Haryana News: भारत के दुग्ध उद्योग को वैश्विक बाजारों से जोड़ने और इसे एक अंतरराष्ट्रीय ब्रांड के रूप में स्थापित करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया जा रहा है. इसी मकसद से 20 सितम्बर को करनाल स्थित राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एन.डी.आर.आई.) में एक राष्ट्रीय सैमीनार आयोजित किया जा रहा है. इस बार का विषय है भारतीय दुग्ध उद्योग का वैश्वीकरण, जिसमें देशभर के करीब 400 विशेषज्ञ, नीति-निर्माता, शोधकर्ता, उद्योगपति और छात्र भाग लेंगे.
यह सैमीनार एन.डी.आर.आई. ग्रैजुएट्स एलुमनाई एसोसिएशन (एन.जी.ए.ए.) के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है और इसका मुख्य उद्देश्य भारत को न केवल एक आत्मनिर्भर दुग्ध उत्पादक देश बनाना है, बल्कि एक वैश्विक दुग्ध महाशक्ति के रूप में तैयार करना है.
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दुग्ध क्षेत्र को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने की पहल
एन.डी.आर.आई. के कुलपति और निदेशक डॉ. धीर सिंह ने जानकारी दी कि इस सैमीनार के जरिए भारतीय दुग्ध उद्योग को अंतरराष्ट्रीय मानकों, बाजारों और प्रथाओं से जोड़ने की रणनीति पर विचार किया जाएगा. उनका कहना है कि अब समय आ गया है कि भारत अपने दुग्ध उत्पादों को वैश्विक मंच पर ले जाए और एक भरोसेमंद ब्रांड के रूप में उभरे.
दिग्गज हस्तियों की मौजूदगी से बढ़ेगा आयोजन का महत्व
इस सैमीनार में कई प्रतिष्ठित हस्तियां भी हिस्सा लेंगी. पद्मभूषण डॉ. आर. एस. परोडा, जो टी.ए.ए.एस. (नई दिल्ली) के अध्यक्ष हैं, कार्यक्रम के मुख्य अतिथि होंगे. वहीं, पंतनगर विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. एम. एस. चौहान, निफ्टेम-सोनीपत के निदेशक डॉ. एच. एस. ओबरॉय, और सीएसआईआर-एनआईआईएसटी, तिरुवनंतपुरम के निदेशक डॉ. सी. आनंदरामकृष्णन विशिष्ट अतिथि के तौर पर शामिल होंगे. इस तरह की विशेषज्ञता और अनुभव के साथ यह आयोजन भारतीय दुग्ध क्षेत्र को नई दिशा देने वाला साबित हो सकता है.
मंथन होगा चुनौतियों और अवसरों पर
सैमीनार में दुग्ध निर्यात को बढ़ावा, उत्पादों की गुणवत्ता, अंतरराष्ट्रीय मानकों की पूर्ति, सतत विकास, जलवायु परिवर्तन के अनुकूल तकनीकें, नवाचार, और डिजिटलाइजेशन जैसे अहम मुद्दों पर चर्चा होगी. विशेषज्ञ इस बात पर मंथन करेंगे कि कैसे भारत अपने समृद्ध दुग्ध संसाधनों का बेहतर उपयोग कर अंतरराष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धा कर सकता है.
मिल्काथॉन–2025 : युवाओं में नवाचार और उद्यमिता की सोच
इस आयोजन के तहत मिल्काथॉन-2025 नामक एक राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता भी आयोजित की गई है, जिसमें देशभर के दुग्ध विज्ञान महाविद्यालयों की लगभग 15 छात्र टीमें भाग ले रही हैं. इस प्रतियोगिता का मकसद युवाओं को नवाचार और व्यवसायिक सोच के लिए प्रेरित करना है. छात्रों को दुग्ध उत्पादन, प्रसंस्करण, सततता और मूल्यवर्धन से जुड़ी समस्याओं के समाधान सुझाने का मौका दिया गया है. विजेताओं को सैमीनार के दौरान सम्मानित किया जाएगा.
एक मंच पर जुटेंगे किसान, उद्यमी और नीति निर्माता
इस सैमीनार में दुग्ध सहकारी संस्थाओं, निजी कंपनियों, नीति-निर्माताओं, गैर-सरकारी संगठनों, किसान संगठनों, और छात्रों की भागीदारी सुनिश्चित की गई है. इस मंच के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिनिधि आपस में विचार-विमर्श कर सकते हैं, जिससे एक सहयोगात्मक माहौल बनेगा. सैमीनार का उद्देश्य केवल विचार साझा करना नहीं है, बल्कि भविष्य की ठोस रणनीतियों पर काम करना है ताकि भारत वैश्विक दुग्ध बाजार में मजबूती से अपनी जगह बना सके.