REPORT: किसानों की बढ़ती मांग ने बढ़ाई चिंता, FY26 में 41 फीसदी उर्वरक आयात बढ़ने का अनुमान

देश में 14 करोड़ से ज्यादा किसान उर्वरकों पर निर्भर हैं. भारत में कुल उर्वरक खपत लगभग 70 मिलियन टन है. जिसमें से 150 से अधिक कंपनियां घरेलू मांग का 75 फीसदी उत्पादन करती हैं,  बाकी 25 फीसदी आयात से पूरा होता है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 10 Dec, 2025 | 02:11 PM

Fertiliser Imports: इस साल देश के अधिकांश हिस्सों में मानसून सामान्य से बेहतर रहा, जिससे रबी सीजन की बुवाई बढ़ गई. खेती के विस्तार के साथ ही खाद की मांग भी तेजी से बढ़ी. इसी कारण यूरिया, डीएपी और एनपीके जैसे उर्वरकों की खपत में अचानक उछाल देखने को मिला. FAI की रिपोर्ट के अनुसार अगले वर्ष उर्वरक आयात में 41 फीसदी के इजाफे की उम्मीद जताई जा रही है.

बिजनेस लाइन की रिपोर्ट के अनुसार,  भारतीय उर्वरक संघ (FAI) अध्यक्ष एस. शंकरसुब्रमणियन के अनुसार, अप्रैल से अक्टूबर तक ही यूरिया आयात 5.86 मिलियन टन तक पहुंच गया, जो पिछले साल इसी अवधि के 2.48 मिलियन टन के मुकाबले 136 फीसदी ज्यादा है. यह पिछले कई वर्षों में सबसे बड़ी बढ़ोतरी मानी जा रही है.

उर्वरक स्टॉक में कमी से किसानों की चिंता बढ़ी

28 नवंबर तक देशभर में कुल उर्वरक स्टॉक 4.99 मिलियन टन था, जबकि पिछले वर्ष यह 6.6 मिलियन टन था. कमी के कारण कुछ राज्यों में किसानों ने यूरिया की कमी की शिकायतें भी कीं.

उपलब्ध स्टॉक में-

  • 1.74 मिलियन टन DAP
  • 3.50 मिलियन टन NPK
  • 0.65 मिलियन टन MOP

FAI का दावा है कि मौजूदा स्टॉक और आने वाली आयातित खेपों से रबी सीजन की जरूरतें पूरी हो जाएंगी, लेकिन किसानों में असंतोष अभी भी बना हुआ है.

चीन से आयात में भारी गिरावट

पिछले एक वर्ष में चीन से आने वाला उर्वरक आयात काफी कम हुआ है. FAI के अनुसार चीन से यूरिया आयात FY24 में 1.87 मिलियन टन था, जो FY25 में सिर्फ 1 लाख टन रह गया. चीन से DAP आयात भी 2.23 मिलियन टन से घटकर 0.85 मिलियन टन पर पहुंच गया. जिससे चीन पर निर्भरता कम होने से भारत को अन्य देशों से नए समझौते करने पड़े हैं.

घरेलू उत्पादन की रफ्तार धीमी

अप्रैल-अक्टूबर के दौरान देश में कुल उर्वरक उत्पादन 29.97 मिलियन टन रहा, जो पिछले साल के 29.75 मिलियन टन से थोड़ा ही ज्यादा है.

उत्पादन में शामिल 17.13 मिलियन टन यूरिया,  2.32 मिलियन टन DAP, 7.04 मिलियन टन NPK, मांग के मुकाबले घरेलू उत्पादन में वृद्धि बेहद सीमित है, जिससे आयात बढ़ाने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता.

अंतरराष्ट्रीय साझेदारियां

उर्वरक सुरक्षा को मजबूत करने के लिए भारत ने कच्चे माल के बड़े देशों के साथ रणनीतिक साझेदारी बढ़ाई है. इसमें शामिल हैं सऊदी अरब, जॉर्डन, मोरक्को, कतर और रूस. इन साझेदारियों के जरिए भारत को रॉक फॉस्फेट, पोटाश, और तैयार उर्वरकों की स्थिर सप्लाई मिलती है, जिससे भविष्य में कमी की स्थिति से बचा जा सकता है.

भारतदुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उर्वरक उपभोक्ता

देश में 14 करोड़ से ज्यादा किसान उर्वरकों पर निर्भर हैं. भारत में कुल उर्वरक खपत लगभग 70 मिलियन टन है. जिसमें से 150 से अधिक कंपनियां घरेलू मांग का 75 फीसदी उत्पादन करती हैं,  बाकी 25 फीसदी आयात से पूरा होता है. उर्वरक उपयोग के मामले में भारत चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा बाजार है.

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