सोलापुर का केला पहुंचा ओमान, किसानों की मेहनत को मिला अंतरराष्ट्रीय बाजार

ओमान में खेप भेजने के बाद अब किसान पूरे मिडल ईस्ट में बाजार तलाशने की तैयारी कर रहे हैं. साथ ही आने वाले सीजन में अंगूर का निर्यात करने की भी योजना है.

नई दिल्ली | Published: 2 Sep, 2025 | 11:26 AM

भारत के किसानों के लिए यह गर्व का क्षण है. महाराष्ट्र के सोलापुर जिले के छोटे और सीमांत किसानों ने मिलकर पहली बार बड़े पैमाने पर केले का निर्यात कर अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी पहचान बनाई है. उले फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी (FPC) द्वारा ओमान को भेजी गई 20 मीट्रिक टन की केले की खेप न केवल स्थानीय किसानों की मेहनत और सामूहिक प्रयास का नतीजा है, बल्कि यह साबित करती है कि सही दिशा, तकनीकी सहयोग और सरकारी मदद से भारतीय किसान भी वैश्विक स्तर पर बड़ी सफलता हासिल कर सकते हैं.

किसानों के लिए नई उम्मीद

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, इस निर्यात को संभव बनाने में एग्रीटेक प्लेटफॉर्म वेग्रो (Vegrow) और महाराष्ट्र सरकार की SMART योजना का बड़ा योगदान रहा. इस कार्यक्रम ने किसानों को तकनीकी और ढांचागत मदद दी, जिससे वे अब अंतरराष्ट्रीय स्तर की पैकिंग, ग्रेडिंग और कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं से लैस हो गए हैं.

अब केला बना पहचान

उले FPC की स्थापना साल 2017 में छोटे अंगूर किसानों ने की थी. पहले किसानों के पास कोई पैकहाउस या कोल्ड स्टोरेज नहीं था, जिससे उन्हें अपनी फसल सस्ती कीमत पर सांगली और नाशिक जैसे बाजारों में बेचनी पड़ती थी. लेकिन SMART योजना के अंतर्गत बने आधुनिक पैकहाउस, प्री-कूलिंग यूनिट्स और कोल्ड स्टोरेज चैंबर्स ने उनकी स्थिति बदल दी. अब उनकी फसल अंतरराष्ट्रीय मानकों के मुताबिक तैयार की जा रही है.

अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोलापुर के केले की एंट्री

इस उपलब्धि के बाद FPC ने 100 एकड़ में केले की खेती शुरू की है और अगले साल इसे 500 एकड़ तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है. ओमान में खेप भेजने के बाद अब किसान पूरे मिडल ईस्ट में बाजार तलाशने की तैयारी कर रहे हैं. साथ ही आने वाले सीजन में अंगूर का निर्यात करने की भी योजना है.

किसानों का बदलता नजरिया

FPC के वरिष्ठ सदस्य अप्पा रामचंद्र धांके ने बताया, “2023 में हमने ट्रायल एक्सपोर्ट किया था, लेकिन यह हमारी पहली बड़ी खेप है. अब किसान बिचौलियों पर निर्भर नहीं हैं, बल्कि सीधे अंतरराष्ट्रीय व्यापार का हिस्सा बन रहे हैं. यह केवल आमदनी बढ़ाने का मौका नहीं है, बल्कि ग्रामीण विकास और सशक्तिकरण की ओर बड़ा कदम है.”

सरकार और विशेषज्ञों की सराहना

SMART प्रोजेक्ट के निदेशक डॉ. हेमंत वसेकर ने इस निर्यात की सराहना करते हुए कहा, “सोलापुर के किसानों को केले का निर्यात करते देखना बेहद गर्व की बात है. हमें उम्मीद है कि आने वाले समय में और भी किसान संगठन इस राह पर चलेंगे और घरेलू तथा अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी पहचान बनाएंगे.”