Livestock Management : अक्टूबर का महीना शुरू होते ही मौसम में ठंडक बढ़ने लगती है. ऐसे में जैसे हम इंसान खुद को सर्दी से बचाने की तैयारी करते हैं, ठीक वैसे ही पशुओं को भी खास देखभाल की जरूरत होती है. बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग ने अक्टूबर माह के लिए पशुपालकों को कुछ जरूरी सलाहें दी हैं, जिनका पालन करके किसान अपने पशुओं को स्वस्थ रख सकते हैं और दूध उत्पादन में भी गिरावट से बच सकते हैं. अब आइए जानते हैं कि अक्टूबर में पशुपालकों को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.
ठंड से बचाने के लिए रोज थोड़ा गुड़ जरूर खिलाएं
अक्टूबर में मौसम धीरे-धीरे ठंडा होने लगता है. इस बदलते मौसम में पशुओं को ठंड से बचाना बेहद जरूरी होता है, खासकर सुबह और रात के समय. बिहार सरकार की सलाह है कि पशुओं को हर दिन 25 से 50 ग्राम तक गुड़ जरूर खिलाएं. गुड़ गर्म तासीर वाला होता है और यह पशुओं के शरीर को अंदर से गर्म रखता है. साथ ही यह पाचन तंत्र को भी मजबूत करता है और ऊर्जा का अच्छा स्रोत है. गाय-भैंस जैसी दुधारू पशुओं के लिए यह आदत बहुत फायदेमंद होती है.
हरा चारा है तो संतुलित मात्रा में ही दें
अक्टूबर के महीने में खेतों में हरा चारा भरपूर मात्रा में मिल जाता है. लेकिन ध्यान रखें- ज्यादा हरा चारा भी नुकसानदायक हो सकता है. अगर इसे असंतुलित रूप से दिया जाए, तो पशु का पाचन बिगड़ सकता है. इसलिए सरकार की सलाह है कि हरा चारा तय मात्रा में और सूखे चारे (पुआल) के साथ मिलाकर देना चाहिए. इससे पशु को पूरा पोषण भी मिलेगा और कोई नुकसान भी नहीं होगा.
बचे हुए हरे चारे को करें सुरक्षित- बनाएं साइलेज या पुआल
अक्टूबर में चारे की भरपूर उपलब्धता होती है. ऐसे में अगर चारा बच जाता है, तो उसे फेंकने की बजाय भविष्य के लिए सुरक्षित करना बहुत जरूरी है. सरकार का सुझाव है कि बचे हुए हरे चारे से साइलेज (Silage) या पुआल (Dry Fodder) बनाया जाए. यह ऐसा तरीका है जिससे चारा लंबे समय तक खराब नहीं होता और सर्दियों या चारे की कमी के दिनों में काम आता है. यह एक कम लागत वाला, लेकिन बहुत फायदेमंद उपाय है.
पशुओं को रखें सूखे और गर्म स्थान पर
अक्टूबर में मौसम की नमी बढ़ने लगती है और अगर पशु गीली जगह पर बैठे तो उन्हें सर्दी-जुकाम, खांसी और बुखार जैसी बीमारियां हो सकती हैं. इसलिए पशुओं को रखने की जगह को हमेशा सूखा और साफ-सुथरा रखें. रात में पशुओं को गर्म बोरी, सूखा पुआल या चटाई पर बैठने दें ताकि वे ठंड से बच सकें. अगर संभव हो तो पशु शेड में प्लास्टिक या तिरपाल लगाकर हवा को रोकें, ताकि ठंडी हवा सीधी न लगे.
दूध उत्पादन में गिरावट से कैसे बचें
ठंड के कारण पशु अगर बीमार हो जाते हैं या उन्हें सही पोषण नहीं मिलता, तो इसका सीधा असर दूध उत्पादन पर पड़ता है. ऐसे में जरूरी है कि उन्हें संतुलित आहार, पर्याप्त पानी और आराम मिले. गुड़, खल, भूसी और मिनरल मिक्सचर जैसी चीजें खाने में शामिल करें, ताकि उनकी ऊर्जा बनी रहे और दूध देने की क्षमता कम न हो. सरकार की सलाह मानकर यदि पशुपालक समय पर सभी जरूरी बातें अपनाएं, तो दूध उत्पादन में गिरावट नहीं आएगी.
सरकार की योजनाओं और पशु चिकित्सकों से जुड़ें
बिहार सरकार लगातार प्रयास कर रही है कि पशुपालकों को समय-समय पर सही जानकारी और मदद मिलती रहे. पशुपालन निदेशालय और स्थानीय पशु चिकित्सक केंद्र इस दिशा में सक्रिय हैं. पशुपालकों को चाहिए कि वे नजदीकी पशु अस्पताल या पशु सेवा केंद्र से संपर्क करें और वहां से मुफ्त सलाह लें. अगर कोई समस्या हो तो तुरंत डॉक्टर को बुलवाएं और सरकार की टीकाकरण योजनाओं और दवाओं का फायदा उठाएं.