला के कृषि उप निदेशक जसविंदर सैनी ने भी माना कि इस बार धान की पैदावार घटी है. उन्होंने कहा कि किसान इस बार औसतन 20 से 22 क्विंटल प्रति एकड़ धान निकाल पा रहे हैं, जबकि पिछले साल ये आंकड़ा 34 क्विंटल प्रति एकड़ था. पुंडरक गांव में 40 साल के किसान मनीष कुमार और उनके भाई सतीश कुमार ने भारी नुकसान के चलते अपनी पांच एकड़ की धान की फसल खुद ही नष्ट कर दी. बारिश, जलभराव और वायरल बीमारी के संदेह से फसल पूरी तरह खराब हो गई थी.
कर्ज लेकर की खेती
मनीष ने कहा कि कि उन्होंने कीटनाशक दवाइयां भी डालीं और काफी इंतजार किया, लेकिन फसल में कोई सुधार नहीं हुआ. दाने काले पड़ गए और पौधे छोटे ही रह गए. मनीष ने चिंता जताते हुए कहा कि मैंने 3 लाख रुपये उधार लिए हैं, अब समझ नहीं आ रहा कि ये पैसा किससे और कैसे चुकाऊं.