शारदीय नवरात्रि का पर्व सिर्फ पूजा और भक्ति तक सीमित नहीं है, बल्कि यह हमें उन पौराणिक कथाओं की याद दिलाता है जो मां दुर्गा की महिमा को दर्शाती हैं. महाभारत काल में कुरुक्षेत्र युद्ध के समय अर्जुन ने मां दुर्गा की स्तुति कर उनका आशीर्वाद पाया था.
जब अर्जुन ने युद्धभूमि में कौरवों की भारी-भरकम सेना को देखा तो वे भयभीत हो उठे. उसी क्षण भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें समझाया कि विजय पाने का एकमात्र मार्ग मां दुर्गा का स्मरण और स्तुति करना है.
अर्जुन ने रथ से उतरकर मां दुर्गा के कई स्वरूपों की वंदना की. उन्होंने भद्रकाली, महाकाली, चंडिका, कात्यायनी, कराली, विजया और जया जैसे स्वरूपों को स्मरण किया. यह दिखाता है कि मां दुर्गा हर परिस्थिति में शक्ति और साहस की देवी हैं.
अर्जुन ने मां को केवल एक शक्ति स्वरूप तक सीमित नहीं किया, बल्कि उन्हें उमा, शाकम्भरी, माहेश्वरी, कृष्णा, वीरूपाक्षी, धूम्राक्षी और सरस्वती के रूप में भी पुकारा. इससे यह सिद्ध होता है कि मां दुर्गा सृष्टि के हर कण में विद्यमान हैं और वे ही सृष्टि का कल्याण करती हैं.
अर्जुन की हृदयस्पर्शी स्तुति से प्रसन्न होकर मां दुर्गा आकाश में प्रकट हुईं और उन्हें विजय का आशीर्वाद दिया. उन्होंने कहा कि जब श्रीकृष्ण उनके साथ हैं तो उनकी जीत निश्चित है. अगर स्वयं इंद्र भी युद्ध में उतरें, तब भी अर्जुन को कोई पराजित नहीं कर सकता.
इस पौराणिक कथा से यह शिक्षा मिलती है कि शक्ति, साहस और विजय का मूल स्रोत मां दुर्गा ही हैं. उनका आशीर्वाद प्राप्त कर ही इंसान जीवन के हर संकट, हर संघर्ष और हर कठिनाई पर विजय पा सकता है. यही कारण है कि नवरात्रि में मां के नाम और उनकी शक्ति का स्मरण करना अत्यंत विशेष माना जाता है.