Sawan 2025: न कुंभ, न कोई आयोजन, फिर भी लगता है भक्तों का मेला, यहां बिना पाप-पुण्य देखे शिव देते हैं मोक्ष!

Sawan 2025: हर साल सावन आते ही एक शहर केसरिया रंग में डूब जाता है… गूंजने लगती है “बोल बम” की गूंज और शुरू हो जाती है दुनिया की सबसे लंबी धार्मिक यात्रा बाबा बैद्यनाथ धाम की कांवड़ यात्रा. देवघर में स्थित यह दिव्य धाम न सिर्फ 12 ज्योतिर्लिंगों में श्रेष्ठ है, बल्कि शक्ति और भक्ति का वो संगम है जहां हर आस्था को मंजिल मिलती है. कहा जाता है कि यहां भगवान शिव बिना पाप-पुण्य का लेखा-जोखा देखे मोक्ष प्रदान करते हैं. इस आस्था और रहस्य से भरी धरती पर एक ऐसा मेला होता है जो न कुंभ है, न कोई आयोजन बल्कि यह तो श्रद्धा का वो समंदर है जिसमें डूबने लाखों नहीं, करोड़ों कदम हर साल उमड़ पड़ते हैं.

Isha Gupta
नोएडा | Updated On: 16 Jul, 2025 | 01:08 PM
1 / 6देवघर का श्रावणी मेला विश्व का एकमात्र ऐसा धार्मिक मेला है, जो पूरे एक महीने तक चलता है. सावन के महीने में यहां लाखों श्रद्धालु “बोल बम” के जयकारे के साथ 105 किलोमीटर की पैदल यात्रा करते हैं और बाबा वैद्यनाथ को गंगाजल अर्पित करते हैं.

देवघर का श्रावणी मेला विश्व का एकमात्र ऐसा धार्मिक मेला है, जो पूरे एक महीने तक चलता है. सावन के महीने में यहां लाखों श्रद्धालु “बोल बम” के जयकारे के साथ 105 किलोमीटर की पैदल यात्रा करते हैं और बाबा वैद्यनाथ को गंगाजल अर्पित करते हैं.

2 / 6देवघर को 'हार्द्रपीठ' और 'चिता-भूमि' भी कहा जाता है क्योंकि यह वही स्थान है जहां माता सती का हृदय गिरा था. यही कारण है कि यह स्थान एक साथ शक्तिपीठ और ज्योतिर्लिंग दोनों का स्वरूप धारण करता है जो भारत में दुर्लभ है.

देवघर को 'हार्द्रपीठ' और 'चिता-भूमि' भी कहा जाता है क्योंकि यह वही स्थान है जहां माता सती का हृदय गिरा था. यही कारण है कि यह स्थान एक साथ शक्तिपीठ और ज्योतिर्लिंग दोनों का स्वरूप धारण करता है जो भारत में दुर्लभ है.

3 / 6मान्यता है कि त्रेता युग में भगवान श्रीराम ने ही सबसे पहले सुलतानगंज से जल लेकर कांवर यात्रा की शुरुआत की थी. उन्होंने इस जल को बाबा बैद्यनाथ के शिवलिंग पर अर्पित किया था. यह परंपरा आज भी करोड़ों भक्तों द्वारा निभाई जाती है.

मान्यता है कि त्रेता युग में भगवान श्रीराम ने ही सबसे पहले सुलतानगंज से जल लेकर कांवर यात्रा की शुरुआत की थी. उन्होंने इस जल को बाबा बैद्यनाथ के शिवलिंग पर अर्पित किया था. यह परंपरा आज भी करोड़ों भक्तों द्वारा निभाई जाती है.

4 / 6बाबा बैद्यनाथ की श्रृंगार पूजा अत्यंत भव्य होती है. खास बात यह है कि ब्रिटिश काल से देवघर जेल के कैदी, फूलों की विशेष माला और राजसिंहासन बनाकर मंदिर भेजते हैं. यह परंपरा आज भी जारी है और इस श्रृंगार को देखने लाखों श्रद्धालु रात्रि में जुटते हैं.

बाबा बैद्यनाथ की श्रृंगार पूजा अत्यंत भव्य होती है. खास बात यह है कि ब्रिटिश काल से देवघर जेल के कैदी, फूलों की विशेष माला और राजसिंहासन बनाकर मंदिर भेजते हैं. यह परंपरा आज भी जारी है और इस श्रृंगार को देखने लाखों श्रद्धालु रात्रि में जुटते हैं.

5 / 6पौराणिक मान्यता है कि बाबा वैद्यनाथ ऐसे देव हैं जो बिना पाप-पुण्य का विचार किए अपने भक्तों को मोक्ष प्रदान करते हैं. महर्षि नारद ने भी हनुमान को इस धाम की महत्ता बताते हुए कहा था कि यही स्थान सभी प्राणियों के उद्धार का माध्यम है.

पौराणिक मान्यता है कि बाबा वैद्यनाथ ऐसे देव हैं जो बिना पाप-पुण्य का विचार किए अपने भक्तों को मोक्ष प्रदान करते हैं. महर्षि नारद ने भी हनुमान को इस धाम की महत्ता बताते हुए कहा था कि यही स्थान सभी प्राणियों के उद्धार का माध्यम है.

6 / 6देवघर का उल्लेख स्कंद पुराण, पद्म पुराण, शिव पुराण, यहां तक कि आनंद रामायण में भी मिलता है. इसके साथ ही ऐसा माना जाता है कि उन भक्तों को अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य मिलता है जो कांवर लेकर बोलबम का उच्चारण करते हुए यहां आते हैं.

देवघर का उल्लेख स्कंद पुराण, पद्म पुराण, शिव पुराण, यहां तक कि आनंद रामायण में भी मिलता है. इसके साथ ही ऐसा माना जाता है कि उन भक्तों को अश्वमेध यज्ञ के समान पुण्य मिलता है जो कांवर लेकर बोलबम का उच्चारण करते हुए यहां आते हैं.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

Published: 16 Jul, 2025 | 01:08 PM

फलों की रानी किसे कहा जाता है?

फलों की रानी किसे कहा जाता है?