मॉडर्न तरीके से सब्जी की खेती बदलेगी आदिवासी समुदाय की किस्मत, IIVR वैज्ञानिकों ने बताया तरीका

आदिवासी समुदाय के लोग लंबे समय से पारंपरिक तरीके से सब्जियों और अन्य फसलों की खेती करते आ रहे हैं. लेकिन, अब उन्हें सब्जी की खेती को मॉडर्न तरीके से करने की ट्रेनिंग दी जा रही है, ताकि उनकी कमाई और उत्पादन को बढ़ाया जा सके. IIVR वाराणसी के वैज्ञानिकों ने ऐसे किसानों को ट्रेनिंग दी है.

Kisan India
नोएडा | Published: 28 Sep, 2025 | 11:15 AM

आदिवासी समुदाय और सुदूर ग्रामीण इलाकों के लोगों को सब्जी की खेती से आमदनी और उपज की क्वालिटी बढ़ाने की सलाह दी गई है. इसके लिए उन्हें भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (IIVR) वाराणसी में ट्रेनिंग दी गई है. उत्तर प्रदेश के आदिवासी बहुल जिलों मिर्जापुर और सोनभद्र के किसानों के लिए ट्रेनिंग कार्यक्रम किया गया. इसमें किसानों को फसल विविधीकरण में सब्जियों की अहम भूमिका पर जानकारी दी और कैसे वे सब्जी की खेती से ज्यादा उपज हासिल करें इसके भी तरीके बताए गए हैं. कृषि वैज्ञानिकों का उद्देश्य अनुसूचित जनजातीय समुदाय के किसानों को आत्मनिर्भर बनाना और उनकी सामाजिक, आर्थिक स्थिति को मजबूत करना है.

आदिवासी किसानों के लिए विशेष प्रशिक्षण की पहल

संस्थान के निदेशक डॉ. राजेश कुमार के नेतृत्व में यह कार्यक्रम जनजातीय उप-योजना के अंतर्गत संचालित हुआ. इस प्रशिक्षण में 25 चयनित अनुसूचित जनजातीय किसान शामिल हुए, जिन्हें सब्जी खेती के विभिन्न पहलुओं पर जानकारी दी गई. यह पहल सरकार द्वारा वंचित समुदायों को मुख्यधारा में लाने के लिए की जा रही कोशिशों का हिस्सा है. डॉ. कुमार ने कहा कि सब्जी उत्पादन सिर्फ आमदनी का जरिया नहीं है, बल्कि पोषण सुरक्षा और रोजगार सृजन का भी मजबूत माध्यम बन सकता है.

वैज्ञानिकों ने दिए प्रायोगिक

प्रशिक्षण के दौरान संस्थान के वैज्ञानिकों ने किसानों को जैविक खेती, समेकित कीट और रोग प्रबंधन, पौध ग्राफ्टिंग, बीज उत्पादन, संरक्षित खेती, मशरूम उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन जैसे विषयों पर विस्तार से बताया. इन विषयों पर किसानों को सिर्फ क्लासरूम लेक्चर नहीं, बल्कि प्रायोगिक प्रशिक्षण भी दिया गया, जिससे वे लौटकर अपने गांव में इन तकनीकों को आसानी से लागू कर सकें.

Vegetable Training

आदिवासी किसान सीख रहे सब्जी खेती की नई तकनीकें.

समन्वयक डॉ. नीरज सिंह ने बताए संस्थान के प्रयास

कार्यक्रम के समन्वयक और प्रधान वैज्ञानिक डॉ. नीरज सिंह ने बताया कि अनुसूचित जनजातीय किसानों के समग्र विकास के लिए संस्थान लगातार प्रयास कर रहा है. समय-समय पर प्रशिक्षण, कृषि यंत्र, प्रमाणित बीज और तकनीकी सहयोग दिया जाता है ताकि किसान आधुनिक तरीकों से खेती कर सकें. उन्होंने बताया कि आदिवासी क्षेत्रों में कृषि विकास के साथसाथ स्थानीय रोजगार सृजन और पोषण में सुधार को लेकर संस्थान गंभीरता से काम कर रहा है.

किसानों को दी गई उपयोगी सामग्री और प्रमाण पत्र

प्रशिक्षण के समापन पर किसानों को निदेशक डॉ. राजेश कुमार द्वारा प्रशिक्षण प्रमाण पत्र, अनाज रखने के ड्रम, सब्जी बीज (मटर), बैग, सब्जी स्मारिका, और ‘रवि किचन पैकेट’ (जिसमें राजमा, पालक, मूली, गाजर, टमाटर और बौनी सेम जैसे बीज थे) का वितरण किया गया. यह सामग्री किसानों के लिए उपयोगी साबित होगी और वे अपने खेतों में तुरंत इनका इस्तेमाल शुरू कर सकेंगे. इस सफल आयोजन में सह-समन्वयक डॉ. सुदर्शन मौर्या, डॉ. विकास सिंह, डॉ. के.के. गौतम और अजय कुमार यादव की भी अहम भूमिका रही.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

किस देश को दूध और शहद की धरती (land of milk and honey) कहा जाता है?

Poll Results

भारत
0%
इजराइल
0%
डेनमार्क
0%
हॉलैंड
0%