रबी सीजन में लहसुन की टॉप किस्में बदल सकती हैं किसानों की किस्मत, होगी लाखों की कमाई

लहसुन ऐसी ही एक नकदी फसल है, जिसने बीते कुछ वर्षों में किसानों का भरोसा जीता है. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसकी मांग सालभर बनी रहती है और इसे लंबे समय तक भंडारित करके भी रखा जा सकता है. यही वजह है कि कई किसान इसे “सफेद सोना” भी कहने लगे हैं.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 19 Dec, 2025 | 11:18 AM

Farming Tips: आज लहसुन केवल रसोई तक सीमित नहीं है, बल्कि आयुर्वेदिक दवाओं, घरेलू नुस्खों, मसाला उद्योग, प्रोसेसिंग यूनिट और निर्यात बाजार में भी इसकी भारी मांग है. ऐसे में अगर किसान सही किस्म का चुनाव करें, तो लहसुन की खेती उन्हें लाखों रुपये की आमदनी दे सकती है. रबी सीजन में खास तौर पर तीन किस्में ऐसी हैं, जो उत्पादन और बाजार भाव दोनों के लिहाज से बेहद फायदेमंद मानी जाती हैं.

यमुना सफेद-3 (G-282): बाजार की पहली पसंद

यमुना सफेद-3 को देश की सबसे लोकप्रिय लहसुन किस्मों में गिना जाता है. इसका रंग चमकदार सफेद होता है और कंद आकार में बड़े व मजबूत होते हैं. एक बल्ब में करीब 15 से 16 कलियां होती हैं, जिससे इसका वजन अच्छा बनता है और बाजार में इसे आसानी से बेहतर दाम मिल जाते हैं. यह किस्म मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में बहुत अच्छी तरह उगाई जाती है.

यह किस्म लगभग 120 से 140 दिनों में तैयार हो जाती है और अनुकूल परिस्थितियों में किसान प्रति हेक्टेयर 175 से 200 क्विंटल तक उपज ले सकते हैं. अगर बाजार में लहसुन का औसत भाव भी 3,800 रुपये प्रति क्विंटल रहा, तो किसानों की कुल आमदनी 6 से 7 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर तक पहुंच सकती है. यही कारण है कि बड़े किसान ही नहीं, बल्कि छोटे और मध्यम किसान भी इस किस्म की ओर तेजी से आकर्षित हो रहे हैं.

एग्रीफाउंड पार्वती (G-313): पहाड़ी इलाकों के लिए बेहतरीन विकल्प

एग्रीफाउंड पार्वती किस्म खास तौर पर ठंडे और पहाड़ी क्षेत्रों के लिए विकसित की गई है. इसका रंग हल्का गुलाबी होता है और इसकी कलियां बड़ी व आकर्षक होती हैं. एक बल्ब में 10 से 16 कलियां पाई जाती हैं, जो इसे बाजार में अलग पहचान देती हैं. यह किस्म जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों में बेहद सफल रही है.

इस किस्म की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह कम तापमान में भी अच्छी बढ़वार करती है. किसान इससे प्रति हेक्टेयर 200 से 225 क्विंटल तक उत्पादन ले सकते हैं. पहाड़ी इलाकों में उगाई जाने वाली इस किस्म को बाजार में प्रीमियम भाव भी मिलता है, जिससे किसानों की आमदनी और बढ़ जाती है.

ऊटी लहसुन: प्रीमियम बाजार की जान

ऊटी लहसुन को प्रीमियम किस्म माना जाता है. इसके कंद देसी लहसुन की तुलना में लगभग दोगुने आकार के होते हैं और इन्हें छीलना भी आसान होता है. यही वजह है कि होटल, रेस्टोरेंट और प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में इसकी खास मांग रहती है. मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात में इसकी खेती बड़े पैमाने पर की जाती है और मालवा क्षेत्र में लहसुन उत्पादन में इसका योगदान सबसे अधिक माना जाता है.

यह किस्म भी लगभग 120 से 140 दिनों में तैयार हो जाती है और अच्छी देखभाल के साथ किसान इससे शानदार उपज प्राप्त कर सकते हैं. बाजार में इसकी कीमत सामान्य किस्मों से अधिक रहती है, जिससे मुनाफा भी बेहतर होता है.

सही किस्म से बढ़ेगी आमदनी

लहसुन की खेती में सफलता काफी हद तक किस्म के चुनाव पर निर्भर करती है. अगर किसान अपने क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी के अनुसार यमुना सफेद-3, एग्रीफाउंड पार्वती या ऊटी जैसी उन्नत किस्मों का चयन करते हैं, तो रबी सीजन में लहसुन उनके लिए कमाई का मजबूत जरिया बन सकता है. सही तकनीक और समय पर देखभाल के साथ यह फसल न सिर्फ लागत निकालती है, बल्कि किसानों की आर्थिक स्थिति को भी मजबूत बनाती है.

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