मानसून से पहले ट्रैक्टर की करें जांच, नहीं तो हो सकता है बड़ा हादसा
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल दुनिया भर में 1,530 से ज्यादा लोग ट्रैक्टर पलटने की वजह से अपनी जान गंवाते हैं.
जब खेत हरियाली से भर जाते हैं और आसमान से बारिश की फुहारें पड़ती हैं, तब किसान का सबसे भरोसेमंद साथी बनता है उसका ट्रैक्टर. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि वही ट्रैक्टर, अगर सही समय पर ठीक से न देखा जाए, तो जानलेवा भी साबित हो सकता है?
अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) की रिपोर्ट के मुताबिक, हर साल दुनिया भर में 1,530 से ज्यादा लोग ट्रैक्टर पलटने की वजह से अपनी जान गंवाते हैं, और 60,000 से ज्यादा गंभीर रूप से घायल होते हैं. वहीं भारत में देखें तो हर साल लगभग 550 जानलेवा ट्रैक्टर दुर्घटनाएं और 6,450 घायल मजदूरों के मामले सामने आते हैं, खासकर मध्य भारत में, और वो भी मानसून के मौसम में.
तो क्या इस खतरे से बचा जा सकता है? बिल्कुल! सिर्फ थोड़ी सी सावधानी और समय पर ट्रैक्टर की देखरेख से आप और आपका ट्रैक्टर सुरक्षित रह सकते हैं.
मानसून में ट्रैक्टर देखभाल क्यों है जरूरी?
मानसून आते ही खेतों में हलचल बढ़ जाती है, बुवाई, जुताई और खेत की सफाई शुरू हो जाती है. लेकिन अक्सर इस भाग-दौड़ में किसान ट्रैक्टर की सुरक्षा और रख-रखाव को नजरअंदाज कर देते हैं, जिसका नतीजा कभी-कभी जानलेवा हो जाता है.
यही वजह है कि किसान इंडिया किसानों को जागरूक करता है और सही ट्रैक्टर जानकारी से उनकी मदद करता है. अगर आप मानसून से पहले अपने ट्रैक्टर की ठीक से जांच और मेंटेनेंस कर लेते हैं, तो आप महंगी मरम्मत से बच सकते हैं.
ट्रैक्टर की सेहत की करें जांच
जंग से रहें सतर्क
बरसात से पहले जंग और जंग लगी चीजों पर नजर डालें. नमी और लगातार भीगने से ट्रैक्टर के कई हिस्सों में जंग लग सकती है, जो धीरे-धीरे मशीन की ताकत को कमजोर कर देती है. ऐसे में किसी भी जंग लगे हिस्से को तुरंत साफ कर, सुखा कर और अच्छे से ग्रीस या ऑयल लगा कर सुरक्षित करें.
लुब्रिकेशन यानी चिकनाई जांचें
लुब्रिकेशन यानी चिकनाई की जांच बेहद जरूरी है. बारिश और नमी कई बार ट्रैक्टर के ऑयल को बेअसर बना देती है, जिससे मशीन में घर्षण बढ़ता है और उसके पुर्जे खराब हो सकते हैं. अगर ऑयल का रंग हल्का भूरा या दूधिया हो गया हो, तो यह संकेत है कि पानी मिल गया है और उसे तुरंत बदलने की जरूरत है.
इलेक्ट्रिक वायरिंग पर ध्यान दें
इलेक्ट्रिकल कनेक्शनों की जांच करें. बारिश में शॉर्ट सर्किट या बैटरी फेल होने की आशंका रहती है. इसलिए बैटरी टर्मिनल और वायरिंग की अच्छे से जांच करें ताकि खेत में ट्रैक्टर बीच में बंद न हो जाए.
टायर की स्थिति जानें
टायर भी उतने ही जरूरी हैं. हवा का प्रेशर सही है या नहीं, नट-बोल्ट ढीले तो नहीं, और टायर में कोई कट या लीकेज है या नहीं, ये सब जांचें. खेतों में फिसलन भरी मिट्टी में टायर की पकड़ ही ट्रैक्टर की ताकत होती है.
ढीले पुर्जों को कसें
कई बार बेल्ट, बोल्ट या जॉइंट ढीले हो जाते हैं, जो चलते-चलते टूट सकते हैं. खेत में निकलने से पहले इन्हें अच्छी तरह कस लें.