कम लागत में भेड़ पालन से बढ़ाएं आमदनी, जानें उन्नत नस्लें और पालन का सही तरीका

भेड़ पालन एक लाभकारी व्यवसाय है जिसमें कम पूंजी लगती है. इससे ऊन, दूध और मांस मिलता है. सरकारी योजनाएं लोन, सब्सिडी और प्रशिक्षण देती हैं. स्थानीय व ऑनलाइन बाजारों से बिक्री कर अच्छी आय हो सकती है. यह खराब जमीन पर भी संभव है और ग्रामीण विकास में मददगार है.

Kisan India
नोएडा | Published: 25 Oct, 2025 | 10:12 PM

आज के समय में खेती के साथ-साथ पशुपालन भी किसानों के लिए आमदनी का एक मजबूत जरिया बनता जा रहा है. खासकर छोटे और सीमांत किसान जिनके पास ज्यादा जमीन नहीं है, वे अब भेड़ पालन की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं. भेड़ पालन (Sheep Farming) एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें कम लागत लगती है लेकिन कमाई अच्छी होती है. इससे ऊन, दूध और मांस तीनों चीजें मिलती हैं, जिन्हें बाजार में बेचकर किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.

भेड़ पालन के फायदे

भेड़ पालन के कई फायदे हैं जो इसे अन्य पशुपालन व्यवसायों  से अलग बनाते हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि इसे शुरू करने के लिए कम पूंजी की जरूरत होती है. कुछ भेड़ों से शुरुआत करके धीरे-धीरे व्यवसाय बढ़ाया जा सकता है. भेड़ पालन से तीन प्रमुख उत्पाद मिलते हैं-ऊन, दूध और मांस-जो बाजार में अच्छी कीमत पर बिकते हैं. खासकर मेरिनो जैसी नस्लों का ऊन बहुत मांग में होता है.

इसके अलावा, भेड़ें सूखी और कम घास वाली जमीन पर भी आसानी से पालन की जा सकती हैं, जिससे खराब जमीन का भी सदुपयोग होता है. इसके साथ ही, केंद्र और राज्य सरकारें भेड़ पालन को बढ़ावा देने के लिए लोन, सब्सिडी, ट्रेनिंग और तकनीकी सहायता जैसी कई योजनाएं प्रदान करती हैं. इसलिए भेड़ पालन एक लाभकारी और टिकाऊ व्यवसाय माना जाता है, जो ग्रामीण आर्थिक विकास में मददगार साबित होता है.

भारत में पाई जाने वाली खास नस्लें

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भेड़ों की नस्लों का चयन उनके पालन के उद्देश्य पर निर्भर करता हैजैसे कोई ऊन के लिए होती हैं, तो कोई मांस के लिए. कुछ प्रमुख नस्लें इस प्रकार हैं:

मेरिनो भेड़ (Merino)- यह ऊन उत्पादन के लिए सबसे बेहतरीन नस्ल मानी जाती है. इसकी ऊन मुलायम और ऊंची क्वालिटी की होती है. यह नस्ल ठंडे इलाकों के लिए बेहतर है.

नाली भेड़ (Nali)- राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में पाई जाती है. ऊन उत्पादन अच्छा होता है और शरीर भी मजबूत होता है.

मालपुरी भेड़ (Malpura)- राजस्थान में पाई जाने वाली यह नस्ल मांस उत्पादन के लिए उपयुक्त है. कम पानी और सूखी जमीन में भी आसानी से पलती है.

रामबौइलेट भेड़ (Rambouillet)- यह नस्ल ऊन और मांस दोनों के लिए उपयोगी है. ठंडे इलाके इसके लिए उपयुक्त होते हैं. यह नस्ल तेजी से बढ़ती है.

बेल्लारी भेड़ (Bellary)- मुख्य रूप से कर्नाटक में पाई जाती है. यह मांस उत्पादन के लिए बेहतर मानी जाती है और जल्दी बढ़ती है.

भेड़ पालन शुरू करने के लिए क्या जरूरी है?

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, भेड़ पालन शुरू करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना जरूरी है. सबसे पहले, अपनी जलवायु और बाजार की मांग के अनुसार सही नस्ल का चयन करें, जैसे ठंडे इलाकों में मेरिनो और रामबौइलेट, जबकि गर्म इलाकों में मालपुरी और बेल्लारी. भेड़ों के लिए मजबूत और हवादार शेड बनाएं ताकि वे धूप, बारिश और ठंड से सुरक्षित रहें. उन्हें पोषण युक्त हरा और सूखा चारा, मिनरल लवण और साफ पानी दें. साथ ही, समय-समय पर टीकाकरण और दवा देकर उनकी स्वास्थ्य देखभाल करें और बीमार होने पर तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करें.

कहां और कैसे बेचें? 

भेड़ पालन से ऊन, दूध और मांस प्राप्त होते हैं, जिन्हें सही तरीके से बेचने पर अच्छी आमदनी हो सकती है. स्थानीय बाजारों में मांस और ऊन आसानी से बेचे जा सकते हैं. गांव या शहर के हाट-बाजार इसके लिए उपयुक्त स्थान हैं. थोक विक्रेताओं को बेचने से बड़ी मात्रा में बिक्री होकर तुरंत लाभ मिलता है. इसके अलावा, किसान अब ऑनलाइन प्लेटफॉर्म जैसे ई-नाम, एग्रीमार्ट आदि के जरिए सीधे अपने उत्पाद ग्राहकों तक पहुंचा सकते हैं. इस प्रकार, सही विपणन रणनीति अपनाकर किसान भेड़ पालन से अपनी आय कई गुना बढ़ा सकते हैं.

सरकारी योजनाएं और सब्सिडी का लाभ उठाएं

सरकार भेड़ पालन को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चला रही है. प्रमुख योजनाओं में राष्ट्रीय पशुधन मिशन शामिल है, जिसके तहत किसानों को प्रशिक्षण, लोन और तकनीकी सहायता दी जाती है. नाबार्ड (NABARD) भी भेड़ पालन के लिए आसान ऋण और सब्सिडी प्रदान करता है. इसके अलावा, राज्य सरकारें मुफ्त टीकाकरण, प्रशिक्षण शिविर, बीमा योजना आदि जैसी योजनाएं चलाती हैं. किसानों को इन योजनाओं का लाभ उठाने के लिए नजदीकी पशुपालन विभाग, कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) या ग्राम पंचायत से संपर्क करना चाहिए. इससे उन्हें आर्थिक मदद और जरूरी मार्गदर्शन मिल सकता है.

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