Wheat cultivation: हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में धान की कटाई तेजी से हो रही है. इसके साथ ही किसान गेहूं की बुवाई करने के लिए खेत भी तैयार कर रहे हैं. किसानों को उम्मीद है कि इस बार अच्छी पैदावार होगी. इसके लिए किसान खाद की जमकर खरीदारी कर रहे हैं. उन्हें लग रहा है कि जितनी अधिक खाद खेत में डालेंगे, उतनी ही अधिक पैदावार होगी. लेकिन ऐसी बात नहीं है. जरूरत से ज्यादा खाद का इस्तेमाल करने पर फसल को नुकसान भी पहुंच सकता है. इसलिए गेहूं की बुवाई करने से पहले किसान इस खबर को जरूर पढ़ लें.
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, अगर किसान समय पर और संतुलित मात्रा में उर्वरकों का उपयोग करें, तो गेहूं की पैदावार में काफी बढ़ोतरी हो सकती है. साथ ही विशेषज्ञों का मानना है कि अगर किसान वैज्ञानिक तरीके से खेती करें, तो गेहूं उत्पादन में बंपर वृद्धि होगी और किसानों की आमदनी में इजाफा होगा. इसके लिए गेहूं की बुवाई के समय खेत में नाइट्रोजन (N), फॉस्फोरस (P) और पोटाश (K) का संतुलित मिश्रण डालना बहुत जरूरी है. यह मिश्रण पौधों की जड़ों को मजबूत बनाता है और शुरुआती वृद्धि को बेहतर करता है.
बुवाई के समय इन उर्वरकों का करें इस्तेमाल
विशेषज्ञों का कहना है कि गेहूं की बुवाई के समय डीएपी या एनपीके उर्वरक का इस्तेमाल किया जा सकता है. पहली सिंचाई के बाद लगभग 45-50 किलो यूरिया प्रति एकड़ देने से पौधों की बढ़वार तेज होती है. कृषि विभाग ने किसानों को सलाह दी है कि उर्वरक का इस्तेमाल मिट्टी परीक्षण रिपोर्ट के आधार पर ही करें. इससे पता चलता है कि मिट्टी में कौन-से पोषक तत्व कम हैं और कौन-से ज्यादा. इस वैज्ञानिक तरीके से उर्वरक की बचत होती है और फसल की गुणवत्ता भी बेहतर होती है.
पैदावार लगभग 20 फीसदी तक बढ़ जाएगी
खास बात यह है कि अंधाधुंध यूरिया डालने से फसल तो हरी दिखती है, लेकिन मिट्टी की उर्वरता घट जाती है. इसलिए किसान मिट्टी की जरूरत के अनुसार ही खाद का इस्तेमाल करें. कृषि विभाग गांव-गांव जाकर प्रशिक्षण और जागरूकता शिविर आयोजित कर रहा है, जहां किसानों को बताया जा रहा है कि जैविक खाद और नीम कोटेड यूरिया के साथ फर्टिलाइजर का उपयोग मिट्टी के लिए फायदेमंद है. हालांकि, एक्सपर्ट का ये भी कहना है कि मिट्टी परीक्षण के बाद ही उर्वरक का सही इस्तेमाल किया. इससे फसल की पैदावार लगभग 20 फीसदी तक बढ़ सकती है और लागत में भी कई आएगी.