Sugar Exports: भारत की चीनी मिलों के लिए यह साल चुनौती भरा साबित हो रहा है. अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्राजील की भारी आपूर्ति और गिरती कीमतों ने भारतीय चीनी के निर्यात को बड़ा झटका दिया है. सरकार द्वारा तय किए गए 10 लाख टन के निर्यात लक्ष्य को पूरा करने की उम्मीद अब टूट चुकी है और अनुमान है कि सितंबर 2025 तक भारत केवल करीब 7.75 लाख टन चीनी ही विदेशों में भेज पाएगा. शुरुआती महीनों में तेज निर्यात के बाद अचानक आई सुस्ती ने मिलों को घरेलू बाजार की ओर रुख करने पर मजबूर कर दिया है.
शुरुआती तेजी के बाद निर्यात की रफ्तार थमी
जनवरी 2025 में सरकार ने चीनी मिलों को 10 लाख टन तक चीनी निर्यात की मंजूरी दी थी. इसका मकसद घरेलू बाजार में कीमतों को स्थिर रखना और अतिरिक्त स्टॉक को विदेशों में बेचना था. सीजन की शुरुआत में भारतीय मिलों ने तेजी से सौदे किए और निर्यात भी अच्छी रफ्तार से हुआ. लेकिन पिछले कुछ महीनों में हालात बदल गए. ब्राजील से सस्ती चीनी की भारी आपूर्ति होने लगी, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें चार साल के निचले स्तर तक गिर गईं और भारतीय चीनी की मांग घट गई.
ब्राजील की सस्ती चीनी से बढ़ी मुश्किलें
आमतौर पर एशियाई देशों में भारत को कम माल ढुलाई लागत की वजह से बढ़त मिलती रही है. मगर हाल ही में ब्राजील की चीनी भारतीय शिपमेंट से करीब 25 डॉलर प्रति टन सस्ती हो गई. इससे आयातक देशों ने ब्राजील से खरीद बढ़ा दी और भारतीय मिलों के लिए मुकाबला करना मुश्किल हो गया. फिलहाल भारतीय मिलें लगभग 7.5 लाख टन का ही अनुबंध कर पाई हैं, जिनमें से करीब 7.2 लाख टन चीनी पहले ही भेजी जा चुकी है.
घरेलू बाजार पर बढ़ा ध्यान
वैश्विक बाजार में कीमतें गिरने के बावजूद भारत में चीनी के दाम अपेक्षाकृत ऊंचे बने हुए हैं. इसका फायदा उठाते हुए मिलों ने घरेलू बिक्री को प्राथमिकता देनी शुरू कर दी. विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा हालात में सितंबर के अंत तक अधिकतम 25 हजार टन के नए निर्यात सौदे ही हो पाएंगे. ऐसे में कुल निर्यात 7.75 लाख टन तक सीमित रहने की संभावना है.
नए सीजन से जुड़ी उम्मीदें
1 अक्टूबर से नया चीनी सीजन शुरू होगा. अच्छी मॉनसून बारिश के चलते उत्पादन बढ़ने की उम्मीद है. ऐसे में मिलें सरकार से अगले सीजन में बची हुई लगभग 2 लाख टन चीनी निर्यात करने की अनुमति मांग सकती हैं. अगर वैश्विक बाजार में कीमतें सुधरीं तो भारत के लिए दोबारा निर्यात बढ़ाने का मौका मिल सकता है.
प्रमुख खरीदार और आगे की रणनीति
भारत अफगानिस्तान, बांग्लादेश, इंडोनेशिया, श्रीलंका और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों को चीनी बेचता है. बीते पांच सालों में भारत औसतन 68 लाख टन वार्षिक निर्यात के साथ दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चीनी निर्यातक रहा है. विशेषज्ञों का कहना है कि अगर आने वाले सीजन में वैश्विक मांग और कीमतों में सुधार हुआ, तो भारत एक बार फिर बड़े निर्यातक के रूप में अपनी पकड़ मजबूत कर सकता है. फिलहाल सभी की निगाहें सरकार की नई निर्यात नीति और अंतरराष्ट्रीय बाजार के रुझान पर टिकी हुई हैं.