बिना बिजली चलने वाला सोलर ड्रायर बना किसानों का सहारा, अब नहीं सड़ेगा अनाज

भारत में कटाई के बाद फसलों के खराब होने की बड़ी समस्या को सोलर ड्रायर तकनीक ने कम कर दिया है. यह तकनीक पर्यावरण के अनुकूल, कम लागत वाली और किसानों के लिए फायदे का सौदा बन गई है.

नोएडा | Updated On: 11 Jul, 2025 | 06:02 PM

कटाई के बाद फसलों का एक बड़ा हिस्सा अक्सर नमी, कीट और मौसम की मार की वजह से खराब हो जाता है, जिससे किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है. लेकिन अब यह स्थिति बदल रही है. दरअसल, सूरज की गर्मी से चलने वाला सोलर ड्रायर किसानों के लिए नई उम्मीद बनकर उभरा है. यह ड्रायर बिना बिजली के फसलों को तेज, सुरक्षित और स्वच्छ तरीके से सुखाता है. इससे अनाज, फल और सब्ज़ियां लंबे समय तक सुरक्षित रहते हैं और किसानों की आमदनी भी बढ़ रही है. यह तकनीक अब ग्रामीण भारत में खेती का नया भविष्य बन रही है.

सोलर ड्रायर से फसल बचाने का आसान उपाय

भारत में फसल कटाई के बाद खराब होने की समस्या बहुत आम है. किसान जब फसलें धूप में सुखाते हैं तो उस पर धूल, कीड़े-मकोड़े और कभी-कभी बारिश की मार पड़ जाती है, जिससे फसलें सड़ने लगती हैं. ऐसे में सोलर ड्रायर एक बेहतर और सुरक्षित समाधान बनकर सामने आया है. यह ग्रीनहाउस जैसे ढांचे में काम करता है, जहां सूरज की गर्मी से फसलें जल्दी और साफ तरीके से सूख जाती हैं. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें न बिजली की जरूरत होती है और न ही किसी महंगे उपकरण की. इस वजह से अब किसान बिना कोई केमिकल डाले अपनी फसल को सुरक्षित रख रहे हैं और वह ज्यादा दिनों तक खराब नहीं होती.

सोलर ड्रायर से फसलों को मिला नया बाजार

बेटर इंडिया के मुताबिक, सोलर ड्रायर की मदद से अब किसान सिर्फ फसल नहीं बचा रहे, बल्कि उससे अच्छी कमाई भी कर रहे हैं. तुलसी, कैमोमाइल और अपराजिता जैसी फसलों को सुखाकर वे देश-विदेश में बेच रहे हैं. ड्रायर से फसलें जल्दी सूखती हैं और उनकी क्वालिटी भी बनी रहती है. यही वजह है कि जो फसलें पहले मंडी पहुंचने से पहले सड़ जाती थीं, अब पैक होकर विदेशों तक जा रही हैं.

महिलाओं और समूहों को मिला सहारा

सोलर ड्रायर ने ग्रामीण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने का जरिया दिया है. देश के कई राज्यों में महिला स्वयं सहायता समूह अब फूलों और औषधीय पौधों को सोलर ड्रायर में सुखाकर अच्छी कमाई कर रही हैं. यह तकनीक सस्ती, आसान और पर्यावरण के अनुकूल है. इससे न तो प्रदूषण होता है और न ही बिजली खर्च होती है. कम लागत में लगने वाले इन ड्रायर्स से हजारों महिलाएं जुड़ चुकी हैं और अपनी आजीविका को एक नई दिशा दे रही हैं.

हर किसान के लिए एक मुनाफे का सौदा

भारत में हर साल करीब 100 करोड़ रुपये के सूखे उत्पादों का निर्यात होता है. अगर किसान खेत स्तर पर ही अपनी फसलों को सुखाकर बेचना शुरू करें तो उन्हें मंडी पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा. गेहूं, चावल जैसे कम लाभ वाली फसलों की जगह अब किसान उच्च लाभ वाली औषधीय फसलें ले रहे हैं और सोलर ड्रायर से उन्हें बाजार लायक बना रहे हैं. यह तकनीक जलवायु बदलाव के दौर में स्मार्ट कृषि की मिसाल बन चुकी है.

देशभर में सोलर ड्रायर से बदल रही किसानों की किस्मत

देश के अलग-अलग हिस्सों में किसान सोलर ड्रायर की मदद से न सिर्फ अपनी फसल बचा रहे हैं, बल्कि अच्छी कमाई भी कर रहे हैं. कानपुर के शेखपुर गांव में पूर्व फार्मा अधिकारी शिवराज निषाद ने 2019 में सोलर ड्रायर लगाया. वे अपराजिता फूलों को सुखाकर हर महीने करीब 1 लाख रुपये कमा रहे हैं. वहीं टिहरी गढ़वाल की महिलाएं जड़ी-बूटियों और फूलों को सुरक्षित सुखाकर उन्हें बाजार में बेच रही हैं. इतना ही नहीं, महाराष्ट्र के जाधव दंपति ने अंगूर की फसल बचाने के लिए सोलर ड्रायर लगाया, जिससे उन्होंने 750 किलो अंगूर सुरक्षित किए और बाद में पांच यूनिट लगाकर अन्य फसलें भी सुखाना शुरू किया. खास बात ये है कि ड्रायर से सूखी किशमिश की कीमत खुले में सूखी किशमिश से 5 गुना ज्यादा मिल रही है.

Published: 11 Jul, 2025 | 08:20 PM

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