किसान ध्यान दें! पुराने ट्रैक्टर टायर बन सकते हैं नए जैसे, रिमोल्डिंग से बचाएं हजारों रुपये
जुताई हो, बुवाई हो या ट्रॉली खींचना, ट्रैक्टर के टायर हर मौसम में भारी दबाव झेलते हैं. ऐसे में जब टायर घिस जाते हैं, तो ज्यादातर किसान उन्हें कबाड़ में बेचकर नए टायर खरीद लेते हैं. लेकिन बहुत कम किसानों को यह जानकारी होती है कि पुराने टायर को पूरी तरह बदलने की जरूरत हर बार नहीं होती.
Tractor Tyre: खेती आज सिर्फ मेहनत का नहीं, समझदारी का काम भी बन चुकी है. ट्रैक्टर हर किसान की खेती का सबसे अहम साथी होता है और उसके टायर खेती के हर काम में सबसे ज्यादा घिसते हैं. जुताई हो, बुवाई हो या ट्रॉली खींचना, ट्रैक्टर के टायर हर मौसम में भारी दबाव झेलते हैं. ऐसे में जब टायर घिस जाते हैं, तो ज्यादातर किसान उन्हें कबाड़ में बेचकर नए टायर खरीद लेते हैं. लेकिन बहुत कम किसानों को यह जानकारी होती है कि पुराने टायर को पूरी तरह बदलने की जरूरत हर बार नहीं होती. अगर सही तरीके से टायर रिमोल्डिंग कराई जाए, तो हजारों रुपये की बचत की जा सकती है.
क्या होती है टायर रिमोल्डिंग?
टायर रिमोल्डिंग एक ऐसी तकनीक है, जिसमें घिस चुके ट्रैक्टर टायर को फिर से इस्तेमाल लायक बना दिया जाता है. आमतौर पर ट्रैक्टर टायर का बीच वाला हिस्सा ज्यादा घिसता है, जबकि साइड का हिस्सा यानी बॉर्डर काफी हद तक मजबूत बना रहता है. अगर टायर का साइडवॉल सही स्थिति में है और उसमें कोई बड़ा कट या दरार नहीं है, तो ऐसे टायर को रिमोल्ड कराया जा सकता है. इस प्रक्रिया में पुराने टायर की घिसी हुई सतह को हटाकर उस पर नई रबर चढ़ाई जाती है और मशीनों की मदद से नया ट्रेड पैटर्न बनाया जाता है, जिससे टायर फिर से मजबूत और टिकाऊ बन जाता है.
नए टायर जैसा प्रदर्शन, आधी कीमत में
रिमोल्ड किया गया टायर देखने और चलाने में काफी हद तक नए टायर जैसा ही होता है. खेत में इसकी पकड़ अच्छी रहती है और ट्रैक्टर को जरूरी ट्रैक्शन भी मिलता है. जहां एक नया ट्रैक्टर टायर खरीदने में 35 से 40 हजार रुपये तक खर्च आ सकता है, वहीं रिमोल्डिंग का खर्च आमतौर पर 15 से 20 हजार रुपये के बीच होता है. इस तरह किसान करीब 50 से 60 प्रतिशत तक पैसा बचा सकते हैं. छोटे और सीमांत किसानों के लिए यह बचत बहुत मायने रखती है, क्योंकि खेती में पहले ही डीजल, खाद और बीज पर खर्च लगातार बढ़ रहा है.
कब रिमोल्डिंग कराना होता है सही फैसला?
हर घिसा हुआ टायर रिमोल्डिंग के लिए सही नहीं होता. अगर टायर पूरी तरह फट चुका है या साइडवॉल कमजोर हो गया है, तो रिमोल्डिंग कराना सुरक्षित नहीं माना जाता. लेकिन अगर टायर का ढांचा मजबूत है और सिर्फ ऊपर की परत घिसी है, तो रिमोल्डिंग एक बेहतरीन विकल्प है. कई किसान यह गलती करते हैं कि थोड़ा घिसते ही टायर बेच देते हैं, जबकि थोड़ी समझदारी दिखाकर उसी टायर से कई सीजन तक काम लिया जा सकता है.
पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद
टायर रिमोल्डिंग सिर्फ जेब के लिए ही नहीं, बल्कि पर्यावरण के लिए भी अच्छी मानी जाती है. पुराने टायर जब बेकार फेंक दिए जाते हैं, तो वे लंबे समय तक जमीन और वातावरण को नुकसान पहुंचाते हैं. रिमोल्डिंग से टायर का दोबारा उपयोग होता है, जिससे कचरा कम होता है और प्राकृतिक संसाधनों की भी बचत होती है. यह खेती को ज्यादा टिकाऊ बनाने की दिशा में एक छोटा लेकिन अहम कदम है.
किसानों के लिए समझदारी भरा फैसला
आज के समय में जब खेती की लागत लगातार बढ़ रही है, तब हर ऐसा तरीका जरूरी हो जाता है, जिससे खर्च कम किया जा सके. टायर रिमोल्डिंग उन्हीं उपायों में से एक है, जो कम खर्च में ज्यादा फायदा देता है. अगर किसान सही समय पर और भरोसेमंद वर्कशॉप से रिमोल्डिंग कराते हैं, तो ट्रैक्टर की कार्यक्षमता भी बनी रहती है और जेब पर भी बोझ नहीं पड़ता. पुराने टायर को बेकार समझने से पहले एक बार रिमोल्डिंग के विकल्प पर जरूर विचार करना चाहिए, क्योंकि यही छोटा फैसला साल भर की खेती में बड़ी बचत दिला सकता है.