भारत दुनिया का सबसे बड़ा खाद्य तेल उपभोक्ता देश है, लेकिन उत्पादन की तुलना में इसकी मांग कहीं अधिक है. ऐसे में पाम ऑयल की खेती देश के किसानों के लिए एक नई उम्मीद बनकर उभरी है. पाम ऑयल को ‘तेल पाम’ भी कहा जाता है और आज यह फसल कई राज्यों में किसानों के लिए ‘ATM’ की तरह कमाई का मजबूत जरिया बन चुकी है. सरकार भी इस फसल को प्रोत्साहन देने के लिए सब्सिडी और तकनीकी सहायता प्रदान कर रही है, जिससे किसान तेजी से इस खेती की ओर आकर्षित हो रहे हैं.
क्यों खास है पाम ऑयल की खेती
पाम ऑयल की खेती की सबसे बड़ी विशेषता इसकी अत्यधिक उत्पादकता है. अन्य तेल वाली फसलों जैसे सोयाबीन या सूरजमुखी की तुलना में पाम ऑयल से प्रति हेक्टेयर चार से पांच टन तक तेल निकाला जा सकता है. यह उत्पादन किसी भी अन्य फसल से कई गुना अधिक है. एक बार पौधारोपण करने के बाद पाम के पेड़ 25 से 30 साल तक फल देते हैं, जिससे किसानों को लंबी अवधि तक नियमित आय होती रहती है. यह खेती इसलिए भी लोकप्रिय हो रही है क्योंकि पाम ऑयल की मांग केवल खाने तक सीमित नहीं, बल्कि इसका उपयोग कॉस्मेटिक्स, साबुन, पेंट और बायोडीजल जैसे उद्योगों में भी किया जाता है. यानी बाजार में इसकी मांग कभी खत्म नहीं होती.
सरकारी योजनाएं और सब्सिडी का फायदा
केंद्र सरकार ने किसानों के लिए नेशनल मिशन ऑन ऑयल पाम (NMEO-OP) के तहत पाम ऑयल उत्पादन को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखा है. इस योजना के तहत किसानों को कई तरह की आर्थिक सहायता और सब्सिडी दी जा रही है, पौधारोपण पर 85 प्रतिशत तक सब्सिडी, सिंचाई उपकरणों पर आर्थिक मदद और तकनीकी प्रशिक्षण व मार्केट कनेक्शन की सुविधा. इसके साथ ही राज्य सरकारें भी स्थानीय स्तर पर किसानों को प्रोत्साहित कर रही हैं ताकि भारत अपनी तेल आवश्यकताओं में आत्मनिर्भर बन सके.
खेती की प्रक्रिया और जरूरी सावधानियां
पाम ऑयल की खेती के लिए गर्म और आर्द्र जलवायु सबसे उपयुक्त मानी जाती है. इस फसल को 25 से 35 डिग्री सेल्सियस तापमान और सालभर में लगभग 200 सेंटीमीटर वर्षा की जरूरत होती है.
मिट्टी दोमट या जल निकासी वाली उपजाऊ भूमि होनी चाहिए. पौधों के बीच लगभग 9 मीटर x 9 मीटर की दूरी रखनी चाहिए ताकि पर्याप्त धूप और हवा मिल सके. सिंचाई के लिए ड्रिप सिस्टम सबसे बेहतर है क्योंकि यह पानी की बचत के साथ पौधों को नियमित नमी प्रदान करता है.
कमाई और मुनाफे का अंदाजा
पाम ऑयल की खेती की सबसे बड़ी खासियत है स्थायी आय. एक हेक्टेयर में सालाना 4-5 टन तेल का उत्पादन आसानी से हो जाता है. बाजार में पाम ऑयल की कीमत 90 से 120 रुपये प्रति किलो तक रहती है, जिससे एक किसान 4 से 6 लाख रुपये प्रति हेक्टेयर तक की सालाना कमाई कर सकता है. पौधारोपण के तीन से चार साल बाद से पेड़ फल देना शुरू कर देते हैं और इसके बाद हर साल नियमित आय होती रहती है.
कहां हो रही है पाम ऑयल की खेती
भारत के कई राज्यों में अब पाम ऑयल उत्पादन तेजी से फैल रहा है. दक्षिण भारत में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु और कर्नाटक अग्रणी हैं. वहीं पूर्वोत्तर भारत में असम, मिजोरम, नागालैंड और मणिपुर में किसानों ने इस फसल को अपनाया है. इसके अलावा अंडमान-निकोबार और गोवा में भी इसकी खेती की जा रही है.
किसानों के लिए सुनहरा अवसर
पाम ऑयल की खेती भारत में एक लंबे समय के निवेश और स्थायी आय का प्रतीक बन चुकी है. सरकार की सहायता, तकनीकी मार्गदर्शन और बढ़ती वैश्विक मांग के चलते यह फसल किसानों के लिए ‘स्मार्ट इनकम सोर्स’ बन गई है. आने वाले वर्षों में यह न सिर्फ किसानों की आर्थिक स्थिति को मजबूत करेगी, बल्कि भारत को खाद्य तेल के आयात पर निर्भरता कम करने में भी मदद करेगी.