कपास के रकबे में 74 फीसदी की बढ़ोतरी, 1940 हेक्टेयर के पार पहुंचा क्षेत्रफल.. बंपर कमाई की उम्मीद

एक किसान ने कहा कि कपास की फसल पांच महीने में तैयार हो जाती है. आमतौर पर दो से तीन बार तुड़ाई की जाती है. फसल कटाई के बाद हम रबी सीजन की दूसरी फसल ले सकते हैं. बाजार भाव के हिसाब से हमें औसतन 30,000 से 50,000 रुपये तक की आमदनी हो जाती है.

नोएडा | Updated On: 12 Sep, 2025 | 12:36 PM

Maharashtra News: इस साल महाराष्ट्र के पुणे जिले में कपास की खेती का रकबा औसत के मुकाबले 74 फसदी तक बढ़ गया है, जो एक बड़ी बढ़ोतरी मानी जा रही है. जिला कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार, इस साल कपास की बुवाई 1,945 हेक्टेयर में हुई है, जबकि पिछले साल यह केवल 1,122 हेक्टेयर थी. दौंड तालुका में सबसे ज्यादा 750 हेक्टेयर में कपास की खेती हुई है. इसके बाद बारामती में 457 हेक्टेयर, शिरूर में 343 हेक्टेयर, इंदापुर में 145 हेक्टेयर, पुरंदर में 15 हेक्टेयर और जुन्नर में 10 हेक्टेयर में कपास बोई गई. वहीं भोर और मावल तालुका में इस बार कपास की बुवाई नहीं हुई.

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों ने इस बढ़ोतरी का कारण अनुकूल मौसम, मंडियों की बेहतर उपलब्धता, कीट नियंत्रण के लिए सरकारी मदद और किसानों में जागरूकता को बताया है. जिला कृषि अधिकारी संजय काचोले ने कहा कि यह जिले के लिए एक अच्छा संकेत है. किसान ऐसे प्रयोग कर नए रास्ते तलाश रहे हैं, ताकि अच्छी कमाई हो सके. संजय काचोले ने कहा कि कपास की खेती ज्यादातर उन्हीं गांवों में होती है जहां पानी की अच्छी सुविधा है. साथ ही, यह फसल मुख्य रूप से ऐसी जमीनों पर उगाई जाती है जहां काली मिट्टी की गुणवत्ता बेहतर हो और खेत नदी या जल स्रोतों के पास हों.

दूसरी फसलों के मुकाबले कापस में अधिक कमाई

दौंड तहसील के किसान विजय गार्डारे ने कहा कि कपास की फसल पांच महीने में तैयार हो जाती है. आमतौर पर दो से तीन बार तुड़ाई की जाती है. फसल कटाई के बाद हम रबी सीजन की दूसरी फसल ले सकते हैं. बाजार भाव के हिसाब से हमें औसतन 30,000 से 50,000 रुपये तक की आमदनी हो जाती है. खास कर पिछले कुछ वर्षों में जिले में कपास की खेती का रकबा लगभग स्थिर रहा था, लेकिन इस बार इसमें काफी बढ़ोतरी देखी गई है, जिसे कृषि विशेषज्ञ एक सकारात्मक बदलाव मान रहे हैं. उनका मानना है कि बदलते मौसम, बेहतर सिंचाई सुविधाएं और कपड़ा उद्योग में बढ़ती मांग की वजह से किसान अब कपास को तरजीह दे रहे हैं.

कपास की खेती को लेकर क्या कहते हैं किसान

दौंड के किसानों ने कहा कि इस साल मौसम अनुकूल रहा, समय पर बारिश हुई और कीट नियंत्रण के उपाय भी सही समय पर किए गए, जिससे बुवाई के लिए अच्छे हालात बने. उन्होंने कहा कि दूसरी फसलों की तुलना में कपास से अच्छी कमाई होती है. इस बार मौसम साथ था, इसलिए बड़ी संख्या में किसानों ने कपास की ओर रुख किया. कपास की खेती बढ़ने के साथ ही कृषि विभाग ने किसानों को आगाह किया है कि फसल के बाद के चरणों में कीट हमले की आशंका बनी रहती है, इसलिए समय पर सुरक्षा उपाय अपनाना जरूरी है. काचोले ने कहा कि हमारे तहसील स्तर के अधिकारी किसानों को कीटनाशक छिड़काव और वैज्ञानिक तरीकों से पैदावार बढ़ाने में मदद करते हैं. अधिकारियों के मुताबिक, जिले में सिर्फ जुन्नर तहसील में कपास की खेती में गिरावट देखी गई, जिसका कारण अत्यधिक बारिश रहा.

Published: 12 Sep, 2025 | 12:32 PM