अंगूर की खेती के लिए इन किस्मों के बीज चुनें, जान लें बुवाई से कटाई तक का प्रॉसेस

अंगूर की खेती न केवल पोषक तत्वों से भरपूर फल प्रदान करती है, बल्कि किसानों के लिए एक लाभदायक व्यवसाय भी हो सकती है. सही किस्मों और जानकारी के साथ अंगूर की खेती करने से किसानों को अच्छी पैदावार और मुनाफा मिल सकता है.

नोएडा | Updated On: 1 Jun, 2025 | 07:58 PM

आज के समय में खेती सिर्फ परंपरा नहीं रही, बल्कि एक स्मार्ट और फायदे वाला कारोबार बन चुकी है. ऐसे में अंगूर की खेती (Grapes Farming) किसानों के लिए एक सुनहरा मौका बनकर उभरी है. खास बात ये है कि अंगूर की फसल न सिर्फ देश के बाजार में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी काफी अधिक डिमांड रहती है. भारत में अंगूरों का मुख्य रूप से सेवन टेबल फ्रूट के रूप में किया जाता है, हालांकि इसका इस्तेमाल किशमिश और अन्य रूपों में भी की जाती है. अगर किसान सही किस्मों और जानकारी के साथ अंगूर की खेती करें, तो इससे उन्हें फसलों की अच्छी पैदावार और जबरदस्त मुनाफा मिल सकता है.

अंगूर एक ऐसा फल है जो पोषक तत्वों से भरपूर होता है. इसमें पोटैशियम और कैल्शियम जैसे जरूरी मिनरल्स के साथ-साथ बी-कॉम्प्लेक्स विटामिन्स भी अच्छी मात्रा में पाए जाते हैं. अंगूर का जूस हल्का सा रेचक (laxative) होता है, जिससे पाचन में भी मदद मिलती है और शरीर में पानी की कमी को भी पूरा करता है.

अंगूर की लोकप्रिय वैरायटी और उनके फायदे

अनाब-ए-शाही (Anab-e-Shahi)

ये किस्म आंध्र प्रदेश, पंजाब, हरियाणा और कर्नाटक में बड़े पैमाने पर उगाई जाती है. इसकी खासियत है कि ये अलग-अलग जलवायु में भी आसानी से उग जाती है. इसके अंगूर लंबे, मध्यम आकार के और पके होने पर एम्बर रंग के हो जाते हैं. यह स्वाद में मीठा होता है, जिसमें TSS 14-16 प्रतिशत तक होता है. यह किस्म देरी से पकती है वहीं इसकी पैदावार करीब 35 टन प्रति हेक्टेयर तक की होती है.

बैंगलोर ब्लू (Bangalore Blue)

ये खासतौर पर कर्नाटक में उगाई जाती है. इसके अंगूर छोटे, काले और बीज वाले होते हैं. इस अंगूर के रस का रंग बैंगनी होता है. इसमें TSS 16-18 प्रतिशत तक होता है. इसकी एक खास बात ये है कि ये एन्थ्रेक्नोज जैसी बीमारी से सुरक्षित रखने में मदद करती है,

भोकरी (Bhokri)

तमिलनाडु की ये वैरायटी मध्यम आकार के, बीज वाले और हरे-पीले रंग के अंगूर होती है. इसमें TSS 16-18 प्रतिशत तक का होता है. इसकी उपज 35 टन प्रति हेक्टेयर होती है, लेकिन इसकी कीपिंग क्वालिटी कमजोर यानी जल्दी खराब हो सकते हैं. इसे किस्म को रस्ट और डाउन मिल्ड्यू जैसे बीमारियों का खतरा रहता है.

गुलाबी (Gulabi)

इसके अंगूर छोटे, गोल और गहरे बैंगनी रंग के होते हैं. TSS 18-20 प्रतिशत तक होता है और इसकी कीपिंग क्वालिटी काफी अच्छी है. इस किस्म की खेती ज्यादातर तमिलनाडु की जाती हैं. इसकी पैदावार थोड़ी कम यानी 10-12 टन/हेक्टेयर तक होती है.

काली साहेबी (Kali Sahebi)

यह किस्म महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश में सीमित पैमाने पर उगाई जाती है. इसके अंगूर बड़े, अंडाकार और लाल-बैंगनी रंग के होते हैं. इसका TSS 22 प्रतिशत तक होता है, यानी यह स्वाद में काफी मीठा होता है. अंगूर की इस किस्म की औसत उपज 12-18 टन प्रति हेक्टेयर तक होती है.

परलेट (Perlette)

पंजाब, हरियाणा और दिल्ली में उगाई जाने वाली इस अंगूर बीज रहित, छोटे और पीले-हरे रंग के होते है. यह स्वाद में TSS 16-18 तक मीठा होता है. इसकी कीपिंग क्वालिटी अच्छी होती है और इसकी उपज लगभग 35 टन प्रति हेक्टेयर तक हो सकती है.

खेती के लिए 15 से 40 डिग्री सेल्सियस तापमान जरूरी

अब अगर बात करें खेती की, तो अंगूर की फसल को गर्म और शुष्क जलवायु यानी 15 से 40 डिग्री सेल्सियस तक का तापमान इसकी खेती के लिए बेस्ट माना जाता है. यह फसल अच्छी तरह से जल निकास वाली बलुई दोमट मिट्टी में सबसे बढ़िया उगती है. इसका पीएच 6.5 से 8.5 के बीच होना चाहिए. इस फसल की खेती जनवरी-फरवरी के बीच कलमें (cuttings) के माध्यम से की जाती है. वहीं सिंचाई के लिए ड्रिप इरिगेशन सबसे बेहतर तरीका माना जाता है, जिससे हर पौधे को रोजाना 30 से 50 लीटर पानी मिलता है. खाद की बात करें तो किसान मिट्टी जांच के बाद ही यूरिया, एसएसपी और एमओपी जैसे उर्वरकों का इस्तेमाल करें, ताकि लागत घटे और मुनाफा बढ़े.

एक हेक्टेयर में करीब 25 से 30 टन तक अंगूर की उपज

अंगूर की बेलों को सही दिशा में बढ़ाने के लिए उन्हें ट्रेलिस (जैसे टी, वाई या बोवर सिस्टम) पर ट्रेनिंग दी जाती है. इससे बेलें सही तरीके से फैलती हैं और फलों की गुणवत्ता बनी रहती है. साथ ही, अंगूर की फसल को अप्रैल और अक्टूबर में दो बार प्रूनिंग यानी की कटाई-छंटाई की जरूरत होती है. ताकि नई कोंपलें और फल अच्छी तरह विकसित हों सकें. जब अंगूर पूरी तरह पक जाएं यानी उनका रंग बदल जाए तभी उन्हें तोड़ना चाहिए. अच्छी देखभाल और सही समय पर कटाई करने से एक हेक्टेयर में करीब 25 से 30 टन तक अंगूर की उपज हो सकती है.

Published: 1 Jun, 2025 | 07:58 PM
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