प्रदेश के पशुपालकों को आत्मनिर्भर और मजबूत बनाने के लिए सरकार ने एक अनोखी पहल की है. इसका नाम है दुग्ध समृद्धि संपर्क अभियान. इस अभियान के जरिए पशुपालन विभाग के कर्मचारी और अधिकारी गांव-गांव जाकर गाय-भैंस पालने वाले किसानों से सीधा संपर्क कर रहे हैं. उन्हें बताया जा रहा है कि कैसे वे अपने पशुओं की नस्ल सुधार सकते हैं, दूध का उत्पादन बढ़ा सकते हैं, और सरकार की योजनाओं से आर्थिक फायदा उठा सकते हैं. अब आइए जानते हैं कि पशुपालकों को इस अभियान से क्या-क्या फायदे हो रहे हैं.
पशुओं की नस्ल सुधरेगी, दूध बढ़ेगा
इस अभियान में सबसे ज़्यादा जोर दिया जा रहा है नस्ल सुधार (Breed Improvement) पर. अधिकारी बता रहे हैं कि अगर अच्छी नस्ल के बैलों और गायों का इस्तेमाल किया जाए या उन्नत सीमन तकनीक (AI) अपनाई जाए, तो बछियों का जन्म ज्यादा होगा और दूध की मात्रा भी दोगुनी हो सकती है. पशुपालकों को यह भी बताया जा रहा है कि देशी नस्लों की तुलना में उन्नत नस्ल की गायें ज्यादा दूध देती हैं और बीमार भी कम पड़ती हैं. इससे उनका दूध बेचकर कमाई बढ़ती है.
दूध उत्पादन बढ़ने से आमदनी होगी दोगुनी
जिन पशुपालकों ने पहले से नस्ल सुधार या अच्छा पोषण शुरू किया है, उनका दूध उत्पादन 20 फीसदी से लेकर 100 प्रतिशत तक बढ़ गया है. उदाहरण के तौर पर दमोह के एक किसान ने बताया कि उसने नस्ल सुधार कराया और उसका दूध उत्पादन दोगुना हो गया. जैसे-जैसे दूध बढ़ेगा, डेयरी से मिलने वाली आमदनी भी बढ़ेगी, जिससे गांवों के किसान आत्मनिर्भर बनेंगे.
पशु चारे और पोषण की पूरी जानकारी मिल रही है
पशुओं को सिर्फ खिलाना ही नहीं, पोषण युक्त खाना देना जरूरी होता है. इस अभियान के तहत अधिकारियों द्वारा किसानों को बताया जा रहा है कि किस मौसम में कौन सा चारा देना चाहिए और कैसे संतुलित आहार (Balanced Diet) से पशु तंदुरुस्त रह सकते हैं. जो किसान हरे चारे की कमी से जूझते हैं, उन्हें योजना के तहत चारा विकास और बीज की जानकारी दी जा रही है.
पशु बीमारियों से बचाव और मुफ्त इलाज की सुविधा
पशुओं को समय-समय पर टीका लगवाना और बीमारी से बचाना बहुत जरूरी होता है. अभियान के दौरान पशु चिकित्सकों की टीम गांवों में जाकर फ्री में जांच कर रही है और जरूरत पड़ने पर दवा या इलाज भी दे रही है. इसके अलावा, बीमार पशुओं की पहचान और इलाज की विधियां भी सिखाई जा रही हैं, ताकि पशुपालक खुद भी कुछ समस्याएं समझ सकें.
पशुपालकों को मिल रहा है केसीसी और बीमा का लाभ
इस अभियान के अंतर्गत किसान क्रेडिट कार्ड (KCC) के जरिए पशुपालकों को भी अब कर्ज की सुविधा मिल रही है, जिससे वे अपने पशुओं के लिए चारा, दवा, या नई नस्ल खरीद सकें. साथ ही पशु बीमा योजना के तहत गाय-भैंसों का बीमा भी कराया जा रहा है, ताकि यदि पशु की मृत्यु हो जाए तो सरकार मुआवज़ा दे सके और किसान को नुकसान न हो.
सीधी बातचीत से मिल रहा भरोसा और समाधान
इस अभियान की खास बात ये है कि अधिकारी पशुपालकों के घर जाकर उनसे सीधे बात कर रहे हैं. उनकी समस्याएं सुन रहे हैं और मौके पर ही समाधान भी दे रहे हैं. इससे ग्रामीणों को भरोसा हो रहा है कि सरकार सिर्फ योजनाएं नहीं बना रही, बल्कि जमीन पर काम भी कर रही है. जिन पशुपालकों को पहले योजनाओं की जानकारी नहीं थी, अब वो खुद जुड़ रहे हैं.
नई तकनीक और मोबाइल ऐप से हो रही मदद
भारत पशुधन एप जैसी तकनीकों के जरिए अब सरकारी कर्मचारी पहले से तय कर रहे हैं कि किस किसान से कब मिलना है. इससे व्यवस्था और समय दोनों की बचत हो रही है. साथ ही गांव के पशु मैत्री जैसे कार्यकर्ता हर घर जाकर जानकारी इकट्ठा कर रहे हैं और हर पशुपालक को योजनाओं से जोड़ने का काम कर रहे हैं.