8 मजदूरों का काम अकेले करेगी ये मशीन, धान की रोपाई अब मिनटों का खेल!

धान की खेती में अब किसानों को राहत देने वाली तकनीक आ गई है. यह एक ऐसी आधुनिक मशीन है, जो 8 मजदूरों के बराबर काम अकेले कर सकती है.

धीरज पांडेय
नोएडा | Published: 16 Jul, 2025 | 01:20 PM

धान की खेती करने वाले किसानों के लिए अब राहत भरी खबर है. जिस काम को पहले 8 मजदूर मिलकर घंटों में करते थे, अब वही काम एक अकेली मशीन मिनटों में निपटा देगी. इस मशीन का नाम है पैडी ट्रांसप्लांटर, जो धान की रोपाई को न सिर्फ आसान बनाती है, बल्कि तेज और सटीक भी कर देती है. खेत में पसीना बहाने वाले किसानों के लिए यह तकनीक एक नई क्रांति की तरह आई है.

मैट नर्सरी से रोपाई अब और भी आसान

पैडी ट्रांसप्लांटर मशीन दो प्रकार की होती है. एक छह लाइन वाली हस्तचालित और दूसरी आठ लाइन वाली शक्ति-चालित. इसका मतलब है कि यह मशीन एक बार में छह से आठ कतारों में धान के पौधे रोप सकती है. इस मशीन से रोपाई के लिए मैट टाइप नर्सरी तैयार की जाती है. इसमें धान के बीजों को एक समतल ट्रे या सपाट सतह पर अंकुरित किया जाता है, जिससे पौधे मजबूत और सीधे खड़े हो सकें. मशीन इन पौधों को आसानी से उठाकर खेत में तय दूरी पर लगा देती है. इससे समय और मजदूरी दोनों की बचत होती है.

कैसे होती है नर्सरी की तैयारी?

उत्तर प्रदेश सरकार के कृषि विभाग के अनुसार, धान की नर्सरी  तैयार करने के लिए सबसे पहले बीज को 24 घंटे तक पानी में भिगोया जाता है. इसके बाद इन्हें बोरे में या किसी छायादार जगह पर 2–3 दिनों तक ढककर रखा जाता है. इसके अलावा जब बीज से अंकुर निकलने लगते हैं तो उन पर हल्का पानी छिड़का जाता है. ध्यान रखें कि जब अंकुर मजबूत हो जाएं, तभी उन्हें ट्रे या समतल सतह पर बोया जाना चाहिए, ताकि रोपाई के समय पौधे टूटें नहीं.

सटीक दूरी और गहराई से होती है पौधों की रोपाई

जब नर्सरी में धान की पौधियां पूरी तरह तैयार हो जाती हैं, तब पैडी ट्रांसप्लांटर मशीन उन्हें उठाकर खेत में 20 सेंटीमीटर की तय दूरी पर रोप देती है. इतना ही नहीं यह मशीन हर पौधे को बराबर दूरी और सही गहराई में लगाती है, जिससे फसल की बढ़त  अच्छी होती है. इस प्रक्रिया में करीब 50 किलो बीज प्रति हेक्टेयर की जरूरत होती है. इसके अलावा पौधों को लगाने की दूरी आमतौर पर 20 सेंटीमीटर लंबाई और 10 सेंटीमीटर चौड़ाई में होती है, जिससे खेत में पौधों को पर्याप्त जगह मिलती है.

8 मजदूरों का काम अब एक मशीन अकेले करेगी

इस मशीन से समय और श्रम दोनों की बचत होती है. जहां पहले एक हेक्टेयर खेत की रोपाई में 8 मजदूरों को पूरा दिन लग जाता था, वहीं अब यह काम एक या दो घंटे में मशीन से हो जाता है. साथ ही पौधों की कतारें भी एकदम सीधी और सम दूरी पर लगती हैं, जिससे आगे चलकर फसल की देखभाल और सिंचाई में भी सुविधा होती है.

कम लागत में ज्यादा मुनाफा

यह मशीन डीजल या पेट्रोल से चलती है और सरकार कई राज्यों में इस पर सब्सिडी भी देती है. यदि किसान समूह बनाकर इसका उपयोग करें तो लागत और भी कम हो जाती है. ऐसे में यह तकनीक छोटे और मध्यम किसानों के लिए भी फायदेमंद साबित हो सकती है.

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Published: 16 Jul, 2025 | 01:20 PM

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