Fish Farming: एक तालाब, तीन तरीके! जानें मछली पालन से तीन गुना आमदनी का फॉर्मूला

एक ही तालाब में तीन अलग-अलग विधियों से मछली पालन कर किसान अपनी आमदनी तीन गुना तक बढ़ा सकते हैं. यह तरीका कम लागत में ज्यादा मुनाफा और संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करता है.

नोएडा | Updated On: 30 May, 2025 | 05:30 PM

मछली पालन आज के किसान के लिए लाभ कमाने का नया रास्ता बन गया है. खास बात यह है कि एक ही तालाब में तीन अलग-अलग तकनीकों को अपनाकर किसान अपनी आमदनी तीन गुना तक बढ़ा सकते हैं. यह तरीका न सिर्फ मुनाफा बढ़ाने में मदद करता है, बल्कि पानी और अन्य संसाधनों का भी स्मार्ट और प्रभावी उपयोग सुनिश्चित करता है. हरियाणा सरकार के मत्स्य पालन विभाग के अनुसार यह तकनीकें किसानों की आमदनी बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रही है. आइए जानते हैं मछली पालन के तीन प्रमुख तरीके और कैसे इन्हें अपनाकर कमाई में बढ़ाना संभव है.

प्राकृतिक तरीके से मछली पालन

विस्तृत पालन में बड़े आकार के तालाबों का उपयोग किया जाता है, जिनका क्षेत्रफल लगभग एक हेक्टेयर या उससे अधिक होता है. इस विधि में अंगुली के आकार की 4 हजार से 5 हजार मछलियों की संख्या तालाब में छोड़ी जाती है. खास बात यह है कि इन तालाबों में खाद या उर्वरक का उपयोग नहीं किया जाता. मछलियां प्राकृतिक रूप से तालाब में उपलब्ध भोजन पर निर्भर होती हैं और अपनी वृद्धि करती हैं. हालांकि, इस विधि में उत्पादन अनियमित होता है और आमतौर पर कम होता है. इसलिए यह तरीका उन किसानों के लिए बेहतर है जिनके पास बड़े प्राकृतिक तालाब हैं और जो न्यूनतम निवेश करना चाहते हैं.

आयाताकार तालाब विधि

अर्धसघन पालन में तालाब का क्षेत्रफल 0.5 से 1 हेक्टेयर के बीच होता है. ये तालाब ज्यादातर आयताकार होते हैं जो मछली पालन के लिए अनुकूल होते हैं. इस विधि में प्रति तालाब लगभग 7 हजार से 8 हजार की संख्या में छोटी मछलियां छोड़ी जाती हैं. किसान मिट्टी और पानी के क्वालिटी का विशेष ध्यान रखते हुए खाद, उर्वरक और अतिरिक्त आहार देते हैं, जिससे मछली का उत्पादन बढ़ता है. कभी-कभी जल में ऑक्सीजन की मात्रा बनाए रखने के लिए वायु प्रवाह यंत्रों का भी उपयोग किया जाता है. इससे उत्पादन काफी हद तक बढ़ जाता है और मछली पालन अधिक लाभकारी बनता है.

ज्यादा बीजों का पालन

सघन पालन मछली पालन की वह विधि है जिसमें तालाब में अधिक संख्या में मछली के बच्चे डाले जाते हैं. यहां उचित मात्रा में मछली का बीज डालना जरूरी होता है ताकि तालाब में उपलब्ध भोजन का पूरा उपयोग हो सके. इस विधि में विभिन्न प्रकार की मछलियों का चयन इस आधार पर किया जाता है कि वे तालाब में मौजूद भोजन का उपयोग कर सकें. सघन पालन में उत्पादन सबसे ज्यादा होता है और यह विधि अधिक मुनाफा कमाने के लिए सबसे उपयुक्त मानी जाती है. इसके लिए तालाब का प्रबंधन और मछली के स्वास्थ्य पर खास ध्यान देना पड़ता है.

इन तीनों तकनीकों को अपनाकर मछली पालक उत्पादन क्षमता के अनुसार निवेश और मुनाफा तय कर सकता है. इस तरह से देखा जाए तो सही तालाब प्रबंधन और तकनीक के संतुलन से किसान अपनी आमदनी को तीन गुना तक बढ़ा सकता है.

Published: 30 May, 2025 | 05:28 PM